बड़ी ऑर्डर बुक वाली कंपनियों में निवेश करना ऐसा है जैसे अच्छी जमीन में बीज बोना। अगर थोड़ा वक्त, ध्यान और सही माहौल मिले, तो वहाँ से अच्छी और टिकाऊ फसल (मुनाफा) मिलती है। ऐसी कंपनियों के पास पहले से ही बहुत सारे काम (ऑर्डर) होते हैं, जिससे आगे कमाई की उम्मीद रहती है और निवेशक को भरोसा मिलता है। रेलवे का सेक्टर इस वक्त बहुत अच्छा लग रहा है। सरकार रेलवे को बेहतर बनाने, माल ढुलाई तेज करने और शहरों में ट्रांसपोर्ट सुधारने पर जोर दे रही है। इसलिए रेलवे कंपनियों को ढेर सारे नए काम (ऑर्डर) मिल रहे हैं।

ICRA रिपोर्ट कहती है कि 2026 तक इनका मुनाफा हर साल करीब 5% बढ़ेगा और अच्छा बना रहेगा। इस लेख में हम 5 सबसे बड़ी रेलवे कंपनियों को देखेंगे जिनके पास सबसे ज्यादा ऑर्डर हैं।

ये कंपनियां रेलवे की बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम करती हैं। IRCTC और IRFC को नहीं लिया गया, क्योंकि उनका बिजनेस ऑर्डर बुक पर नहीं चलता, वो सर्विसेज देती हैं। ये कंपनियाँ दिखाती हैं कि भारत का रेल सपना धीरे–धीरे हकीकत बन रहा है।

भारत सरकार द्वारा साल 2003 में रेल विकास निगम (RVNL) की स्थापना की गई थी। यह रेल मंत्रालय द्वारा सौंपी गई विभिन्न प्रकार की रेल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन में लगा हुआ है। इनमें नई लाइनें, प्रमुख ब्रिज और प्रोडक्शन यूनिट्स आदि शामिल हैं। कंपनी रेल मंत्रालय के साथ किए गए रियायत समझौते के अनुसार भारतीय रेलवे के साथ माल ढुलाई रेवेन्यू (Freight Revenue) भी शेयर करती है।

1 अप्रैल, 2025 तक RVNL के ऑर्डर बुक का साइज करीब 1 लाख करोड़ रुपये था। इसमें भारतीय रेलवे द्वारा आवंटित प्रोजेक्ट के 45,000 करोड़ रुपये और प्रतिस्पर्धी बोलियों के 55,000 करोड़ रुपये शामिल थे।

कंपनी का भविष्य स्थिर है, लेकिन उतार-चढ़ाव से भरा है। रेलवे को एलोकेट ऑर्डर कुछ वर्ष पहले के 1.15 लाख करोड़ रुपये से घटकर आज 45,000 करोड़ रुपये रह गए हैं। आरवीएनएल सभी क्षेत्रों में नई बोलियों की तलाश करके इसकी भरपाई कर रहा है। इसकी ऑर्डर बुक का लगभग 45% हिस्सा रेलवे से संबंधित है।

EPS गतिविधियों पर निर्भरता कम करने के लिए, RVNL मेट्रो ऑपरेशन, ऊर्जा और डेटा केंद्रों में प्रवेश कर रहा है। यह विविधीकरण कड़ी प्रतिस्पर्धा से निपटने और मार्जिन की सुरक्षा के लिए है, जो कंपनी के रिस्क भरे, बोली-आधारित प्रोजेक्ट की ओर बढ़ने के कारण खतरे में बने हुए हैं।

मैनेजमेंट को वित्त वर्ष 2026 में 21,000 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है, जिसमें धीरे-धीरे सुधार की संभावना है। कंपनी विदेशों में भी विस्तार कर रही है और मौजूदा समय में उसके विदेशी ऑर्डर 4,000 करोड़ रुपये के हैं। RVNL इसे मौजूदा स्तर से दो से तीन गुना तक ले जाना चाहता है।

कुल मिलाकर, आरवीएनएल एक सुरक्षित, रेलवे-केंद्रित कंपनी से एक विविध इन्फ्रा कंपनी के रूप में विकसित हो रही है। विकास के अवसर उत्साहजनक हैं, लेकिन कार्यान्वयन रिस्क और मार्जिन दबाव पर नजर रखना जरूरी है।

आज यानी बुधवार 9 जुलाई 2025 को कंपनी का शेयर 1:34PM तक 0.08% की तेजी के साथ 386.75 रुपये के स्तर पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी का स्टॉक आज अपने पिछले बंद 386.45 रुपये के मुकाबले तेजी के साथ 387.30 रुपये के स्तर पर खुला। कंपनी का मार्केट कैप (9 जुलाई 2025 तक) 80,565.18 करोड़ रुपये है। इसका 52 सप्ताह का उच्चतर स्तर 647 रुपये और 52 सप्ताह का निचला स्तर 295.25 रुपये है।

बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पिछले 1 सप्ताह में इस शेयर में 1.40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 1 महीने में कंपनी के शेयर में करीब 10.39 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 1 साल में इस कंपनी के स्टॉक में करीब 28.73 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। हालांकि, पिछले 3 साल में इस कंपनी के स्टॉक में करीब 1148.71 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

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बीईएमएल डिफेंस फोर्स के लिए व्हीकल बनाती है। इसके अलावा, यह मेट्रो सिस्टम और भारतीय रेलवे के लिए कोच भी बनाती है।

1 अप्रैल, 2025 तक, बीईएमएल की ऑर्डर बुक 22,000-23,000 करोड़ रुपये की थी। FY25 में इसमें 6,800 करोड़ रुपये की ग्रोथ हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 28% की ग्रोथ थी। लगभग 60% हिस्सा रेल और मेट्रो से आता है, जबकि माइनिंग और डिफेंस का कॉन्ट्रिब्यूशन 40% है। माइनिंग से 20% मिलने की संभावना है।

फर्म 20% CAGR की उम्मीद कर रही है और अगले कुछ वर्षों में अपनी ऑर्डर बुक को दोगुना करने की योजना बना रही है। बैंगलोर मेट्रो, एलएचबी कोच डिलीवरी और संभवतः बड़े MRVS ऑर्डर के साथ रेल और मेट्रो ऑर्डर बढ़ेंगे। बैंगलोर और भोपाल में नई क्षमताएं BEML को दो से तीन वर्षों में प्रति वर्ष 750-800 कारों तक की शिपिंग करने में सक्षम बनाएंगी।

डिफेंस की बात करें तो बीईएमएल हाई-मोबिलिटी व्हीकल ऑर्डर और वार-बुक खरीद के ठोस एग्जीक्यूशन की उम्मीद कर रही है। यह सेगमेंट FY26 में दोगुने से अधिक हो सकता है। बीईएमएल वाहन प्लेटफार्मों से सिस्टम-स्तरीय डिलीवरी की ओर बढ़ रही है और “सस्टेनेंस” पर अधिक जोर दे रही है, जो पहले से ही रेवेन्यू का 26% हिस्सा है और 30% को पार करने की संभावना है।

योजना अच्छी है, लेकिन समय पर कार्यान्वयन, विविधीकरण में सफलता और ऑपरेशन संबंधी कठिनाइयों पर काबू पाने पर निर्भर है।

आज कंपनी का शेयर 1:47PM तक 2.76% की तेजी के साथ 4652 रुपये के स्तर पर ट्रेड हो रहा है। इसका 52 सप्ताह का उच्चतर स्तर 5,257.25 रुपये और 52 सप्ताह का निचला स्तर 2,346.35 रुपये है। कंपनी का मार्केट कैप (9 जुलाई 2025 तक) 19,373.02 करोड़ रुपये है।

बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पिछले 1 सप्ताह में इस शेयर में 6.53 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। पिछले 6 महीने में कंपनी के शेयर में करीब 23.08 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

कंपनी ने 1976 में एक रेलवे निर्माण कंपनी के रूप में अपना कारोबार शुरू किया। आज, यह एक एकीकृत इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन पब्लिक सेक्टर के उपक्रम के रूप में कार्य करती है। 1 अप्रैल, 2025 को, इरकॉन इंटरनेशनल की ऑर्डर बुक 20,500 करोड़ रुपये की थी।

आज कंपनी का शेयर 1:54PM तक 0.05% की गिरावट के साथ 194.65 रुपये के स्तर पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी का मार्केट कैप (9 जुलाई 2025 तक) 18,307.14 करोड़ रुपये है। इसका 52 सप्ताह का उच्चतर स्तर 351.65 रुपये और 52 सप्ताह का निचला स्तर 134.30 रुपये है।

बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पिछले 1 सप्ताह में इस शेयर में 3.23 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 2 सप्ताह में इस शेयर में -4.23 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 2 साल में कंपनी के शेयर में करीब 137.23 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

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टीटागढ़ रेल सिस्टम्स की स्थापना 1997 में हुई थी। यह कंपनी मुख्य रुप से मालवाहक वैगनों (Freight wagons) के निर्माण और बिक्री में लगी हुई है।

1 अप्रैल, 2025 तक, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स की स्टैंडअलोन ऑर्डर बुक लगभग 11,200 करोड़ रुपये की थी। इसके अलावा, ज्वाइंट वेंचर ऑर्डरों में इसका हिस्सा 13,326 करोड़ रुपये था। यह रेलवे क्षेत्र, जैसे मालगाड़ी के डिब्बे, मेट्रो कोच और वंदे भारत ट्रेनों से लगभग 70% रेवेन्यू उत्पन्न करता है।

वित्त वर्ष 2025 में, टीटागढ़ ने 9,431 वैगनों का निर्माण किया, जो भारत में अब तक का सर्वोच्च स्तर है। हालांकि व्हीलसेट की कमी के कारण देरी हुई, लेकिन जून 2025 से आपूर्ति सामान्य होने की उम्मीद है। वैगन प्रोडक्शन क्षमता 12,000 यूनिट प्रति वर्ष है और 4,000-4,500 करोड़ रुपये की रेवेन्यू क्षमता है।

टीटागढ़ सुरक्षा और सिग्नलिंग प्रणालियों और जहाज निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख रहा है। फाल्टा में एक नया शिपयार्ड विकसित किया जा रहा है, जिसकी रणनीति और पूंजीगत व्यय योजना जल्द ही प्रस्तुत की जाएगी।

आज कंपनी का शेयर 2:01PM तक 0.51% की तेजी के साथ 948.35 रुपये के स्तर पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी का मार्केट कैप (9 जुलाई 2025 तक) 12,771.79 करोड़ रुपये है। इसका 52 सप्ताह का उच्चतर स्तर 1,843.95 रुपये और 52 सप्ताह का निचला स्तर 655.30 रुपये है।

बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पिछले 1 सप्ताह में इस शेयर में -0.17 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 2 सप्ताह में इस शेयर में 2.66 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। पिछले 1 साल में कंपनी के शेयर में करीब 47.08 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

राइट्स की स्थापना 1974 में हुई थी। यह एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। 1 अप्रैल, 2025 तक, राइट्स के पास 8,900 करोड़ रुपये का सर्वकालिक रिकॉर्ड ऑर्डर बुक था। निर्यात ऑर्डर 1,350 करोड़ रुपये के थे। परामर्श ऑर्डर 3,000 करोड़ रुपये के थे। टर्नकी ऑर्डर लगभग 4,200 करोड़ रुपये के थे। लगभग 70% रेवेन्यू रेलवे से आता है।

वर्ष 2026 में कंपनी का रेवेन्यू 20% बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें EBITDA मार्जिन 20% और PAT मार्जिन 15-16% होगा। मैनेजमेंट इस ऑर्डर बुक को रेवेन्यू में बदलने के लिए त्वरित निष्पादन (instant execution) पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

दो सुस्त वर्षों के बाद निर्यात में सुधार होगा। मोज़ाम्बिक और बांग्लादेश में डिलीवरी FY26 में शुरू होगी। राइट्स हर तिमाही में एक निर्यात ऑर्डर और प्रतिदिन एक से अधिक कुल ऑर्डर प्राप्त करना चाहता है।

राइट्स भविष्य के वर्षों में अपने रिकॉर्ड रेवेन्यू और लाभ का लक्ष्य बना रहा है। संभावनाएं अच्छी हैं, लेकिन सफलता क्रियान्वयन, मार्जिन सुरक्षा और ऑर्डर मिक्स अनुशासन पर निर्भर करेगी।

आज कंपनी का शेयर 2:07PM तक 0.25% की गिरावट के साथ 279.90 रुपये के स्तर पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी का मार्केट कैप (9 जुलाई 2025 तक) 13,452.10 करोड़ रुपये है। इसका 52 सप्ताह का उच्चतर स्तर 396.80 रुपये और 52 सप्ताह का निचला स्तर 192.30 रुपये है।

बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पिछले 1 सप्ताह में इस शेयर में -5.13 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 1 महीने में कंपनी के शेयर में करीब 7.39 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इस स्टॉक ने अपने निवेशकों को पिछले 3 महीने में करीब 29.82 फीसदी का रिटर्न दिया है। हालांकि, पिछले 1 साल में इस कंपनी के स्टॉक में करीब 24.60 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले 3 साल में इस कंपनी के स्टॉक में करीब 134.13 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

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