वित्त वर्ष 2024-25 की जनवरी-मार्च तिमाही में देश की आर्थिक ग्रोथ दर धीमी होकर 7.4 प्रतिशत रही। इसके साथ ही पूरे वित्त वर्ष के दौरान सालाना ग्रोथ दर घटकर 6.5 फीसदी रह गई। शुक्रवार, 30 मई 2025 को जारी आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है।
जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ एक साल पहले की समान तिमाही के 8.4% से कम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च तिमाही में ग्रोथ दर के सुस्त पड़ने से पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद की ग्रोथ दर घटकर 6.5% पर आ गई। अगर हम वित्त वर्ष 2023-24 की ग्रोथ दर की बात करें तो तब जीडीपी की ग्रोथ दर 9.2 प्रतिशत रही थी।
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NSO ने नेशनल अकाउंट के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2024-25 के लिए देश की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत आंकी थी। एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति बैठक (Monetary Policy Meeting) में पूरे वित्त वर्ष (FY25) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ दर 6.6% रहने का अनुमान लगाया था। वहीं, मार्च तिमाही (Q4FY25) के लिए केंद्रीय बैंक ने 7.2% की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
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यह जीडीपी डेटा ऐसे वक्त में आया है जब मोदी सरकार इस साल भारत के चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की बात कर रही है। आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक, भारत 2025-26 के अंत तक चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर लेगा।
बीते वित्त वर्ष के जीडीपी आंकड़े जारी होने से पहले निवेशकों में सतर्कता थी। शुक्रवार को शेयर मार्केट गिरावट के साथ बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 182.01 अंक टूटकर 81,451.01 अंक और निफ्टी 82.90 अंक की गिरावट लेकर 24750.70 अंक पर आ गया।