भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की। यह लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने इस साल रेपो रेट में कटौती की है। इसका होम लोन, पर्सनल लोन और अन्य फ्लोटिंग-रेट लोन की EMI पर प्रभाव पड़ेगा। शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में, आरबीआई ने रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट से घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया। इससे होम लोन लेने वालों की मंथली EMI में कमी आने की उम्मीद की जा रही है। आइए समझते हैं कि अगर आपने 30 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए के लिए लिया है, तो आपको कितनी संभावित बचत हो सकती है।
आपके होम लोन की ईएमआई कितनी कम होगी। यह तो आपके बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का एलान किए जाने के बाद ही तय होगा। लेकिन आरबीआई के फैसले के बाद बैंकों की तरफ से इसी अनुपात में ब्याज दरें घटाए जाने की उम्मीद की जा सकती है।
आप अगर 20 साल के लिए 30 लाख रुपये का लोन लेते हैं तो आपको कुल 240 मंथली ईएमआई देना होगा।अगर आपकी लोन लोन की ईएमआई 8.75 फीसदी सालाना है, तो आपकी हर महीने की ईएमआई करीब 26,511 रुपये होगी।आपको 20 वर्षों में ब्याज के तौर पर करीब 33,62,717 रुपये का भुगतान करना होगा।ब्याज और लोन को मिलाकर आपको कुल 63,62,717 रुपये का भुगतान करना होगा।
आ गई खुशखबरी! आरबीआई ने लगातार तीसरी बार घटाया रेपो रेट
बैंक अगर रेपो रेट की कटौती के बाद, आपके बैंक ब्याज दर में इतनी ही कटौती करता है, तो आपके होम लोन की वार्षिक ब्याज दर 8.75 फीसदी से घटकर 8.25 फीसदी हो जाएगी। ऐसे में आपको हर महीने ईएमआई के तौर पर 949 रुपये कम देने होंगे यानी आपकी ईएमआई घटकर करीब 25,562 रुपये हो जाएगी। ऐसे में 20 सालों में आपका कुछ ब्याज घटकर करीब 31,34,873 रुपये रह जाएगा। आपको बैंक को लोन अमाउंट और ब्याज मिलकर करीब 61,34,873 रुपये देने होंगे यानी आपकी कुल बचत करीब 2,27,844 रुपये होगी।
ब्याज दर में कटौती होने पर बैंक आपको EMI कम करने या लोन के टेन्योर को कम करने का विकल्प देता है। आप अगर लोन के टेन्योर को घटाने का निर्णय लेते हैं तो आप कुल ब्याज पेमेंट में अधिक पैसे बचा सकते हैं। मान लीजिए कि ब्याज दर की कटौती के बाद भी अगर आप अपनी मंथली ईएमई को 26,511 रुपये पर ही बनाए रखते हैं तो ऐसे में आपकी कुल EMI की संख्या 240 से घटकर 230 हो जाएगी यानी आपका लोन 10 महीने पहले खत्म हो जाएगा।
क्या आज बैंक बंद हैं या खुले?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रेपो रेट की कटौती का मतलब यह नहीं है कि कॉमर्शियल बैंकों की ब्याज दरें अपने आप घट जाएंगी। लेकिन अक्टूबर 2019 के बाद से, सभी फ्लोटिंग रेट होम लोन को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा गया है, जिसमें रेपो रेट भी शामिल है। इसी वजह से रेपो रेट में होने वाली कटौती का असर होम लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है।
यह वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक, कमर्शियल बैंकों को शॉर्ट टर्म के लिए पैसा उधार देता है यानी केंद्रीय बैंक जब रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है। लिहाजा, वे अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं।