रिटायरमेंट की प्लानिंग करना अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए, रिटायरमेंट प्लानिंग अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जरूरत बन गई है। अगर आप 30 साल के हैं और 60 साल की उम्र में एक मजबूत रिटायरमेंट फंड बनाना चाहते हैं, तो अभी से सही निवेश रणनीति बनाना जरूरी है।
आज की इस खबर में हमने EPF, PPF और NPS जैसे निवेश विकल्प की बात की है, ताकि पता लगाया जा सकें कि 5 करोड़ रुपये के फंड के साथ रिटायर होने के लिए हमें इन योजनाओं में कितना निवेश करना चाहिए। इसके लिए हमारे सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने एक्सपर्ट्स से बात की है और यह जानने की कोशिश की कि 2025 में इन योजनाओं में निवेश के लिए क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिए, आइए जानते हैं…
प्रोटीन ईगव टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के Social Security & Welfare- ग्रुप हेड, रणबीर सिंह धारीवाल के मुताबिक, NPS का इक्विटी निवेश अधिक है, इसलिए पिछले 1 दशक में इसने औसतन 8 से 12 फीसदी का रिटर्न दिया है। दूसरी ओर, ईपीएफ और पीपीएफ का औसत रिटर्न 8-9% रहा है।
टैक्स बेनिफिट के लिहाज से भी एनपीएस को काफी फायदेमंद बताया गया है, वे कहते हैं, “एनपीएस को 3E महाशक्ति माना जाता है – निवेश पर छूट, विकास पर छूट और निकासी पर छूट – जो किसी अन्य योजना में उपलब्ध नहीं है।” हालांकि, उनके अनुसार, भविष्य में यह टैक्स सिस्टम बदल सकता है।
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मान लीजिए कि एक 30 वर्षीय व्यक्ति 1 लाख रुपये हर महीने कमा रहा है। ईपीएफ में योगदान करते हुए एनपीएस और पीपीएफ में निवेश करना शुरू करता है।
ईपीएफ के लिए, 50,000 रुपये के बेसिक सैलरी पर कुल 7,835 रुपये (कर्मचारी से 12% और नियोक्ता से 3.67% सहित) का मंथली योगदान किया जाता है। 5% की अनुमानित वार्षिक सैलरी ग्रोथ के साथ, योगदान हर साल आनुपातिक रूप से बढ़ता है। 30 वर्षों में, इससे EPF की कुल राशि 2 करोड़ रुपये हो जाती है।
अब मान लीजिए, कोई व्यक्ति हर महीने एनपीएस अकाउंट पर 10 हजार रुपये का निवेश करता है, जो 8 फीसदी के अनुमानित वार्षिक रिटर्न पर 30 वर्षों में करीब 1.5 करोड़ रुपये हो जाता है।
वही, पीपीएफ की बात करें तो मंथली 12,500 रुपये ( 1.5 लाख रुपये सालाना) का निवेश 30 वर्षों में 1.5 करोड़ रुपये की राशि तक पहुंच सकता है।
इसका मतलब यह है कि इस व्यक्ति को रिटायरमेंट पर 5 करोड़ रुपये की राशि बनाने के लिए 30 वर्षों तक EPF में 7,835 रुपये, NPS में 10,000 रुपये और PPF में 12,500 रुपये मंथली निवेश करने होंगे। इसलिए अगर वह इन तीनों स्कीम्स में हर महीने 30,000 रुपये से थोड़ा अधिक निवेश कर रहा है, तो 5 करोड़ रुपये का टारगेट 30 वर्षों में हासिल किया जा सकता है।
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Taxflick के CFO गौरव शर्मा तीनों स्कीम्स की विस्तार से तुलना की हैं।
EPF सैलरीड कर्मचारियों के लिए एक रिटायरमेंट प्लान है, जिसका रिटर्न मौजूदा समय में प्रति वर्ष 8.25% है। निवेशक वार्षिक 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट के पात्र हैं और पूरी राशि मेच्योरिटी पर टैक्स-फ्री होती है। अगर कोई 30 वर्ष की उम्र से हर महीने EPF में 27,000 रुपये का निवेश करता है, तो वह 60 वर्ष की उम्र तक करीब 97 लाख रुपये का निवेश करके 5 करोड़ रुपये तक का फंड बना सकता है।
पीपीएफ लॉन्गटर्म बचत योजना है, जो मौजूदा समय में 7.1% का वार्षिक रिटर्न देती है। हालांकि, इसकी वार्षिक निवेश सीमा 1.5 लाख रुपये है, जिसके कारण इसमें 5 करोड़ रुपये का फंड बनाना संभव नहीं है।
गौरव शर्मा कहते हैं, “अगर कोई निवेशक सुरक्षित और टैक्स-फ्री विकल्प चाहता है, तो ईपीएफ और पीपीएफ बेहतर हैं, लेकिन रिटर्न कम होगा। वहीं, एनपीएस में थोड़ा रिस्क है, लेकिन रिटर्न की संभावना अधिक है।”
दोनों एक्सपर्ट का मानना है कि किसी एक योजना पर निर्भर रहना समझदारी नहीं है। शर्मा इन तीनों योजनाओं में हर महीने 30,000 रुपये निवेश करने का सुझाव देते हैं। उनका मानना है कि इससे रिस्क संतुलित रहेगा और टैक्स की बचत होगी और लंबी अवधि में अच्छा, टैक्स-मुक्त रिटर्न मिल सकता है।
अगर आपका गोल 5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड बनाने का है, तो NPS एक आकर्षक विकल्प हो सकता है, बस इसके लिए एक शर्त है कि आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव का डर न हो। वही, ईपीएफ और पीपीएफ उन लोगों के लिए अधिक आकर्षक हैं, जो गारंटीड रिटर्न और कम रिस्क चाहते हैं।
यह काफी जरूरी है कि निवेशक केवल पिछले रिटर्न के आधार पर निर्णय न लें। जैसा कि धाड़ीवाल कहते हैं, “पिछले रिटर्न भविष्य की गारंटी नहीं हैं, निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति, रिस्क उठाने की क्षमता और लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए फैसला लें।”
इसलिए, 2025 में अपने निवेश का प्लान बनाते समय, एक संतुलित पोर्टफोलियो अपनाना बेहतर होगा।
[डिस्क्लेमर: ये आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। Jansatta.com अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।]