बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट हाल ही में 60 साल के हुए हैं और इस दौरान उन्होंने मीडिया से अपनी गर्लफ्रेंड गौरी को मिलवाया। एक्टर इसके बाद से अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर लगातार सुर्खियों में आ गए। हालांकि, अब उन्होंने एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ से हटकर अपनी प्रोफेशनल लाइफ को लेकर बात की है। जस्ट टू फिल्मी यूट्यूब चैनल से एक्टर ने अपनी मूवीज को लेकर कई किस्से शेयर किए और इस दौरान उन्होंने साल 2006 में रिलीज हुई हिट मूवी ‘रंग दे बसंती’ से जुड़ा किस्सा शेयर किया।

इस मूवी में आमिर खान के साथ शरमन जोशी, कुणाल कपूर, सोहा अली खान समेत कई स्टार्स दिखाई दिए थे। आमिर ने शेयर किया कि इस मूवी का असली मैसेज ये था कि हिंसा से कुछ भी हासिल नहीं होता। सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए व्यक्ति को सिस्टम के अंदर शांतिपूर्वक काम करना चाहिए। बता दें कि इस मूवी का निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया था।

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आमिर ने इंटरव्यू में यह भी शेयर किया कि ‘रंग दे बसंती’ का ओरिजनल क्लाइमैक्स और जो दर्शकों ने देखा था, उसमें बहुत अंतर था। एक्टर ने कहा, “ओरिजनल स्क्रिप्ट में मिनिस्टर को गोली मारने के बाद सभी तितर-बितर हो जाते हैं, क्योंकि वे गिरफ्तार नहीं होना चाहते, इसलिए वे भाग जाते हैं। आखिर में उनमें से हर एक को पकड़ लिया जाता है और फिर मार दिया जाता है। मेरा सवाल था कि अगर जब उन्हें पता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया, सब सही किया है, तो फिर वे क्यों भाग रहे हैं। उन्हें भागना नहीं चाहिए।”

इसके आगे एक्टर ने बताया, “फाइनल वर्जन में मंत्री की हत्या के बाद सभी इकट्ठा होते हैं और उन्हें पता चलता है कि उनकी योजना काम नहीं आई, क्योंकि मंत्री मरने के बाद भी हीरो बन गया। फिर उनके बीच झगड़ा होता है और सभी रेडियो स्टेशन जाते हैं। उन्हें लगता है कि लोगों से बात करने की जरूरत है। जैसे भगत सिंह ने अपने समय में किया था, वे रेडियो के जरिए से ऐसा करते हैं। सबसे जरूरी बात, वे समझाते हैं कि उन्होंने भी सोचा था कि हिंसा ही समाधान है, लेकिन सच में ऐसा नहीं है। यह पहली फिल्म है, जो साफ रूप से बताती है कि हिंसा समाधान नहीं है।”

‘रंग दे बसंती’ फिल्म का स्पेशल मैसेज समझाते हुए आमिर ने कहा, “कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता, आपको परफेक्ट बनाना पड़ता है। बाहर के लोग आकर आपके देश की गंदगी को साफ नहीं करेंगे, आपको खुद अपने हाथ से सफाई करनी होगी। सिस्टम का हिस्सा बनें और उसे अंदर से बदलें, यही फिल्म का मेन आईडिया था।

आमिर ने साथ ही यह भी बताया कि कहानी का क्लाइमैक्स टीवी स्टेशन में था, वो एक आइडिया था। मैंने मेहरा से कहा कि हम लोग उस आइडिया को इसमें डाल देते हैं। फिर हमने क्लाइमैक्स को फिर से लिखा और इस बार सभी भागने के बजाय रेडियो स्टेशन पहुंचते हैं और वहां पर उनकी मौत होती है, लेकिन मरने से पहले वे अपनी बात कह जाते हैं।

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