India-Turkey Trade: भारत-पाकिस्तान तनाव में पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर उतरे तुर्की के खिलाफ देश में एक गुस्से की लहर है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे वाले प्रोजेक्ट्स के लिए तुर्की की कंपनियों पर लगाम लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार द्विपक्षीय व्यापार में इस सोच पर अमल करने में कम रुचि दिखा रही है। दूसरी ओर उद्योग ग्रुप्स सेब और मार्बल जैसी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर रहा है।

तुर्की से ट्रेड की बात करें तो भारत करीब 2.73 बिलियन डॉलर का सरप्लस व्यापार होता है, इस पर किसी भी तरह की रोक नेगेटिव ट्रेड पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकती है। एक सरकारी अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमें तुर्की से आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई ज्ञापन मिले हैं। हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों ने तुर्की से सेब के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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हिमाचल के अधिकारी ने कहा कि भारत तुर्की के साथ सरप्लस व्यापार चलाता है और हमें अपने एक्सपोर्टर्स के हितों को भी ध्यान में रखना होगा। यह व्यापारिक प्रतिबंध एक मजबूत भू-राजनीतिक संदेश हो सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कितनी दूर तक ले जाना चाहते हैं।

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ट्रेड सरप्लस इसलिए अहम है क्योंकि भारत से तुर्की को जो एक्सपोर्ट किया जाता है, उसमें इंजीनियरिंग के सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और कार्बनिक और अकार्बनिक केमिकल्स हैं। यह व्यापार पिछले 5 सालों में काफी ज्यादा बढ़ा है। इसके विपरीत, भारत का तुर्की से इंपोर्ट मुख्य तौर पर फलों, मेवों, सोने और संगमरमर तक ही सीमित है। यूक्रेन युद्ध के बाद तुर्की ने भारत से पेट्रोलियम इंपोर्ट बढ़ा दिया था, लेकिन 2025 में इसमें काफी गिरावट देखी गई थी।

बता दें कि पिछले महीने हिमाचल के सेब उत्पादकों ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात कर सेब के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उनका कहना था कि तुर्की से सब्सिडी वाले सेब घरेलू बागवानी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं और राज्य के बागवानों को वित्तीय संकट में डाल रहे हैं। उनके अनुसार, सेब न केवल एक व्यावसायिक फसल है, बल्कि पहाड़ी राज्यों की आर्थिक रीढ़ भी है।

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उदयपुर के संगमरमर प्रोसेसर्स ने भी पिछले महीने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर तुर्की से संगमरमर के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को तुर्की द्वारा दिए गए समर्थन का हवाला दिया गया था। भारत अपना अधिकांश संगमरमर तुर्की से आयात करता है। आधिकारिक व्यापार डेटा से पता चला है कि वित्त वर्ष 2025 में तुर्की को कुल 5.72 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें मुख्य रूप से इंजीनियरिंग निर्यात शामिल था, जो 3 बिलियन डॉलर के साथ 50 प्रतिशत से अधिक है।

MSME का भी इस निर्यात में अमहम योगदान रहा है, जो करी 35-40 प्रतिशत रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान तुर्की से आयात 2.99 बिलियन डॉलर रहा, फलों और मेवों की श्रेणी में आयात 107.12 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के 96.82 मिलियन डॉलर से लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में तुर्की से 270.83 मिलियन डॉलर का सोना भी आयात किया, जो वित्त वर्ष 2024 में 104.56 मिलियन डॉलर के सोने के आयात से 159.02 प्रतिशत अधिक है।

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पिछले महीने, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो यानी बीसीएएस ने राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित आधार पर तुर्की स्थित एयरपोर्ट ग्राउंड-हैंडलिंग प्रमुख सेलेबी एविएशन होल्डिंग की भारतीय शाखा की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी। इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले महीने बताया था कि भारतीय पर्यटक तुर्की और अजरबैजान की छुट्टियां रद्द कर रहे हैं , जिन्होंने पाकिस्तान का भी समर्थन किया था, जैसा कि वीजा आवेदनों में देखा गया है।

तुर्की में 2024 में 3 लाख भारतीय पर्यटक गए थे जबकि अजरबैजान में 2.44 लाख पर्यटक गए थे। उद्योग प्रतिनिधियों को उम्मीद है कि इनमें से एक बड़ा हिस्सा अब कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों में जाएगा।

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