Myanmar News: सैन्य शासित पड़ोसी देश म्यांमार से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक रिटायर्ड फौजी जनरल की हत्या में शामिल होने के आरोप में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें हैरानी वाली बात यह है कि गिरफ्तार 16 लोगों में एक 6 साल की मासूम बच्ची भी है। इसके चलते मानवाधिकार के हनन का मुद्दा चर्चा में आ गया है और वहां की सैन्य सरकार पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल, म्यांमार के 68 साल के पूर्व ब्रिगेडियर जनरल चो टुन आंग को 22 मई को देश के सबसे बड़े शहर यांगून के मायांगून टाउनशिप में उनके घर के बाहर गोली मार दी गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी ‘गोल्डन वैली वॉरियर्स’ कहने वाले एक आतंकवादी समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।

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कंबोडिया में पूर्व राजदूत चो तुन आंग की हत्या सत्तारूढ़ सेना से जुड़े लोगों के खिलाफ लेटेस्ट हमला था, क्योंकि फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार को हटाने के बाद म्यांमार गृहयुद्ध में डूब गया था। म्यांमार के सरकारी अखबार ग्लोबल न्यू लाइट ने बताया कि 16 संदिग्धों, 13 पुरुष और तीन महिलाओं को 23-29 मई के बीच चार अलग-अलग क्षेत्रों से गिरफ़्तार किया गया। अख़बार ने बताया कि चो टुन आंग की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वह अपने पोते के साथ टहल रहे थे।

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गिरफ़्तार किए गए लोगों में लिन लैट श्वे भी शामिल है, जो कथित हत्यारे म्यो को, को की 6 वर्षीय बेटी है, जिसके कम से कम तीन अन्य उपनाम होने की सूचना है। अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची और उसके माता-पिता को बागान के केंद्रीय शहर में गिरफ़्तार किया गया। हिरासत में लिए गए अन्य लोगों में एक निजी अस्पताल का मालिक भी शामिल है, जिस पर बंदूकधारी को उपचार उपलब्ध कराने का आरोप है।

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अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, हमलावर को हमले के दौरान गोली लगने से चोट लगी थी। गोल्डन वैली वॉरियर्स ने हत्या के तुरंत बाद फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि चो टुन आंग म्यांमार के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी ट्रेनिंग दे रहे थे और इस प्रकार वे गृहयुद्ध के दौरान किए गए अत्याचारों में शामिल थे।

जानकारी के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में हत्याओं के लिए हाई रैंक वाले रिटायर्ट या पदस्थ सैन्य अधिकारी होते हैं, लेकिन अब वरिष्ठ सिविल सेवकों और स्थानीय अधिकारियों पर भी हमला किया गया है, इसके अलावा सत्तारूढ़ जनरलों के व्यापारिक सहयोगियों और सेना के मुखबिर या सहयोगी माने जाने वाले लोगों पर भी हमला किया गया है।

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