अनिल अंबानी (Anil Ambani) को केनरा बैंक से राहत मिली है। बैंक ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया किया कि उसने उद्योगपति अनिल अंबानी के लोन खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने वाला अपना 2024 का आदेश वापस ले लिया है। यह अकाउंट उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) से संबंधित था, जिस पर दिवालियापन की कार्यवाही चल रही है।
गुरुवार को बैंक की दलीलों पर गौर करते हुए, न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला के. गोखले की पीठ ने बैंक के आदेश के खिलाफ अंबानी की याचिका का निपटारा कर दिया और कहा कि मामले में आगे विचार के लिए कुछ भी शेष नहीं बचा है।
यह आदेश पिछले वर्ष 8 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक मास्टर सर्कुलर के आलोक में जारी किया गया था, जिसमें बैंकों को किसी भी अकाउंट को फ्रॉड वाला घोषित करने की अनुमति दी गई थी और इसके लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए थे।
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इस वर्ष 7 फरवरी को हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, अदालत ने एक अन्य हाई कोर्ट बेंच द्वारा पारित दिसंबर 2024 के आदेश का हवाला दिया था, जिसमें रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) की स्वतंत्र निदेशक मंजरी ए. काकर के लोन खाते को फ्रॉड वाला घोषित करने के केनरा बैंक के फैसले के प्रभाव पर रोक लगा दी गई थी।
इसमें सवाल उठाया गया था कि क्या बैंक सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों से बाध्य नहीं हैं कि वे नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन करें, जिसमें उधारकर्ताओं (Borrowers) को नोटिस जारी करके उन्हें मास्टर सर्कुलर के तहत उनके खाते को ‘फ्रॉड’ के रूप में वर्गीकृत करने से पहले सुनवाई का अवसर देना शामिल है।
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अनिल अंबानी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उन्हें उक्त आदेश के जारी होने के एक महीने बाद इसकी जानकारी दी गई और उन्हें बैंक के समक्ष सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
बैंकों में फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट (Fraud Risk Management) पर आरबीआई का निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थानों द्वारा धोखाधड़ी वर्गीकरण और रिपोर्टिंग) निर्देश, 2016 के तहत लिया गया था। आरबीआई ने बैंकों को अपनी नीतियां बनाने का भी निर्देश दिया था। हालांकि, अंबानी ने दावा किया था कि केनरा बैंक ने अभी तक इस संबंध में कोई आंतरिक नीति नहीं बनाई है।