पिछले कुछ महीनों से हिंदी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं कर पा रही हैं। सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ से उम्मीद लगाई जा रही थी, मगर ये फिल्म भी चार दिनों में बॉक्स ऑफिस पर सुस्त पड़ गई है। मगर इन दिनों पुरानी फिल्मों को दोबारा थिएटर में रिलीज करने का चलन चल पड़ा है और फिल्में री-रिलीज पर अच्छा बिजनेस भी कर रही हैं। ऐसे में फिल्म डायरेक्टर तिग्मांशु धूलिया का मानना है कि ये सब टिकट के दामों के कारण हो रहा है।
तिग्मांशु धूलिया की मानें तो साउथ में फिल्में इसलिए चल पाती हैं क्योंकि वहां टिकट की कीमतों पर एक लिमिट लगी है, जो हिंदी इंडस्ट्री में नहीं है। एएनआई के साथ खास बातचीत में तिग्मांशु धूलिया ने कहा कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री अब भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है क्योंकि कॉरपोरेट्स उनके वर्क कल्चर पर हावी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा,”साउथ अभी भी अच्छा है क्योंकि कॉरपोरेट्स ने वहां एंट्री नहीं की है। उन्होंने ओटीटी में जगह बनाई है, फीचर फिल्मों में ज्यादा नहीं। वहां केवल पुराने निर्माता हैं, वहां दोस्ती यारी में ही काम होता है।”
इसके बाद उन्होंने बताया कि नई हिंदी फिल्मों की हाई टिकट प्राइस के कारण दर्शक थिएटर जाना अब कम करने लगे हैं। मगर साउथ की फिल्मों के साथ ऐसा नहीं है। धूलिया ने कहा कि री-रिलीज की गई हिंदी फिल्में सस्ती टिकट कीमतों के कारण अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और यही कारण है कि नेशनल सिनेमा डे पर सिनेमाघर खचाखच भरे होते हैं क्योंकि उस दिन टिकट की कीमत सिर्फ 100 रुपये होती है।
धूलिया ने कहा, “साउथ के सिनेमाघरों की औसत क्षमता 75% है, लेकिन हिंदी में 25% है, क्योंकि वहां टिकट रेट पर सीमा है। आप यहां जो भी कीमत रख सकते हैं। टिकट की कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि कोई क्यों फिल्म देखने जाएगा? हर शहर में ट्रैफिक बढ़ रहा है, इसलिए लोग फिल्म देखने से बचना चाहते हैं। जब सिनेमा दिवस होता है और टिकट की कीमतें 100 रुपये तक कम हो जाती हैं, तो हर थिएटर भरा होता है। जो फिल्में चलीं, वे केवल सस्ती टिकट कीमतों के कारण थीं, जिनमें ‘तुम्बाड’, ‘सनम तेरी कसम’ और ‘रॉकस्टार’ शामिल हैं। ये जब रिलीज हुई थीं तो फ्लॉप थीं।”
तिग्मांशु ने आगे कहा, “इसके पीछे लालच ही कारण है। वे फिल्म की टिकट दर नहीं बेच रहे हैं, वे पार्किंग, पॉपकॉर्न, टैकोस और समोसा टिकट बेच रहे हैं, और फिल्में बाद में आती हैं। उनका पूरा पैसा रियल एस्टेट पर है, जहां एक खास मल्टीप्लेक्स बनाया गया है। वे इसे बड़ी टीवी स्क्रीन पर दिखा रहे हैं, फिल्म स्क्रीन इस तरह नहीं होनी चाहिए। जाओ और एक स्क्रीन पर इसका अनुभव करो।”