स्टैंड अप कॉमेडियन और सोशल मीडिया इंन्फ्लुएंसर्स समय रैना एक बार फिर से मुश्किलों में फंस चुके हैं। उनके शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में रणवीर इलाहाबादिया के कमेंट के बाद समय की भी काफी फजीहत हुई थी। ऐसे में इसी बीच उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिव्यांग बच्चे का मजाक उड़ाते दिखे थे, जिसे करोड़ों के इंजेक्शन की जरूरत थी। ऐसे में अब दिव्यांगों का मजाक उड़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सख्त रुख अपनाया गया है। समय रैना समेत 5 इन्फ्लुएंसर को तलब किया गया है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि अगर पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये कार्रवाई एक गैर सरकारी संगठन (NGO) द्वारा दायर की गई याचिका के बाद हुई है। इसमें आरोप लगया गया था कि इन लोगों ने अपने कंटेंट में शारीरिक रूप से अक्षम और दुलर्भ रोगों से जूझ रहे व्यक्तियों का अपमान किया है। पीटीआई के अनुसार, तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मुंबई के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वे पांचों इंफ्लुएंसर को नोटिस जारी कर अदालत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें, अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। वो पांच इंफ्लुएंसर समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठाकर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई और निशांत जगदीश तंवर को कोर्ट में अगली तारीख पर पेश होने के लिए निर्देश दिए गए हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पीठ ने एनजीओ ‘क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ की याचिका पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से भी सहायता मांगी, जिसमें दिव्यांग लोगों और दुर्लभ विकारों से पीड़ित व्यक्तियों से संबंधित सोशल मीडिया सामग्री को विनियमित करने संबंधी निर्देश देने का अनुरोध किया गया। पीठ ने ऐसे लोगों का मजाक उड़ाने वाले इंफ्लुएंसर को ‘‘नुकसानदेह’’ और ‘‘मनोबल को चोट पहुंचाने वाला’’ बताया है और कहा कि कुछ गंभीर सुधारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि ऐसी चीजें फिर ना हों।

पीटीआई के अनुसार, पीठ ने ये भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार निरपेक्ष नहीं है और किसी को भी इस अधिकार की आड़ में किसी को भी नीचा दिखाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पीठ ने दिव्यांगों और दुर्लभ विकारों से पीड़ित लोगों से संबंधित सोशल मीडिया सामग्री पर दिशानिर्देश बनाने पर विचार किया। एनजीओ ने मौजूदा कानूनी ढांचे में कमियों का हवाला देते हुए पीठ से ऑनलाइन सामग्री पर दिशानिर्देश तैयार करने का आग्रह किया था।

इसके साथ ही अगर समय रैना के इस मामले की बात की जाए तो एक वीडियो क्लिप में देखा गया था कि वो 10 महीने के बच्चे की बीमारी का मजाक उड़ाते दिखे थे, जो कि स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) से पीड़ित था। कॉमेडियन इस नेत्रहीन नवजात का ही मजाक उड़ाते दिखे थे। वायरल वीडियो में समय रैना ने कहा था, ‘देखो चैरिटी अच्छी बात है, करनी चाहिए। मैं एक चैरिटी देख रहा था, जिसमें एक दो महीने का बच्चा है, जिसे कुछ तो क्रेजी हो गया है। इसके इलाज के लिए उसे 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन चाहिए।’

समय रैना ने आगे मजाक उड़ाते हुए ऑडियंस में बैठी एक महिला से सवाल किया था, ‘मैम, आप बताइए…अगर आप वो मां होतीं और आपके बैंक में 16 करोड़ आ जाते। एक बार तो आप अपने पति को देखकर कहती ना कि मंहगाई बढ़ रही है क्योंकि कोई गारंटी नहीं है कि वो बच्चा उस इंजेक्शन के बाद भी बचेगा। मर भी सकता है। सोचो इंजेक्शन के बाद मर गया। उससे भी खराब सोचो कि 16 करोड़ के इंजेक्शन के बाद बच्चा बच गया फिर बड़ा होकर बोले कि वो एक कवि बनना चाहता है।’ समय के इसी भद्दे मजाक के बाद नया बवाल खड़ा हो गया था।

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