Emergency Movie Review: कई बार पोस्टपोन होने के बाद आखिरकार कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ आज शुक्रवार यानी कि 17 जनवरी 2025 को आखिरकार बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई। इस फिल्म में कंगना रनौत इंदिरा गांधी के रोल में हैं। फिल्म का निर्देशन और राइटिंग भी कंगना रनौत ने ही की है। ये फिल्म कैसी है? क्या ये फिल्म इमरजेंसी और इंदिरा गांधी की सच्ची कहानी दिखाने में कामयाब हुई है? कंगना की एक्टिंग और निर्देशन कैसा है आइए जानते हैं।

Emergency Movie Review Rating Release LIVE: ‘इमरजेंसी’ में कंगना रनौत ने दिया अपने करियर का सबसे जबरदस्त परफॉर्मेंस, इंदिरा गांधी के रोल में छाईं

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ की शुरुआत होती है पिता जवाहर लाल नेहरू संग उनके मनमुटाव से। इंदिरा गांधी और फिरोज खान के मनमुटाव भी फिल्म में देखने को मिलते हैं। फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और इंदिरा गांधी के देश की प्रधानमंत्री बनने से लेकर उनके द्वारा आपातकाल घोषित करने की कहानी फिल्म में दिखाई जाती है। आपातकाल के बाद उनकी हार, हार के बाद वापस उनकी सरकार बनना। ये सब फिल्म में देखने को मिलता है। फिल्म में ऑपरेशन सर्चलाइट, पोखरण परीक्षण, ऑपरेशन ब्लू स्टार इत्यादि की झलक देखने को मिलती है।

इसके अलावा संजय गांधी संग इंदिरा का रिश्ता और इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी की भूमिका पर भी फिल्म में प्रकाश डाला गया है। फिल्म में संजय गांधी को एक विलेन की तरह पेश किया गया है। वहीं राजीव गांधी और सोनिया गांधी पर फिल्म में कहीं कुछ भी नहीं दिखाया गया है, जो एक कमी लगती है। राजीव गांधी संग इंदिरा का रिश्ता कैसा था इस पर फिल्म में बिल्कुल भी नहीं दिखाया गया है।

एक्टिंग की बात करें तो कंगना रनौत ने अपने करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस दी है। इंदिरा गांधी के रोल में वो छा जाती हैं। उनके हाव-भाव, बात करने का तरीका, लुक सब कुछ इंदिरा जैसा ही लगता है। इमोशनल सीन हो या फिर डर, हर तरह के रोल में कंगना रनौत ने कमाल का काम किया है। उन्हें पर्दे पर देखकर आपको लगेगा ही नहीं कि वो कोई एक्ट्रेस है लगेगा खुद इंदिरा गांधी आपके सामने हैं। अटल बिहारी बाजपेयी के रोल में श्रेयस तलपड़े ने मेहनत जरूर की है मगर वो अटल बिहारी जैसे नहीं लगते हैं। हमारे मन में जो उनकी इमेज है उस पर श्रेयस खरे नहीं उतरते हैं। इमरजेंसी में अनुपम खेर ने जयप्रकाश नारायण का किरदार निभाया है। उनका काम अच्छा है।

कंगना रनौत की फिल्म हिंदी में बनी है मगर फिल्म में हिंदी का इतना बुरा हाल था जिसे देखकर किसी भी हिंदीभाषी को अच्छा नहीं लगेगा। फिल्म का नाम ही हिंदी में गलत तरीके से लिखा गया था। इसके अलावा भी जहां-जहां हिंदी में क्रेडिट दिया गया था वहां पर हिंदी के असल शब्द का इस्तेमाल ना करके इंग्लिश का गूगल ट्रांसलेशन लगाया गया था जो देखने में बहुत अखरता है। इसके अलावा भी फिल्म में जहां बंगाली या इंग्लिश बोली जा रही है वहां पर हिंदी का सबटाइटल होना चाहिए था जो नहीं दिखता है।

सैम मानेकशॉ का एंट्री सीन गजब का है, वो देखकर आपको गूजबम्प्स होंगे। इसके अलावा भी फिल्म में कई जगह आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इंदिरा गांधी का हाथी में बैठकर बेलछी गांव जाना हो या फिर इमरजेंसी का सिचुएशन, फिल्म में स्क्रीन से चिपकाए रखती है।

ये फिल्म मास ऑडियंस के लिए नहीं है क्योंकि सभी को ये फिल्म पसंद नहीं आएगी। वैसे भी ये फिल्म एक पॉलिटिकल पार्टी को लेकर बनाई गई है तो अलग-अलग पॉलिटिकल विचारधाराओं को मानने वाले लोगों को ये फिल्म अलग-अलग तरीके का अनुभव देगी। ये फिल्म कितनी ईमानदार है और कितनी एकतरफा ये तो अलग बात है मगर एक फिल्म के तौर पर और अभिनय के तौर पर फिल्म को पूरे नंबर मिलेंगे। कंगना रनौत की शानदार एक्टिंग और कहानी कहने के तरीके की वजह से इस फिल्म को मैं 5 में से 3.5 स्टार दूंगी।