Bihar Elections: मैं बिहार हूं, राजनीति की रग-रग से वाकिफ हूं, नेताओं को मुख्यमंत्री बनते देखा है, कुछ को पीएम बनने के सपने बुनते भी पाया है, लेकिन ऐसा कोई नहीं देखा जिसके लिए पाकिस्तान की दीवारों पर भी नारे उकेर दिए गए हों। हैं एक नेता जो राजनीति करना भी जानते हैं और सत्ता पर काबिज होने की कला तो लगता है विरासत में लेकर आए हैं। नीतीश कुमार नाम है, 20 सालों से सीएम हैं। मैं बिहार हूं, इन्हीं नीतीश कुमार की अनसुनी कहानी बताता हूं-

बात साल 2012 की है जब पाकिस्तान की एक डेलिगेशन भारत आई थी, उसने बिहार का दौरा किया था और सीएम नीतीश कुमार ने उनकी जबरदस्त मेजबानी की। असल में पाकिस्तान से 18 लोगों का ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री डेलिगेशन बिहार पहुंचा था। उस डेलिगेशन ने ही तब नीतीश कुमार को भी पाकिस्तान आने का न्योता दिया। अब नवंबर 2021 में ऐसा हुआ भी और नीतीश कुमार अपने डेलिगेशन के साथ आठ दिनों के लिए पाकिस्ता दौरे पर गए।

उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी थे, सत्ता में आने का ख्वाब इमरान खान देख रहे थे। नीतीश कुमार को ऐसा स्वागत मिला जो शायद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। आजादी के बाद शायद ही भारत के किसी नेता को ऐसा सम्मान पाकिस्तान में मिला था। नीतीश कुमार के साथ उस दौरे पर तब के बिहार विधानसभा के स्पीकर उदय नारायण चौधरी, बिहार की उद्योग मंत्री रेणु कुशवाहा, कला एवं संस्कृति मंत्री सुखदा पांडेय, राज्य सवर्ण आयोग के सदस्य मोहम्मद अब्बास, जेडीयू से राज्यसभा के सांसद एन के सिंह जैसे कई नेता और अधिकारी गए थे।

बिहार के पहले चुनाव की कहानी

राजकमल प्रकाशन से आई किताब ‘नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नजर से’ और संकर्षण ठाकुर की किताब ‘द ब्रदर्स बिहारी’ में नीतीश कुमार के इसी पाक दौरे के बारे में काफी कुछ बताया गया है। राजकमल वाली किताब से एक काफी दिलचस्प किस्सा पता चला है। नीतीश कुमार को इमरान खान ने दावत पर बुलाया था। उस समय उनकी पार्टी पीटीआई को बने तो ज्यादा समय नहीं हुआ था, लेकिन फिर सपने देखे जा रहे थे कि वे पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं।

अब जिस समय नीतीश ने पाकिस्तान की धरती पर कदम रखा था, इमरान के पक्ष में समर्थक माहौल बना रहे थे। दीवारों पर नारे छाप रखे थे- पाकिस्तान का होनेवाला प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ज़िन्दाबाद। अब पाकिस्तान की धरती पर इमरान के पक्ष में नारेबाजी किसी को हैरान नहीं करने वाली थी। अगर बात सिर्फ यहां पर थम जाती, शायद नीतीश का यह दौरा किसी को याद भी नहीं रहता। लेकिन सियासत ऐसी चीज है कि इसने पाकिस्तान में भी जबरदस्त गुल खिलाया।

बिहार के दूसरे चुनाव की कहानी

इमरान के समर्थन में तो नारे लगे ही, नीतीश कुमार को लेकर भी पाकिस्तान की दीवारों पर लिख दिया गया- हिन्दुस्तान का होने वाला प्रधानमंत्री नीतीश कुमार जिन्दाबाद। अब किसी गांव की दीवार पर ऐसा लिखा था, इसका पाकिस्तान में तो कोई मतलब नहीं, लेकिन भारत की राजनीति में, बिहार की सियासत में इसके मायने जबरदस्त थे। नीतीश की पीएम बनने की चाह कभी किसी से छिपी नहीं थी, लेकिन उस चाह का एक ट्रेलर पाकिस्तान में देखने को मिलेगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।

वैसे नीतीश कुमार के लिए निजी तौर पर पाकिस्तान का वो दौरा किसी दूसरे कारण से ज्यादा खास था। वे चारणक्य की भूमि तक्षशिला जाना चाहते थे, उनका पहले से मन था, ऐसे में पाकिस्तान ने उनकी उस इच्छा को पूरा किया था। संकर्षण ठाकुर की किताब ‘द ब्रदर्स बिहारी’ में लिखा है कि नीतीश कुमार को पाकिस्तान में सबसे बेहतरीन जगह Jaulian लगी थी, यह वही जगह है जहां चाणक्य ने 3000 साल पहले पढ़ाया था। इसके ऊपर तक्षिला में सीएम नीतीश की नजर Buddha Stucco पर भी पड़ी थी। इस Buddha Stucco को लेकर कहा जाता है कि अगर उनके कान में अपनी कोई भी इच्छा बोली जाएगी तो वो जरूर पूरी होती है।

बिहार के तीसरे चुनाव की कहानी

अब नीतीश कुमार भी अपनी इच्छा उनके कान में बोलना चाहते थे। लेकिन संकर्षण ठाकुर बताते हैं कि ऐसा करना सीएम के लिए आसान नहीं था। असल में कई कैमरमैन वहां मौजूद थे, सभी उनकी तस्वीर क्लिक करना चाहते थे। अब प्रोटोकॉल का सम्मान करते हुए नीतीश कुमार ने Buddha Stucco के साथ तस्वीरें क्लिक भी करवाईं। लेकिन फिर उन्होंने मजाकिया अंदाज में बोला- अगर आप लोग मुझे अकेला छोड़ेंगे तो मैं सच में कोई इच्छा व्यक्त करना चाहता हूं। अब ऐसा हुआ भी, सब चले गए और करीब एक मिनट तक नीतीश कुमार ने अपनी इच्छा Buddha Stucco के कान में बताई।

वैसे Jaulian में एक मोनैस्ट्री भी है जो काफी ऊंचाई पर जाकर है, खड़ाई चढ़ाई भी वहां रहती है। नीतीश कुमार को वहां पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उनकी सांस फूल रही थी, एक बार तो उन्होंने कह दिया कि ये सब अच्छा नहीं लग रहा है। जब भी मैं सुबह अपनी एक्सरसाइज नहीं कर पाता हूं, ऐसा ही होता है। अगर मैं अपना योगा कर रहा होता, एक बार में यहां चढ़ जाता। लेकिन पाकिस्तान में मेरा कार्यक्रम ऐसा रहा है कि मुझे किसी दूसरी चीज का टाइम ही नहीं मिला।

ये भी पढ़ें- राबड़ी देवी के लिए लालू यादव कैसे बन गए ‘साहेब’