Jammu and Kashmir News: कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेन शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को श्री माता वैष्णो देवी कटरा और श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कश्मीर घाटी तक रेल का पहुंचना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसका बहुत बड़ा असर कश्मीर के विकास, व्यापार और पर्यटन पर पड़ेगा क्योंकि इस रेल की मदद से कश्मीर अब दुनिया के बाकी हिस्सों से बेहतर ढंग से जुड़ सकेगा। लेकिन कश्मीर तक रेल का पहुंचना आसान नहीं था, यह एक लंबी यात्रा है।
भारत में जब अंग्रेजों का शासन था, उस दौरान जम्मू-कश्मीर में अंग्रेजों ने ही पहली बार ट्रेन चलाई थी। 1897 में जम्मू और सियालकोट के बीच 40 से 45 किलोमीटर की दूरी पर यह ट्रेन चलाई गई थी।
जब भारत का बंटवारा नहीं हुआ था, तब 1902 और 1905 में रावलपिंडी से श्रीनगर तक एक रेलवे लाइन का प्रस्ताव रखा गया। यह झेलम के रास्ते कश्मीर घाटी को भारत के रेलवे नेटवर्क से जोड़ सकती थी लेकिन तब जम्मू-कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह रियासी के रास्ते जम्मू-श्रीनगर रेल लाइन चाहते थे और इस वजह से इन दोनों में से कोई भी किसी भी प्रोजेक्ट पर आगे बात नहीं बन सकी।
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1947 में देश के बंटवारे के बाद सियालकोट पाकिस्तान में चला गया और जम्मू भारत के रेल नेटवर्क से कट गया। 1975 में पठानकोट-जम्मू लाइन के शुरू होने तक पंजाब का पठानकोट जम्मू-कश्मीर का सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन था।
1983 में जम्मू और उधमपुर के बीच रेलवे लाइन का काम शुरू हुआ। यह लाइन 53 किलोमीटर लंबी थी और इस काम को 5 साल में पूरा किया जाना था लेकिन इसे बनने में 21 साल लग गए। इस लाइन पर काम जारी था इसलिए केंद्र सरकार ने 1994 में इसे उधमपुर से श्रीनगर और फिर बारामूला तक बढ़ाने का ऐलान किया।
इस परियोजना को उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट नाम दिया गया और मार्च 1995 में 2,500 करोड़ रुपये की लागत से इसे मंजूरी मिली। 2002 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया और इसके अलग हिस्से धीरे-धीरे शुरू होते गए।
USBRL परियोजना अब पूरी हो चुकी है। यह कुल 272 किलोमीटर का ट्रैक है और इसे 43,780 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इसमें 36 सुरंगें और 943 पुल शामिल हैं। बड़ी उपलब्धि यह है कि इस लाइन के जरिए कटरा और श्रीनगर अब केवल 3 घंटे की दूरी पर ही रह गए हैं।
USBRL परियोजना इंजीनियरिंग के लिहाज से भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। हिमालय की पर्वत श्रृंखला में शिवालिक पहाड़ियां और पीर पंजाल रेंज भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक जोन IV और V में आते हैं। यह पूरा इलाका कठिन है और बर्फीले मौसम वाला है, जिससे पुलों और सुरंगों को बनाने का काम बेहद चुनौतीपूर्ण रहा।
USBRL परियोजना के जरिये भारत के खाते में कई बड़ी उपलब्धियां भी दर्ज हुई हैं। दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज, जिसका आर्च चिनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊपर है; रेलवे का पहला केबल-स्टे ब्रिज (अंजी खड्ड पर) और भारत की सबसे लंबी परिवहन सुरंग जो रामबन जिले में है और 12.77 किलोमीटर लंबी है।
वंदे भारत ट्रेनें कटरा और श्रीनगर के बीच की दूरी लगभग तीन घंटे में तय करेंगी और इसमें सड़क के रास्ते से आधा वक्त लगेगा। ये ट्रेनें भयंकर सर्दियों में भी चलेंगी और सालभर चाहे कैसा भी मौसम हो, घाटी को देश से जोड़े रखेंगी। जल्द ही यह ट्रेन जम्मू-तवी तक भी चलेगी, जिससे देश के किसी भी कोने से सीधी ट्रेन लेकर श्रीनगर तक पहुंचा जा सकेगा।
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जम्मू-कश्मीर ऐसा राज्य है जिसकी आर्थिकी पर्यटन पर निर्भर है और इसके लिए ट्रेन बहुत जरूरी है। कश्मीर तक ट्रेन पहुंचने के बाद निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर की इकोनॉमी भी मजबूत होगी और पर्यटन को नई ताकत मिलेगी। इससे सेब, सूखे मेवे, पश्मीना शॉल, हस्तशिल्प जैसी वस्तुओं को देश के अन्य हिस्सों में जल्दी और सस्ते दामों में भेजना आसान होगा। इसके साथ ही, घाटी में हर दिन इस्तेमाल होने वाली चीजें भी अब कम लागत में पहुंच सकेंगी।
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