बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान की भोपाल रियासत की ऐतिहासिक संपत्ति पर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। जिसपर अब आखिरकार मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें अभिनेता सैफ अली खान, उनकी बहनों सोहा और सबा और मां शर्मिला टैगोर को नवाब हमीदुल्ला खान के उत्तराधिकारियों की अपील पर संपत्तियों का उत्तराधिकारी माना गया था, जिन्होंने पिछले संपत्ति के बंटवारे को चुनौती दी थी जो खान की परदादी की बेटी साजिदा सुल्तान के समर्थन में था।
पहले के फैसले में पुश्तैनी संपत्ति साजिदा सुल्तान को दी गई थी। हालांकि, 1960 में दिवंगत हुए पूर्व नवाब के वारिस मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के अनुसार निजी संपत्तियों का बंटवारा चाहते थे, जो तत्कालीन नवाब की मृत्यु के समय लागू था, और उन्होंने 1999 में ट्रायल कोर्ट का रुख किया। हालांकि, हाईकोर्ट ने अब ट्रायल कोर्ट को कार्यवाही फिर से शुरू करने और एक साल में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है। ये आदेश भोपाल राजघराने की पूरी विरासत संरचना को बदल सकता है।
नवाबों की इन विवादित संपत्तियों में भोपाल, सीहोर और रायसेन जैसे क्षेत्रों में बनें महल, जमीनें और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर सैफ अली खान की भोपाल रियासत की ऐतिहासिक संपत्ति पर साल 2015 में स्टे लगा खत्म हो चुका है। पटौदी परिवार को अपना पक्ष रखने का समय मिला था मगर उनकी तरफ से अब तक कोई दावा नहीं पेश किया गया।
पटौदी परिवार के स्वामित्व वाली और अभिनेता सैफ अली खान से आंशिक रूप से जुड़ी करीब 15,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत सरकार अपने नियंत्रण में ले सकती है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एक महत्वपूर्ण फैसले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2015 में इन संपत्तियों पर लगाई गई रोक को हटा दिया। फैसले में शामिल कुछ संपत्तियों में सैफ का बचपन का घर फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दार-उस-सलाम, हबीबी का बंगला, अहमदाबाद पैलेस, कोहेफिजा संपत्ति आदि शामिल हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…