भारत का रक्षा बजट वर्ष 2047 तक 31.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, जिसमें कुल रक्षा बजट बढ़कर 31.7 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। यह 2024-25 में आवंटित 6.8 लाख करोड़ रुपये से काफी अधिक है, जो अगले दो दशकों में करीब 5 गुना ग्रोथ को दर्शाता है। Confederation of Indian Industry (CII) और KPMG की ज्वाइंट स्टडी रिपोर्ट में इसका अनुमान लगाया गया है। यह सुनकर पाकिस्तान की नींद उड़ने वाली है।
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश के डिफेंस प्रोडक्शन में भी काफी ग्रोथ होने की उम्मीद है। 2024-25 में 1.6 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2047 तक इसके 8.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। देश अपने डिफेंस एक्सपोर्ट का विस्तार करने का भी लक्ष्य बना रहा है, जो मौजूदा 30,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 2.8 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है।
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रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि आने वाली रक्षा रणनीति का फोकस कुल बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure) का हिस्सा बढ़ाना है। यह हिस्सा 2024-25 में 27% से बढ़कर 2047 तक 40% होने की उम्मीद है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नॉलाजी में अधिक निवेश का संकेत देता है। रक्षा में अनुसंधान और विकास (R&D) पर भारत का खर्च भी बढ़ेगा, जो 4% से बढ़कर 8-10 प्रतिशत के बीच हो जाएगा।
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रक्षा पर खर्च किए जाने वाले सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिशत 2 प्रतिशत से बढ़कर 2047 तक 4-5 प्रतिशत होने की उम्मीद है। इन डवलपमेंट से रक्षा व्यय ( Defence Expenditure) में भारत की ग्लोबल स्थिति में सुधार होने की संभावना है। वर्तमान में चौथे स्थान पर काबिज भारत के 2047 तक तीसरे स्थान पर पहुंचने का अनुमान है।
हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर भी फोकस किया गया है कि जरूरी टेक्नॉलाजी के लिए डिफेंस इंपोर्ट पर निर्भरता एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है, जो घरेलू डिफेंस मैनुफेक्चरिंग सेक्टर और इनोवेशन में बाधा डाल रही है।
निजी उद्योग की भूमिका को हाइलाइट करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना जरूरी है, लेकिन जटिल है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर को डिफेंस मैनुफैक्चरिंग डोमेन में एंटर करने और बने रहने के लिए प्रोत्साहन और समर्थन की जरूरत है।