Elon Musk America Party: टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तू-तू, मैं-मैं हद से ज्यादा बढ़ गई है। गरमा-गरमी के दौरान मस्क ने कह दिया कि वह एक नया राजनीतिक दल बनाएंगे और रिपब्लिकन नेताओं को चुनौती देने वालों का समर्थन करेंगे। ट्रंप और मस्क के बीच यह लड़ाई Tax and Spending Bill को लेकर शुरू हुई थी और हालात यहां तक पहुंच गए कि ट्रंप ने उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट करने तक की बात कह दी।

मस्क ने अपने X अकाउंट पर कहा, ‘अमेरिका में डेमोक्रेट-रिपब्लिकन यूनिपार्टी के विकल्प की जरूरत है ताकि वाकई लोगों की आवाज उठाई जा सके।’ इसके बाद मस्क ने और ताकत के साथ कहा कि वह रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी का समर्थन करेंगे। मैसी भी Tax and Spending Bill के आलोचक हैं। हालांकि अधिकतर रिपब्लिकन सांसद इस बिल का समर्थन कर रहे हैं।

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मस्क ने अपने तेवरों को तीखा करते हुए लिखा कि हाउस और सीनेट के सभी रिपब्लिकन अगले साल अपने प्राइमरी चुनाव में हारेंगे और चाहे यह धरती पर उनका अंतिम काम ही क्यों ना हो। इस बीच ट्रंप ने भी पलटवार किया और मस्क की कंपनियों को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी पर सवाल उठाया और कहा कि बिना सब्सिडी के मस्क को अपनी दुकान बंद करके दक्षिण अफ्रीका वापस लौटना पड़ेगा।

अब यह समझते हैं कि मस्क का राजनीतिक रुझान क्या रहा है और अमेरिका की राजनीति में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के अलावा किसी तीसरे दल के लिए कितनी गुंजाइश है? एलन मस्क का रिपब्लिकन पार्टी के साथ कोई पुराना संबंध नहीं है। वह लंबे समय तक डेमोक्रेट रहे हैं और 2022 के आसपास उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के साथ नजदीकियां बढ़ाना शुरू किया।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मस्क ने रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों को बड़े पैमाने पर मदद दी और सरकार बनने पर ट्रंप ने मस्क को Department of Government Efficiency (DOGE) का प्रमुख नियुक्त किया था। लेकिन पिछले कुछ महीनों में ट्रंप के साथ उनका झगड़ा बढ़ गया और इसी दौरान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक सर्वे किया और इसमें सवाल पूछा कि क्या यह अमेरिका में एक नए राजनीतिक दल को बनाने का सही वक्त है जो अमेरिका के 80 फीसद लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करे? लेकिन अहम बात यह है कि अमेरिका में किसी तीसरे राजनीतिक दल को सफलता मिलना बेहद मुश्किल काम है।

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अमेरिका का इतिहास कहता है कि ऐसा होना बहुत मुश्किल है कि यहां डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन को कोई हरा पाएगा। अमेरिका में लंबे वक्त से बहुत सारी छोटी-छोटी पार्टियां सक्रिय हैं लेकिन फिर भी वह रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी को चुनौती नहीं दे सकी। जैसे 1971 में बनी लिबर्टेरियन पार्टी अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

2016 के राष्ट्रपति चुनाव में लिबर्टेरियन पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था और इसके उम्मीदवार गैरी जॉनसन को 3.27% वोट मिले थे लेकिन सिर्फ इतने वोट मिलना बहुत कम है। इसके अलावा लंबे वक्त से ग्रीन पार्टी भी काम कर रही है और राज्य और फेडरल चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारती रही है लेकिन लिबर्टेरियन पार्टी की ही तरह इसके पास भी सरकार में कोई सीट नहीं है।

DW के मुताबिक, अमेरिका के वाल्डोस्टा स्टेट यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञानी बर्नार्ड तामास बताते हैं कि किसी भी तीसरे पक्ष के लिए यह जरूरी है कि वह लोगों की नाराजगी का फायदा उठाए क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो मौजूदा राजनीतिक विकल्पों से असंतुष्ट हैं। ऐसे पक्ष को एक जमीनी आंदोलन भी खड़ा करना चाहिए। तामास का कहना है कि जो भी राजनीतिक दल सामने आए हैं वह लोगों की उस नाराजगी का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।

तामास कहते हैं कि चुनाव में पैसे की भी जरूरत होती है। चुनाव में दान पर नजर रखने वाली संस्था OpenSecrets के अनुसार, 2024 के राष्ट्रपति और कांग्रेस चुनावों में लगभग 16 बिलियन डॉलर (लगभग 13.58 बिलियन यूरो) खर्च किए गए। लेकिन रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के खिलाफ किसी भी तीसरे दल के पास उनसे लड़ने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होगा। एलन मस्क ने 2024 के अमेरिकी चुनाव में रिपब्लिकन के उम्मीदवारों को लगभग 300 मिलियन डॉलर दान में दिए थे।

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तामास यह भी कहते हैं कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की जगह कोई तीसरी पार्टी ले पाएगी, इसकी संभावना नहीं है। उनका कहना है कि नए राजनीतिक दल तेजी से उभरते हैं, उम्मीदवार खड़े करते हैं और वे एक या दोनों प्रमुख दलों को नुकसान पहुंचाते हैं और इन दलों के वोट काटते हैं। वह कहते हैं कि यह मधुमक्खी के डंक मारने की तरह है।

तामास कहते हैं कि अमेरिका में सबसे सफल तीसरी पार्टियां लगभग 10 साल चलती हैं। जब वे बहुत बड़ी चुनौती बन जाती हैं तो बड़ी पार्टियां उनकी विचारधारा और बातों को चुरा लेती हैं।

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