Priya Rajvansh: बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रिया राजवंश की मौत को 25 साल हो गए हैं, ‘हीर रांझा’ से मशहूर हुईं एक्ट्रेस जितनी खूबसूरत थीं उनकी जिंदगी उतनी ही दर्दभरी थी। जिस बंगले में वो अपने प्रेमी के साथ रहीं उनके जाने के बाद उसी बंगले में उनकी हत्या हो जाती है। आज हम आपको बताने वाले हैं प्रिया राजवंश की कहानी। जिनकी जिंदगी किसी फिल्म जैसी थी और उनकी फिल्मों में आने की कहानी भी फिल्मी थी। आइए जानते हैं प्रिया राजवंश की फिल्मों में आने की कहानी और इस दुनिया से जाने की दर्दभरी दास्तां।

प्रिया राजवंश एक अमीर घर में पैदा हुई थीं। प्रिया का जन्म शिमला में हुआ था, उनके पिता सरकारी अधिकारी थे और बेटा का नाम रखा वीरा सुंदर सिंह। वीरा की स्कूलिंग शिमला में ही हुई। फिर उनके पिता का ट्रांसफर किसी प्रोजेक्ट की वजह से लंदन में हुआ तो वीरा भी परिवार के साथ लंदन शिफ्ट हो गईं। यहां वीरा ने लंदन के रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स में दाखिला ले लिया। वीरा के परिवार का फिल्म इंडस्ट्री से दूर-दूर तक नाता नहीं था मगर वीरा की दिलचस्पी एक्टिंग में थीं और ड्रामेटिक आर्ट्स में पढ़ाई के दौरान ही उनके पास मॉडलिंग के ऑफर आने लगे।

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लंदन के एक फोटोग्राफर की नजर वीरा पर पड़ी और उन्होंने चुपके से कुछ तस्वीरें क्लिक कर लीं। लंदन से भारत आए फोटोग्राफर ने ये तस्वीरें फिल्ममेकर ठाकुर रणवीर सिंह को दिखाईं। वो वीरा को देखते रह गए। वीरा की तस्वीर देव आनंद के भाई चेतन आनंद ने भी देखी और वो वीरा को फिल्म में साइन करने के लिए बेताब हो गए। साल था 1963 और चेतन आनंद भारत-चीन के युद्ध पर फिल्म हकीकत बना रहे थे, वो किसी भी तरह से इस फिल्म में वीरा को साइन करना चाहते थे, उनकी मेहनत रंग लाई और एक निर्देशक के बदौलत वीरा से उनकी मुलाकात हुई। वीरा ने फिल्म का ऑफर एक्सेप्ट कर लिया मगर शूटिंग शुरू होने से पहले उन्हें नाम बदलने की सलाह दी गई। जिसके बाद वीरा से उनका नाम हुआ प्रिया राजवंश। हकीकत बनी रिलीज हुई और हिट हो गई। लोगों को प्रिया राजवंश का काम पसंद आया और लोग उन्हें कास्ट करने को बेताब होने लगे।

शूटिंग के दौरान चेतन प्रिया की खूबसूरती देख उन्हें दिल दे बैठे। दोनों के अफेयर की खबरें बॉलीवुड में हर तरफ उड़ने लगीं। ये खबरें तेजी से इस वजह से भी फैल रही थीं क्योंकि चेतन पहले से शादीशुदा थे और वो प्रिया से 15 साल बड़े भी थे। मगर उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी नहीं चल रही थी और प्रिया के साथ वक्त गुजारना उन्हें पसंद था। प्रिया भी उन्हें पसंद करने लगी थीं।

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चेतन आनंद, प्रिया को लेकर बहुत पजेसिव थे और किसी भी अन्य फिल्ममेकर के साथ उन्हें काम नहीं करने देना चाहते थे। हकीकत के बाद चेतन आनंद ने जो भी फिल्में बनाईं उसमें प्रिया राजवंश ही एक्ट्रेस थीं। हकीकत के बाद दूसरी फिल्म हीर रांझा थी जिसमें हीर के रोल में प्रिया खूब पसंद की गई थीं। प्रिया ने अपने करियर में 7 फिल्में की थीं और सभी फिल्में चेतन आनंद के साथ ही की थीं। चेतन आनंद ने आखिरी फिल्म बनाई हाथों की लकीर और यही फिल्म प्रिया राजवंश की भी आखिरी फिल्म साबित हुई। जिसके बाद प्रिया का करियर भी खत्म हो गया क्योंकि वो किसी और फिल्ममेकर के साथ फिल्में नहीं करती थीं।

प्रिया राजवंश पर परिवार का दबाव था इसके बावजूद उन्होंने शादी नहीं की वो चेतन आनंद के जुहू के रुइया पार्क वाले बंगले में उनके साथ लिव-इन में रहती थीं। चेतन के पहली पत्नी से दो बेटे थे- विवेक और केतन। दोनों ही बेटों को ये बात पसंद नहीं थी कि चेतन उनकी मां को छोड़कर प्रिया के साथ लिव-इन में रहते हैं। मामला तब बढ़ गया जब चेतन आनंद ने वसीयत बनाई और उन्होंने अपनी संपत्ति को तीन भागों में बांट दिया। एक-एक हिस्से उनके बेटों को मिले वहीं एक हिस्सा प्रिया के नाम था। जुहू वाला बंगला भी चेतन ने प्रिया के नाम कर दिया था।

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चेतन जब तक जीवित थे प्रिया के साथ ही रहते थे। 6 जुलाई 1997 को चेतन आनंद का निधन हो गया। प्रिया अकेली रह गईं, वो उसी बंगले में रहती थीं जहां वो चेतन के साथ 20 साल रह चुकी थीं, मगर अब उनका बंगले से बाहर निकलना बेहद कम हो गया था।

27 मार्च साल 2000 को प्रिया राजवंश का निधन हो गया। उसी बंगले से उनकी बॉडी मिली, पुलिस ने जांच की तो सामने आया प्रिया की डेथ नेचुरल नहीं थी बल्कि उनका मर्डर हुआ था। प्रिया डायरी लिखा करती थीं और उसी डायरी में उन्होंने लिखा था कि चेतन के दोनों बेटों के साथ उनके संबंध तनावपूर्ण हैं और उन्होंने जान के खतरे का अंदेशा भी जताया था। डायरी में प्रिया ने लिखा था कि चेतन की मौत के बाद उनके दोनों बेटे उनपर बंगला छोड़ने और जायदाद लौटाने का दबाव बना रहे थे। इसी आधार पर चेतन के बेटों केतन और विवेक पर हत्या का शक हुआ, बंगले में रहने वाले हाउस हेल्प माला और अशोक का नाम भी हत्या में आया। चारों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इन्हें सजा भी सुनाई गई लेकिन नवंबर 2002 में इन्हें जमानत दे दी गई। साल 2011 में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों को बरी कर दिया और इस तरह प्रिया की मौत की गुत्थी कभी सुलझ ही नहीं पाई।

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