मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) ने अमेरिकी ‘ट्रेडिंग’ कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) को प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया है और कंपनी को 4,843.57 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को वापस करने का निर्देश दिया है। अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म को अप्रैल 2024 में अमेरिकी कोर्ट में मुकदमे में उलझने के बाद तुरंत कार्रवाई का सामना करना चाहिए था। लेकिन, मार्केट के जानकारों का कहना है कि सेबी और एनएसई दोनों ही इस पर सख्त कदम उठाने में झिझकते दिखे और उन्होंने देर कर दी।
सेबी के आदेश के अनुसार, भारत में जुलाई 2024 में जांच के दायरे में आने के बावजूद, जेन स्ट्रीट ने लगभग 1 साल तक बिना किसी रुकावट के व्यापार करती रही। फिर आखिरकार सेबी ने 3 जुलाई को अपना आदेश पारित किया, जिसमें जेन स्ट्रीट को भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करने से रोक दिया।
सेबी के आदेश के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने अप्रैल 2024 में न्यूयॉर्क की अदालत (सदर्न डिस्ट्रिक्ट) में मिलेनियम मैनेजमेंट और उसके दो पूर्व ट्रेडर्स (डगलस शैडवाल्ड और डैनियल स्पॉटिसवुड) के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, यह आरोप लगाते हुए कि उन्होंने एक बेहद गोपनीय ट्रेडिंग रणनीति चुरा ली थी।
इस मामले को अहम बनाने वाली बात यह थी कि यह विवादित रणनीति भारतीय ऑप्शंस बाजार से जुड़ी थी और यही बात सेबी और एनएसई को तुरंत चौकन्ना कर देनी चाहिए थी। इस तरह के मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच जरूरी थी।
फिर भी, एनएसई और सेबी को इस हेरफेर का पता लगाने और कोई ठोस कार्रवाई करने में एक साल से ज्यादा का समय लग गया।
क्या सेबी और एनएसई की निगरानी एजेंसियों ने जेन स्ट्रीट के संदिग्ध व्यवहार के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कभी सचेत किया था? सेबी को अमेरिकी स्वामित्व वाली ट्रेडिंग फर्म के खिलाफ कार्रवाई करने में इतना लंबा समय क्यों लगा? जेन स्ट्रीट ने मार्केट में हेराफेरी की, जबकि एनएसई और सेबी ने बहुत धीमी गति से काम किया।
हैरानी की बात यह है कि सेबी को कार्रवाई करने में एक वर्ष से अधिक का समय लग गया। मार्केट रेगुलेटर के अपने आदेश के अनुसार, उसने अप्रैल 2024 में मीडिया रिपोर्ट्स पढ़ने के बाद ही अपनी जांच शुरू की, जिनमें जेन स्ट्रीट के उन दावों को उजागर किया गया था कि चोरी की गई भारत-आधारित स्ट्रेटजी को बिना अनुमति के लागू किया जा रहा है। इसके बाद सेबी ने संभावित मार्केट दुरुपयोग की जांच के लिए एक प्रारंभिक जांच शुरू की।
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सेबी ने जुलाई 2024 में एनएसई से कहा कि वह जेन स्ट्रीट ग्रुप के ट्रेड की जांच करे। लेकिन जल्दी निपटाने के बजाय, एनएसई ने अपनी रिपोर्ट देने में करीब 4 महीने लगा दिए। इस बीच, कथित हेराफेरी चलती रही।
रिपोर्ट मिलने के बाद भी एनएसई ने जवाब देने में 2 महीने और लगा दिए। आखिरकार 6 फरवरी 2025 को एनएसई ने जेन स्ट्रीट सिंगापुर और उसकी भारतीय इकाई को चेतावनी पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि जेन स्ट्रीट लगातार ऐसे ट्रेड कर रही थी जो बाजार की निष्पक्षता के लिए खतरनाक थे, खासकर इंडेक्स की एक्सपायरी वाले दिनों में।
एनएसई ने कहा कि जेन स्ट्रीट इंडेक्स ऑप्शंस में बड़ी पोजीशन लेती थी और साथ ही कैश और फ्यूचर्स मार्केट, दोनों में तुरंत और जबरदस्ती के जरिए प्रमुख इंडेक्स शेयरों की कीमतों में हेराफेरी कर रही थी। एनएसई ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इसका उद्देश्य इंडेक्स को आर्टिफिशियल रुप से रूप से प्रभावित करना था। इन गंभीर निष्कर्षों के बावजूद, एनएसई ने केवल चेतावनी जारी की और कोई भी प्रवर्तन कार्रवाई नहीं की और जेन स्ट्रीट ने बाजार को धोखा देना जारी रखा।
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नवंबर 2024 की एनएसई रिपोर्ट में यह पाया गया कि जेन स्ट्रीट की कार्रवाइयां ” धोखाधड़ी पूर्ण और हेरफेर पूर्ण ” थीं, जिसमें इंडेक्स के दिग्गजों में ट्रेडिंग शामिल थी, जिसका समय एक्सपायरी-डे के मूल्य निर्धारण को विकृत करने के लिए निर्धारित किया गया था।
इस अवधि के दौरान, सेबी का नेतृत्व अभी भी माधबी पुरी बुच कर रही थीं। हालांकि, जेन स्ट्रीट के संदिग्ध ट्रेड 2024 की शुरुआत में शुरू हो गए थे, लेकिन सेबी ने बुच के कार्यकाल के दौरान, जो फरवरी 2025 में समाप्त हुआ, कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की।
एक अनुभवी मार्केट एक्सपर्ट ने कहा कि सेबी को एनएसई से रिपोर्ट मांगने के लिए जुलाई तक इंतजार नहीं करना चाहिए था। उसे फर्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए था।
हालांकि, बुच ने देरी के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने एक बयान में दावा किया कि सेबी ने अप्रैल 2024 तक अपनी जांच शुरू कर दी थी और कई कार्रवाई की थी। उन्होंने आगे कहा कि सेबी ने मामले की गहन जांच के लिए एक बहु-विषयक टीम का गठन किया था और अंतिम आदेश उसी व्यापक आंतरिक प्रयास का परिणाम था।
फरवरी 2025 में बुच का कार्यकाल समाप्त हो गया और 1 मार्च को तुहिन कांता पांडे ने उनकी जगह ली।
आखिरकार, सेबी और एनएसई दोनों ने माना कि इस बार बाजार में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई। पिछले उदाहरणों के विपरीत, जहां व्यक्तिगत शेयरों में हेराफेरी की गई थी, इस मामले में कई तरल शेयरों में एक साथ हेराफेरी की गई, जिनका इस्तेमाल इंडेक्स की कीमतों में बदलाव के लिए किया गया। इससे जेन स्ट्रीट को भारी मुनाफा हुआ, लेकिन खुदरा निवेशकों और दूसरे कारोबारियों को नुकसान हुआ। सेबी ने इसे “बाजार की निष्पक्षता और ईमानदारी का गंभीर उल्लंघन” कहा।
फरवरी में चेतावनी दिए जाने के बाद भी, जेन स्ट्रीट नहीं रुकी। सेबी के आदेश के अनुसार, कंपनी ने मई 2025 में ही अपने कथित हेरा-फेरी व्यवहार को फिर से शुरू कर दिया। इसने एक बार फिर एक्सपायरी के दिन मार्केट बंद होने के करीब आक्रामक सौदे (अग्रेसिव ट्रेड) किए, एक ऐसी स्ट्रेटजी जिसे “एक्सटेंडेड मार्किंग द क्लोज” के रूप में जाना जाता है, जो प्रतीत होता है कि विकल्पों के भुगतान के लिए इंडेक्स की कीमतों में हेरा-फेरी करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। सेबी और एनएसई के पास तब तक कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया।
फरवरी 2025 में, एनएसई ने सेबी के निर्देश पर जेन स्ट्रीट ग्रुप को एक औपचारिक चेतावनी (Formal Warning) जारी की थी, जिसमें उन्हें हाई-रिस्क वाली, एक्सपायरी-डे इंडेक्स स्ट्रेटेजी से दूर रहने की सलाह दी गई थी, जो हेर-फेर का संकेत दे सकती थीं। जेन स्ट्रीट ने चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। सेबी ने फिर भी इंतजार किया। जुलाई 2025 में मार्केट रेगुलेटर ने आखिरकार सख्ती की। तब तक, नुकसान हो चुका था। जेन स्ट्रीट अपने व्यापारिक कार्यों से पहले ही भारी मुनाफा कमा चुकी थी।
निफ्टी फ्यूचर्स में अपनी कथित हेरा-फेरी स्ट्रेटेजी के जरिए जेन स्ट्रीट ने कथित तौर पर 32,681 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा (Net Profit) कमाया। ये कागजी मुनाफे नहीं थे। भारतीय निवेशकों को इनकी असली कीमत चुकानी पड़ी। सेबी ने आखिरकार 3 जुलाई, 2025 को कार्रवाई करते हुए जेन स्ट्रीट को भारतीय मार्केटों से बैन कर दिया और 4,843 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त कर ली। एक ऐसे रेगुलेटर के लिए जो खुद को सक्रिय होने का दावा करता है, यह देरी परेशान करने वाले सवाल खड़े करती है।
– 23 जुलाई 2024 – NSE को JS ग्रुप की ट्रेडिंग की जांच करने को कहा गया, ताकि देखा जा सके कि कहीं कोई गड़बड़ी या नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ।
– अगस्त 2024 – 20 अगस्त को सेबी ने JS ग्रुप से बातचीत की। ग्रुप ने 30 अगस्त को सेबी को एक लिखित जवाब दिया और अपने ट्रेड समझाए।
– 1 अक्टूबर 2024 – सेबी ने एक सर्कुलर जारी करके कहा कि इंडेक्स ऑप्शंस में एक्सपायरी वाले दिन जरूरत से अधिक ट्रेडिंग पर रोक लगाने के लिए कुछ नए नियम लागू किए जाएंगे।
– 13 नवंबर 2024 – NSE ने JS ग्रुप की ट्रेडिंग पर अपनी जांच रिपोर्ट सेबी को भेज दी।
– दिसंबर 2024 – सेबी ने देखा कि इंडेक्स ऑप्शंस की वीकली एक्सपायरी के दिन मार्केट में कभी बहुत अधिक और कभी बहुत कम उतार-चढ़ाव हो रहा है। साथ ही, कुछ कंपनियां (खास तौर पर JS ग्रुप) सबसे बड़ी ‘कैश जैसी’ (Cash-Equivalent) पोजिशन ले रही थीं। सेबी ने मामले की जांच के लिए एक टीम बनाई।
– 4 फरवरी 2025 – शुरुआती तौर पर सेबी की टीम को लगा कि JS ग्रुप ने 2003 के नियम (जो धोखाधड़ी और अनुचित ट्रेडिंग पर रोक लगाते हैं) तोड़े हैं।
– 6 फरवरी 2025 – सेबी ने जांच के बीच ही NSE को कहा कि JS ग्रुप और उसकी यूनिट्स को चेतावनी दी जाए। NSE ने Jane Street Singapore और JSI Investments को एक चेतावनी पत्र भेजा और कहा कि वे बड़ी ‘कैश जैसी’ पोजिशन न लें और कुछ गड़बड़ ट्रेडिंग पैटर्न बंद करें।
– फरवरी 2025 – इस चेतावनी के जवाब में JS ग्रुप ने 6 और 21 फरवरी को अपनी बात रखी।
– 15 मई 2025 – इसके बावजूद, JS ग्रुप ने NSE की चेतावनी और अपनी ही दी गई प्रतिबद्धताओं को नजरअंदाज़ किया और इंडेक्स ऑप्शंस में फिर से बड़ी ‘कैश जैसी’ पोजिशन लेता रहा।