Randeep Hooda Manipur Wedding: बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा ने 46 साल की उम्र में मणिपुर की लिन लैशराम के साथ सात फेरे लिए थे। शादी से पहले दोनों ने लंबे समय तक एक-दूसरे को डेट किया और फिर साल 2023 में कपल ने मणिपुर रीति-रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए। अब हाल ही में एक्टर ने अपनी शादी को लेकर कई दिलचस्प बातें एक इंटरव्यू में शेयर की हैं।
दरअसल, मिड-डे को दिए एक इंटरव्यू में रणदीप ने खुलासा किया कि उनके बारे में एक स्टीरियोटाइप था कि वे जाट लड़की से शादी नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी शादी अपने आप में एक बड़ा ड्रामा थी, क्योंकि उस समय मणिपुर में राजनीतिक उथल-पुथल चल रही थी। ऐसे में उनके दोस्त ब्रिगेडियर संघवान, जो असम राइफल्स में थे, उन्होंने मणिपुर में उनकी शादी की योजना बनाने में उनकी मदद की।
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एक्टर ने अपनी शादी के बारे में बात करते हुए बताया कि वह 10-12 लोगों के ग्रुप के साथ मणिपुर गए थे। साथ ही वह वहां के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों से अपरिचित थे। एक्टर ने खुलासा किया कि लिन ने उन्हें शादी से पहले सब समझाने में मदद करने के लिए वीडियो दिखाने की कोशिश की, लेकिन उस समय वह ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ की एडिटिंग में काफी व्यस्त थे।
शादी की रस्मों के बारे में बात करते हुए रणदीप हुड्डा ने कहा, “जब शादी की रस्में शुरू हुई, तो उस समय मेरे साथ एक हेल्पर मौजूद था, जो ट्यूटर की तरह था और मुझे सब बता रहा था। एक बार जब दूल्हा जब सारी चीजें अपने सिर पर पहन लेता है तो फिर आप अपना सिर नहीं झुका सकते। फिर आप शादी में पहुंचते हैं और आपको एक छाता और एक कटोरा दिया जाता है। वो आपको एक ऐसी जगह बिठा देते हैं, जहां लोग आपको देखते हैं और आपको बहुत गंभीर मुद्रा में रहना होता है।”
रणदीप ने आगे बताया कि आपको हिलने के लिए भी मना किया जाता है। मैं अगर थोड़ा भी झुका तो हेल्पर मुझे सही करता और कहता कि तुम्हें सबसे अच्छा दिखना है, तुम आज भगवान हो। दो घंटे तक मुझे अपनी पीठ सीधी करके और सिर ऊपर करके बैठना पड़ा। फिर मैंने पूछा कि ये कटोरा किस लिए है, तो उसने कहा कि अगर तुम्हें पेशाब आए तो छाता खोलकर इसी कटोरे में पेशाब करना। मंडप से बाहर नहीं जाना।
रणदीप ने आगे बताया, “फिर जब वह (लिन) आई, तो उसके साथ भी एक ट्यूटर था। उसे बहुत डांट पड़ी, क्योंकि वह मुस्कुरा रही थी। वहां हंसने को भी मना था। हरियाणवी संस्कृति और मणिपुरी संस्कृति बहुत अलग है, भले ही दोनों ही बेहतरीन मुक्केबाज और खिलाड़ी पैदा करते हैं। हरियाणवी कल्चर थोड़ा रफ होता है, लेकिन मणिपुरी कल्चर बहुत सिस्टमैटिक और शालीन है।
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