कई साल पहले एक कार्यक्रम में आध्यात्मिक लीडर सद्गुरु जग्गी वासुदेव और लेखक-गीतकार और प्रसिद्ध तर्कवादी जावेद अख्तर के बीच तीखी बहस हुई थी। उन्होंने एक-दूसरे को नाम से पुकारा, जिसमें सद्गुरु ने जावेद अख्तर पर अपने दिमाग का इस्तेमाल न करने का आरोप लगाया था और लेखक ने सद्गुरु पर अपने खतरनाक खेलों से मासूम लोगों को बरगलाने का आरोप लगाया। उन्होंने ‘आस्था’ और ‘विश्वास’ के बीच के अंतर की बात की थी और कहा था कि वो कभी किसी ऐसे आध्यात्मिक गुरु से नहीं मिले हैं जिसे वो गंभीरता से ले सकें।
सालों पहले दोनों Think फोरम के मंच पर साथ नजर आए थे। लेखक ने कहा, “अध्यात्मवादी सबसे पहले इन पांच इंद्रियों पर आपके विश्वास को हिलाने की कोशिश करेंगे। तभी वे आपको नियंत्रित कर सकते हैं। अब, अगर आप वाकई इस पर विश्वास करते हैं, तो आप सर्जरी करवाकर अपना दिमाग क्यों नहीं निकाल देते। फिर देखते हैं कि वो अपने व्यक्तित्व का विस्तार कैसे करता है। जो भी विस्तार होता है, वो आपके दिमाग में होता है। आप इसे कम नहीं कर सकते। और जो कोई भी सुझाव देता है कि इसे कम किया जा सकता है, वो आपके साथ एक खतरनाक खेल खेल रहा है।”
दरअसल इस दौरान मॉडरेटर पत्रकार शोमा चौधरी ने जावेद अख्तर ने आस्था (फेथ) को लेकर एक सवाल किया था। जिस पर अख्तर ने कहा था, “किसी भी बहस और बातचीत को शुरू करने से पहले शब्दों का सही मतलब समझ लेना चाहिए। हो सकता है फेथ से आपका मतलब कुछ और हो और मैं समझ कुछ और रहा हूं। आस्था (फेथ) और विश्नास (बिलीफ) दो अलग-अलग चीजें हैं।”
उन्होंने आगे कहा था, “जैसे- मैं विश्वास करता हूं कि मैं इस वक्त गोवा में हूं, मैं विश्वास करता हूं कि नॉर्थ पोल नाम की एक जगह है, मैं विश्वास करता हूं कि इथियोपिया एक गरीब देश है, जर्मनी एक अमीर देश है…क्या ये मेरी फेथ है? आखिर ऐसा क्यों नहीं है?’ जावेद अख़्तर आगे कहते हैं, ‘मैं आपको बताता हूं कि ये मेरी फेथ क्यों नहीं है, क्योंकि ये तर्कसंगत है।”
जावेद अख्तर को बीच में ही टोकते हुए सदगुरु ने कहा था, “आप ये विश्वास कर रहे हैं कि आप नागपुर में हैं, ये सही में आपकी बिलीफ है, लेकिन आप गोवा में हैं ये सच्चाई है…अब आप इस पर विश्वास करें या न करें। वास्तविकता और बिलीफ में फर्क है। अगर आप ये मानते हैं कि आप जिन चीजों पर विश्वास कर रहे हैं वो सही हैं तो हम आपको किसी भी चीज पर विश्वास दिला सकते हैं।’ इस पर जावेद अख्तर बीच में टोकते हुए कहते हैं कि मैं इसका जवाब दूंगा…हमारी बिलीफ गलत हो सकती हैं…गलत तर्क पर केंद्रित हो सकती हैं…।”
इसके आगे सदगुरु ने कहा था, “जब मैं पिछली बार जावेद अख्तर से मिला था तब वे बता रहे थे कि उन्हें किसी गुरु ने कहा है कि अपने दिमाग का इस्तेमाल न करें…पता नहीं किस गुरु ने ऐसा कहा था लेकिन एक बात तो साफ कि सलाह को गंभीरता से ले लिया।” इस पर जावेद अख्तर ने कहा था, “मैंनेआज तक किसी भी गुरु को सीरियसली नहीं लिया…एक बार फिर से क्लियर कर देना चाहता हूं।”
हाल ही में मिड-डे को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने सद्गुरु के साथ अपनी बहस पर विचार किया और मानव अस्तित्व के कारण के बारे में उठाए गए सवालों का मजाक उड़ाया। जावेद अख्तर ने कहा, “ये होमो सेपियंस द्वारा उठाया गया एक अहाकारी सवाल है। इसका कोई मतलब नहीं है। आप बेकार हैं, घास के एक पत्ते की तरह। आप चींटी, कॉकरोच, मच्छर के बारे में ऐसा कभी नहीं कहेंगे। आप वही हैं, बस थोड़े बड़े हैं। इस ब्रह्मांड में, जो अरबों साल पुराना है, हम 70-80 साल में मर जाते हैं। हम कुछ भी नहीं हैं।”