CineGram: कुछ साल पहले ही बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने अपना बंगला प्रतीक्षा कथित तौर पर अपनी बेटी श्वेता गिफ्ट किया था। ये बंगला अमिताभ ने 1976 में खरीदा था और ये उनकी पत्नी जया बच्चन के साथ मुंबई में उनका पहला घर था। ये वही घर है जहां ये कपल अपनी 2 साल की बेटी श्वेता को लेकर शिफ्ट हुए थे और इसी घर में अभिषेक बच्चन का जन्म भी हुआ। ऐश्वर्या राय और अभिषेक की शादी भी प्रतीक्षा में ही हुई थी। ये आलीशान संपत्ति जुहू में स्थित है और मुंबई के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। हालांकि, जब एक्टर अपनी पत्नी के साथ इस बंगले में रहने गए, तो ये काफी अलग था।
जब अमिताभ बच्चन और जया बच्चन पहली बार ‘प्रतीक्षा’ में रहने आए थे, तब इसमें कोई खिड़कियां या पर्दे नहीं थे। साल 2002 की बात है जब जया बच्चन ने इंडिया टुडे मैग्जीन के लिए एक लेख लिखा था और 1970 के दशक में अपने पति अमिताभ बच्चन की सफलता पर विचार किया था। उन्होंने याद किया कि जब वे पहली बार यहां रहने आए थे, तो ये कैसा था। जया ने खुलासा किया कि वो 1976 में ‘प्रतीक्षा’ में रहने आए थे। हालाँकि, उस समय घर में कोई पर्दे या खिड़कियां नहीं थीं और अमिताभ शायद ही कभी वहां होते थे क्योंकि ये उनके जीवन का सबसे व्यस्त दौर था।
जया ने लिखा था, “1976 में हम प्रतीक्षा में रहने चले गए, जो उनका बनाया हुआ घर था। हम तब वहां शिफ्ट हुए जब वहां ठीक से पर्दे या खिड़कियां नहीं थीं। अब उनके पास अपना घर था, लेकिन वे शायद ही कभी वहां जाते थे। ये उनका सबसे व्यस्त दौर था।”
इसके अलावा जया बच्चन ने कहा कि उस वक्त अमिताभ एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर दे रहे थे और वो इंडस्ट्री से दूर हो रही थीं। जया ने इस बारे में लिखा, “अभिषेक के जन्म के बाद, अमित जी और मैं एक साथ समय बिताने की कोशिश करते थे। अब वो बड़ी-बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में व्यस्त हो गए थे, लेकिन घर के मामले में वो सामान्य और बेपरवाह थे। उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा था। इस बीच, मैं फिल्म इंडस्ट्री से और भी दूर होती जा रही थी। वो अपना काम घर नहीं लाते थे, और मैं इस बात से अनजान थी कि वो कितनी फिल्में साइन कर रहे हैं और किसके साथ काम कर रहे हैं। मैं भी उन्हें परेशान करने वाले सवाल नहीं करती थी।”
बता दें कि इस बंगले को प्रतीक्षा नाम अमिताभ बच्चन के पिता कवि हरिवंश राय बच्चन ने दिया था। अमिताभ ने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के एक एपिसोड में इस बारे में कहानी शेयर की थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने ये नाम अपनी कविता की एक पंक्ति के नाम पर रखा था, ‘स्वागत सबके लिए है पर नहीं है किसी के लिए प्रतीक्षा।’ जिसका मोटे तौर पर मतलब होता है, सबका स्वागत है, लेकिन किसी का इंतजार नहीं करना है।