आयुर्वेद ने सदियों से ऐसी जड़ी बूटियों की खोज की है जिससे क्रॉनिक बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की मदद से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और थॉयराइड जैसी क्रॉनिक बीमारियों को कंट्रोल किया जा सकता है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, योग और जीवनशैली में बदलाव करके तन और मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। आयुर्वेद की ही खोज है नीम की पत्तियां, जिनका नाम लेते ही उनका कड़वा स्वाद ही बस ज़हन में उभरता है। नीम की पत्तियां आयुर्वेद की वह कड़वी और करामाती देन हैं जिनका स्वाद भले ही तीखा लगे, लेकिन इसमें बीमारी को जड़ से खत्म करने वाले गुण मौजूद हैं। अगर रोज नीम की कुछ पत्तियों का रस बनाकर पी लें तो स्किन से लेकर बॉडी तक हेल्दी रहेगी।
नीम के पत्ते, जड़, छाल,फल, बीज और फूल सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। बात करें नीम की पत्तियों की तो ये तीनों दोषों वायु, पित्त और कफ को बेलेंस करती है। मेडिकल साइंस ने भी इसका लोहा माना है। इसमें मौजूद गुणों की बात करें तो इसमें एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते है जो सूजन को कंट्रोल करते हैं। इसका सेवन करने से बॉडी की सफाई होती है और बॉडी शुद्ध होती है। रोजाना 2-3 पत्तियां चबाने से या फिर 5-10 पत्तियों का रस पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बॉडी हेल्दी रहती है।
मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक नीम की पत्तियों का उपयोग कुष्ठ रोग (leprosy), नेत्र विकार, नकसीर, आंतों के कीड़े, पेट की खराबी, भूख की कमी, स्किन के घाव, हृदय रोग, बुखार, डायबिटीज, मसूड़ों की बीमारी (जिंजिवाइटिस) और लीवर संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। एक नहीं अनेक मर्ज की दवा हैं ये पत्तियां। आइए जानते हैं कि नीम की पत्तियों से लेकर छाल,फूस, टहनी,बीज और तना का सेवन करने से सेहत को कौन-कौन से फायदे होते हैं।
नीम की छाल का सेवन अगर किया जाए तो मलेरिया का उपचार किया जा सकता है। ये पेट और आंतों के अल्सर का इलाज करती है। स्किन की समस्याओं, दर्द और बुखार का इलाज करने में नीम की छाल बेहद उपयोगी है।
नीम के फूल का उपयोग पित्त को कम करता है और कफ को कंट्रोल करता है। इसका सेवन करने से आंतों की सेहत दुरुस्त रहती है। ये पेट के कीड़े का उपचार करता है।
नीम के फल का सेवन करने से बवासीर की बीमारी का इलाज होता है। ये आंतों के कीड़े, यूरिन से संबंधित परेशानियां, नकसीर, कफ, नेत्र रोग,डायबिटीज, घाव और कुष्ठ रोग के इलाज में मदद करता है।
नीम की टहनियों का उपयोग खांसी, दमा , बवासीर, आंतों के कीड़े, पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी बेहतर बनाने, मूत्र विकार और डायबिटीज का इलाज करने में किया जाता है। नीम की दातुन बेहतरीन टूथब्रश है।
कुष्ठ रोग और आंतों के कीड़ों का इलाज करने में नीम के बीज और ऑयल दोनों असरदार साबित होते हैं।
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