Venezuelan crude Oil Buyers US Tariff Impact: बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की तेल आयात विविधीकरण (India’s oil import diversification) रणनीति के लिए एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (24 मार्च 2025) देर रात भारत और चीन जैसे देशों पर जो वैनेजुएला से तेल आयात करते हैं, उन पर मौजूदा टैरिफ के अलावा 2 अप्रैल से 25 प्रतिशत ‘सेकेंडरी टैरिफ’ लगाने की धमकी दी।
ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “वेनेजुएला, अमेरिका और हमारे द्वारा समर्थित स्वतंत्रता के प्रति बहुत शत्रुतापूर्ण रहा है। इसलिए, जो भी देश वेनेजुएला से तेल और/या गैस खरीदता है, उसे हमारे देश के साथ होने वाले किसी भी व्यापार पर अमेरिका को 25 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना होगा। सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और रजिस्टर्ड किया जाएगा व टैरिफ 2 अप्रैल से प्रभावी होगा।”
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फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वेनेजुएला के कच्चे तेल के खरीदारों पर 25 प्रतिशत टैरिफ किसी भी मौजूदा टैक्स के अतिरिक्त होगा। एफटी रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार शाम को पब्लिश एग्जिक्युटिव आदेश के अनुसार, एक बार लागू होने के बाद, “आखिरी तारीख के बाद जिस देश ने वेनेजुएला से तेल इंपोर्ट किया था” एक साल तक लागू रहेगा, जब तक कि अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने उन्हें पहले हटाने की मंजूरी नहीं दे दी।
शिपिंग फिक्स्चर और ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र पर प्रतिबंधों में ढील देने के लगभग तीन साल बाद, भारत ने दिसंबर 2023 में वेनेजुएला से कच्चे तेल का आयात फिर से शुरू किया, और वेनेजुएला कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया। इन प्रमुख खरीदारों में निजी क्षेत्र की रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और नायरा एनर्जी (एनईएल) थे।
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कमोडिटी मार्केट एनालिटिक्स फर्म केपलर के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में वेनेजुएला से भारत में कच्चे तेल का प्रेषण लगभग 191,600 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था, जो जनवरी में बढ़कर 254,000 बीपीडी से ज्यादा हो गया – जो कि वेनेजुएला के महीने के लगभग 557,000 बीपीडी के कुल तेल निर्यात का लगभग आधा है। आंकड़ों से पता चला है कि वेनेजुएला ने आखिरी बार सितंबर 2020 में भारत को कच्चा तेल भेजा था, आखिरी डिलीवरी उसी साल नवंबर में भारतीय बंदरगाहों पर पहुंची थी।
नए टैरिफ थ्रेट, खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की तेल निर्भरता लगातार बढ़ रही है और पिछले वित्तीय वर्ष के रिकॉर्ड स्तर को पार करने की ओर अग्रसर है। तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (पीपीएसी) के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की तेल आयात निर्भरता अप्रैल-फरवरी में 88.2 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 24 की इसी अवधि में 87.7 प्रतिशत थी। वेनेजुएला के कच्चे तेल पर प्रतिबंध एक वैश्विक आपूर्ति बाधा हो सकती है, जिससे तेल बाजार में कीमतें सख्त हो सकती हैं। यह भारत सहित कच्चे तेल के शुद्ध आयातकों के लिए बुरी खबर हो सकती है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी लंबे समय से कहते रहे हैं कि अगर अर्थव्यवस्था अनुकूल रही तो भारत वेनेजुएला का तेल खरीदने को इच्छुक है। पिछले दो सालों में वैश्विक तेल बाजारों (Global Oil Markets) में अस्थिरता को देखते हुए, सरकार ने अपना रुख दोहराया है कि भारत उपलब्ध आपूर्तिकर्ताओं से सस्ता तेल प्राप्त करेगा। दुनिया में कच्चे तेल के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में, भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है।
विशेष रूप से, लेटेस्ट टैरिफ चिंताएं ऐसे समय में उत्पन्न हुई हैं जब दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच सहित एक उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मंगलवार (25 मार्च) से भारत की चार दिवसीय यात्रा शुरू करने वाला है।
मूल्य के हिसाब से कच्चा तेल भारत का सबसे बड़ा आयात बना हुआ है, और बढ़ती घरेलू मांग के कारण खपत में और वृद्धि होने की उम्मीद है। पीपीएसी अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में पेट्रोलियम उत्पाद की खपत 4.7 प्रतिशत बढ़कर 252.93 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। यदि ये अनुमान सही रहते हैं, तो FY26 में भारत की ईंधन और पेट्रोलियम उत्पाद की खपत एक और रिकॉर्ड बनाएगी।
कई अन्य देशों के विपरीत, भारत को तेल की मांग के लिए एक प्रमुख विकास केंद्र के रूप में देखा जाता है, इसकी भविष्य की खपत क्षमता और वर्तमान में कम प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपयोग को देखते हुए। दरअसल, भारत उन कुछ बाजारों में से है जहां आने वाले वर्षों में रिफाइनिंग क्षमता में उल्लेखनीय विस्तार होने की उम्मीद है। देश की वर्तमान शोधन क्षमता लगभग 257 मिलियन टन प्रति वर्ष है।