HDFC बैंक के सीईओ और एमडी शशिधर जगदीशन (Sashidhar Jagdishan) पर गंभीर आरोप लगे हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMMT) ने फाउंडर/स्थायी ट्रस्टी चारुबेन किशोर मेहता के हवाले से बोलते हुए कहा कि जगदीशन और उनके सहयोगी उनके दिवंगत पति किशोर कीर्तिलाल मेहता की मृत्यु के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। क्योंकि उन्होंने उन्हें “अत्यधिक मानसिक पीड़ा” दी थी।

ट्रस्ट ने एक बयान में कहा, ” एचडीएफसी बैंक के एमडी/सीईओ और अन्य लोग फाउंडर ट्रस्टी दिवंगत किशोर कीर्तिलाल मेहता के 84 वर्ष की उम्र में अत्यधिक मानसिक पीड़ा पहुंचाकर उनके निधन के लिए जिम्मेदार हैं। चारु किशोर मेहता, संस्थापक ट्रस्टी जिन्होंने किशोर मेहता के निधन से पहले 20.04.2024 को व्यक्तिगत रूप से एचडीएफसी बैंक के एमडी/सीईओ को पत्र लिखकर किसी भी विवाद को सुलझाने का प्रयास करने के लिए कहा था।”

बयान में कहा गया है कि प्राइवेट सेक्टर के ऋणदाता की कभी भी पैसे में रूचि नहीं थी, बल्कि वे सिर्फ 5 करोड़ रुपये के लोन पर दिवंगत किशोर मेहता को मानसिक रूप से परेशान करना चाहते थे, जिसे उन्होंने 2024 में अदालती डाक्यूमेंट में एक्सेप्ट किया था।

लीलावती ट्रस्ट ने एचडीएफसी बैंक पर किसी भी तरह की बकाया राशि होने से भी इनकार किया है। ट्रस्ट ने कहा, “उसने बैंक से कभी एक भी रुपया उधार नहीं लिया है और न ही वह उधार लेने वाली कंपनी से जुड़ा हुआ है। बैंक का प्रेस बयान सरासर झूठ से भरा हुआ है।”

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लीलावती ट्रस्ट ने साफ तौर पर इसे Previous illegal trustees के साथ मिलीभगत करके की गई एक साफ पहले से प्लान की गई हत्या बताया है, ताकि उन्हें अवैध रूप से ट्रस्ट पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिल सके। ट्रस्ट ने यह भी कहा कि वह आवश्यक एजेंसियों को मृत्यु प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करेगा, जो किशोर मेहता की मृत्यु की पुष्टि करेगा, जो अन्य कारणों के अलावा मानसिक पीड़ा से हुई है।

LKMMT के बयान में वेरीफाई किया गया है कि “एचडीएफसी बैंक के एमडी/सीईओ पर गैर इरादतन हत्या का आरोप है और उन्हें और अन्य लोगों को एलडी सेशन कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने एचडीएफसी बोर्ड, नियामकों या जनता को आज तक यह जानकारी नहीं दी है।”

पहले के एक बयान में एचडीएफसी बैंक ने ट्रस्ट द्वारा दर्ज FIR को “दुर्भावनापूर्ण और निराधार” बताया था, और कहा था कि यह “कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग” है। बैंक ने अपने सीईओ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें बेईमान व्यक्तियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है जो बैंक के लंबे समय से बकाया लोन की वसूली को विफल करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं।

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लीलावती ट्रस्ट ने शशिधर जगदीशन के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

ट्रस्ट द्वारा जारी लेटर के अनुसार, एमडी/सीईओ पर आरोप है कि

– 2 करोड़ रुपये की रिश्वत स्वीकार की,

– ट्रस्ट के फाउंडर ट्रस्टियों की जानकारी या सहमति के बिना ट्रस्ट से 48 करोड़ रुपये जमा और बांड प्राप्त किए,

– ट्रस्ट की सुविधाओं से निःशुल्क चिकित्सा उपचार लिया हो, और

– कथित तौर पर सबूत नष्ट करने के लिए डॉक्टरों को रिश्वत के रूप में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व ( csr ) फंड के 1.5 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया गया ।

ट्रस्ट ने दावा किया है कि बैंक के सीईओ ने अपने सार्वजनिक बयानों में इनमें से किसी भी आरोप का सीधे तौर पर खंडन नहीं किया है। ट्रस्ट ने कहा, “वे मुफ्त इलाज, जमा या CSR ऑफर से इनकार नहीं कर सकते। हमारे पास इन सभी मुद्दों के लिए दस्तावेजी सबूत हैं।”

ट्रस्ट ने जगदीशन पर एचडीएफसी बोर्ड, सेबी और अन्य नियामकों को भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की विभिन्न धाराओं – जिसमें धारा 406, 409, 420 और 34 शामिल हैं – के तहत उनके खिलाफ दर्ज FIR के बारे में सूचित करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया, जो आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और षड्यंत्र से संबंधित हैं।

हालांकि, ट्रस्ट ने कहा कि उसे एचडीएफसी बैंक से कोई शिकायत नहीं है।