मशहूर मराठी अभिनेत्री ज्योति सुभाष की बेटी अमृता सुभाष को ‘लस्ट स्टोरीज 2’, ‘सेक्रेड गेम्स’ और ‘गली बॉय’ जैसे प्रोजेक्ट्स में उनके शानदार अभिनय के लिए जाना जाता है। अमृता ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से स्नातक किया है और अक्सर नाटकों में भी हिस्सा लेती हैं।
एक बार, जब उन्होंने एनएसडी में एक नाटक में अभिनय किया, तो दिग्गज अभिनेता और नाटक विद्यालय के पूर्व छात्र नसीरुद्दीन शाह दर्शकों के बीच मौजूद थे। अमृता को गर्व महसूस हुआ क्योंकि उनके दृश्यों को खूब तारीफ और तालियां मिलीं। जब उन्होंने दूसरी बार उसी नाटक में प्रदर्शन किया, तो उन्होंने देखा कि नसीरुद्दीन शाह फिर से उनके अभिनय को देखने आए थे। गर्व से भरी अमृता को लगा कि इस बार उन्हें अभिनेता से ढेर सारी तारीफें मिलेंगी। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।
‘द लल्लनटॉप’ से बात करते हुए अमृता ने बताया, “एनएसडी में एक स्टेज है जिसका नाम अभिमंच है। वहां हमने ‘मृगतृष्णा’ नामक एक नाटक किया था। नाटक के एक दृश्य में मुझे बहुत रोना पड़ता था, और तालियां बजती थीं। मुझे लगा कि मैं कमाल कर रही हूं। मैं खुद पर बहुत गर्व करने लगी थी। कहते हैं न कि अज्ञानियों का अहंकार बहुत खतरनाक होता है, बस वही हाल था। इस नाटक को देखने नसीर सर भी आए। नाटक में रो-धोकर मैंने तालियां बटोर लीं। सर ने इसी नाटक का दूसरा शो भी देखा। उसमें भी मैंने वैसे ही रो-धोकर तालियां हासिल कीं। मुझे लगा कि अब नसीर सर मेरी तारीफ करेंगे। मैं उनके मुंह से तारीफ सुनने के लिए बेताब थी।”
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अमृता ने आगे बताया कि नसीरुद्दीन शाह से उन्हें वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली जैसी वे उम्मीद कर रही थीं।
उन्होंने कहा, “एनएसडी के बाहर एक चाय की टपरी है। नाटक के बाद मैं वहां खड़ी थी। नसीर सर दूर से आते दिखे। मैंने ऐसे दिखाया जैसे मैंने उन्हें देखा ही नहीं। वे आए, उन्होंने मुझे आवाज दी और बोले, ‘अमृता, मैंने तुम्हारा नाटक देखा।’ मुझे लगा कि अब वे तारीफ करेंगे। लेकिन उन्होंने कहा, ‘मुझे चिंता हो रही है, अमृता।’ उनकी आंखों में बहुत गुस्सा था। वे बोले, ‘मैंने तुम्हारे दोनों शो देखे और तालियां पाने के लिए तुमने दोनों में बिल्कुल एक जैसा काम किया। एक ही चीज को बार-बार दोहराकर तालियां बटोरने के बजाय मैं तुम्हें कुछ नया करते हुए फेल होते देखना पसंद करूंगा। क्या उस किरदार को रोने की जरूरत भी थी? तुम्हें रोना अच्छा लगता है तो क्या उस चीज को किरदार पर थोप दोगी? किरदार क्या कह रहा है, उसे तो सुनो।’ सर बहुत गुस्सा हो गए। उनके गुस्से ने मुझे हिला दिया। मुझे समझ आ गया कि ऐसे काम नहीं चलेगा।”
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अमृता और नसीरुद्दीन ने नंदिता दास की पहली निर्देशित फिल्म ‘फिराक’ (2008) में एक साथ स्क्रीन साझा की थी। नसीरुद्दीन शाह एक थिएटर कलाकार भी हैं और थिएटर ग्रुप ‘मोटली प्रोडक्शंस’ के संस्थापक हैं। यह प्रोडक्शन हाउस दुनिया भर में अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में नाटकों का मंचन करता है।