नीट यूजी 2025 परीक्षा में शामिल होने वाले लाखों उम्मीदवार इन दिनों रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 4 मई को देशभर में आयोजित की गई इस परीक्षा में 20 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए। एनटीए ने 3 जून को इसकी प्रोविजनल आंसर की जारी की जिस पर कैंडिडेट्स ने 5 जून तक आपत्ति दर्ज कराई। अब उम्मीदवारों को रिजल्ट का इंतजार है। यह इंतजार जल्द ही खत्म होगा। माना जा रहा है कि नीट यूजी 2025 का रिजल्ट 14 जून के आसपास जारी किया जा सकता है।
बता दें कि नीट यूजी पास करने वाले अधिकतर कैंडिडेट्स MBBS में दाखिला लेंगे, लेकिन हम आपको इस आर्टिकल में MBBS के अलावा क्या ऑप्शन हैं इसके बारे में जानकारी देंगे। नीट यूजी क्वालीफाई करने के बाद अगर आपको MBBS में एडमिशन नहीं लेना है या फिर एडमिशन नहीं होता है तो आप और भी विकल्प रखकर चल सकते हैं। नीट यूजी पास करने के बाद MBBS के अलावा स्टूडेंट्स डेंटल, फार्मेसी, नर्सिंग और बायोटेक्नोलॉजी जैसी फील्ड में भी अपना करियर बना सकते हैं।
यूपी पुलिस में आने वाली है बंपर वैकेंसी, 23 हजार से अधिक रिक्त पदों के लिए अगले हफ्ते आ सकता है नोटिफिकेशन
बैचलर ऑफ फार्मेसी (बीफार्मा): नीट यूजी क्वालीफाई करने वाले कैंडिडेट एमबीबीएस के अलावा इस फील्ड में भी अच्छा करियर बना सकते हैं। यह ऐसी फील्ड है कि आप इसमें अपना बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। बीफार्मा दवा विकास, औषध विज्ञान, नैदानिक अनुसंधान और विनियामक मामलों पर चार साल का कोर्स है।
इस कोर्स को करने के लिए छात्रों को फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी या फिर फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ जैसे विषयों के साथ 12वीं में कम से कम 50 फीसदी मार्क्स प्राप्त होने चाहिए। आरक्षित वर्ग के लिए यह 45 फीसदी है। हालांकि कुछ संस्थान इसके लिए भी नीट यूजी पास मांगते हैं। भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग काफी फैला हुआ है। इसमें अच्छी नौकरी के साथ-साथ आप अपना बिजनेस करके लाखों कमा सकते हैं।
BSc नर्सिंग: नीट यूजी के बाद आप नर्सिंग में भी करियर बना सकते हैं। Bsc नर्सिंग चार वर्षीय प्रोग्राम है जिसमें छात्रों को क्लिनिकल केयर, पब्लिक हेल्थ और हॉस्पीटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है। इस कोर्स के लिए योग्यता यही है कि फिजिक्स केमिस्ट्री और बायोलॉजी के साथ 12वीं में 50 फीसदी या उससे ऊपर मार्क्स होने चाहिए।
बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस): बीडीएस पांच साल की पेशेवर डिग्री है जिसमें चार साल की एकेडमिक पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप शामिल है। यह डेंटल मेडिसिन, ओरल सर्जरी, प्रोस्थोडोन्टिक्स और कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री पर केंद्रित है।
इसमें प्रवेश पाने के लिए छात्रों को NEET UG पास करना होता है। साथ ही 12वीं में PCB के साथ 50 फीसदी मार्क्स होने चाहिए। भारत में 27,000 से ज़्यादा बीडीएस सीटें हैं, जो 1.05 लाख एमबीबीएस सीटों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हैं।
आयुर्वेद चिकित्सा और शल्य चिकित्सा में स्नातक (BAMS): 5.5 साल का यह कोर्स आयुर्वेद पर आधारित है, जो भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है। इसमें आयुर्वेदिक दर्शन, निदान और हर्बल उपचारों को समकालीन शरीर रचना विज्ञान और शरीर विज्ञान के साथ मिश्रित किया गया है। छात्रों को NEET UG उत्तीर्ण होना चाहिए और नामांकन के लिए पात्र होने के लिए अपने 10+2 पाठ्यक्रम में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में कम से कम 50 प्रतिशत अंक अर्जित करने चाहिए।
बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी (BPT): यह चार साल का प्रोग्राम कोर्स है जिसमें छह महीने की इंटर्नशिप शामिल है। यह छात्रों को बायोमैकेनिक्स, चिकित्सीय व्यायाम और फिजिकल रिहैबिलेशन सिखाता है। इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए उम्मीदवारों को 12वीं में PCB के साथ कम से कम 50 फीसदी मार्क्स प्राप्त किए होने चाहिए। जबकि कई कॉलेज मेरिट-आधारित या राज्य प्रवेश परीक्षा का उपयोग करते हैं, कुछ राज्यों में नीट के आधार पर भी एडमिशन मिलता है।
भारत का फिजियोथेरेपी मार्केट 2028 तक 1 बिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है, जो कि बढ़ती उम्र, गतिहीन जीवन शैली और खेल चोटों के परिणामस्वरूप भौतिक चिकित्सा की मांग को बढ़ाता है। विशेषज्ञ और निजी चिकित्सक 8 से 15 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाते हैं, जबकि शुरुआती वेतन 2 से 6 लाख रुपये प्रति वर्ष तक होता है।