शाहिद कपूर के बाद निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी और अभिनेता परमब्रत चटर्जी कोलकाता में आयोजित हुए वहां के पहले स्क्रीन लाइव इवेंट का हिस्सा बने। इस इवेंट में उन्होंने बंगाली सिनेमा के बारे में बात की। डायरेक्टर ने इस इवेंट में अपनी लेटेस्ट फिल्म ‘शोती किछु नेई’ पर भी बात की और साथ ही बंगाली सिनेमा के पतन पर चर्चा की।
बंगाली सिनेमा के बारे में बात करते हुए परमब्रत ने कहा कि निर्माताओं को साउथ की फिल्मों के रीमेक पर फोकस नहीं करना चाहिए, बल्कि बंगाल में आधारित सार्थक सिनेमा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने मेनस्ट्रीम के कमेरिसिअल बंगाली सिनेमा पर फोकस करना बंद कर दिया है। अगर किसी भी इंडस्ट्री में मेनस्ट्रीम का सिनेमा काम नहीं करता है, तो किसी अन्य तरह की फिल्म बनाना बहुत मुश्किल है। क्योंकि दर्शकों की संख्या इतनी होनी चाहिए कि आप उससे पैसे कमा सकें।
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इसके आगे उन्होंने कहा कि बहुत ही लापरवाही से बनाई गई साउथ रीमेक को लोगों के सामने पेश किया गया। दर्शकों ने इस पर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हीं फिल्मों को हिंदी में डब करके राष्ट्रीय चैनलों पर दिखाया जा रहा है, इसलिए वे वापस जाकर साउथ फिल्मों की इन सस्ती बंगाली रीमेक को नहीं देखना चाहते थे।
बंगाली सिनेमा के दर्शकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। पश्चिम बंगाल का एक बड़ा हिस्सा बंगाली सिनेमा नहीं देखता, क्योंकि उन्हें लगता है कि किसी को उनकी परवाह नहीं है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बंगाली सिनेमा में बड़े पैमाने पर मनोरंजन करने वाली फिल्में बनाई जाएं और उनसे पैसे कमाए जाएं ताकि दूसरी तरह की फिल्में बनाई जा सकें।
बता दें कि परमब्रत चटर्जी ने मुख्य रूप से बंगाली सिनेमा में काम किया है, उन्होंने भालो थेको (2003), बैशे श्राबोन (2011), सोल्ड (2014), कादंबरी (2017), और अनुकूल (2017) जैसी प्रशंसित फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने विद्या बालन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी-स्टारर ‘कहानी’ से हिंदी फिल्म में डेब्यू किया और बाद में परी (2018), रामप्रसाद की तेहरवी (2019), और बुलबुल (2020) जैसी उल्लेखनीय परियोजनाओं में दिखाई दिए।
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