टाइप-1 डायबिटीज बच्चों में तेजी से बढ़ती बीमारी है जिससे देश और दुनिया के बच्चे तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। अकेले अमेरिका में टाइप-1 डायबिटीज़ से लगभग 3,04,000 बच्चे और किशोर जूझ रहे हैं। टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून (Autoimmune) डिजीज है जिसमें शरीर की इम्यूनिटी गलती से पैंक्रियाज़ की Beta cells पर हमला कर देती है, जो इंसुलिन बनाती हैं। इंसुलिन एक आवश्यक हार्मोन है जो शरीर में शुगर को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है।
टाइप-1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जिससे ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। यह डायबिटीज आमतौर पर बच्चों, किशोरों और युवाओं में पाई जाती है। इस डायबिटीज को “जुवेनाइल डायबिटीज” भी कहा जाता था। हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन अधिकतर मामले 14 वर्ष की उम्र से पहले सामने आते हैं। ये बीमारी जेनेटिक और इंवायरमेंटल कारणों के कॉम्बिनेशन से होती है।
बच्चों के लिए इस बीमारी को कंट्रोल करना काफी बड़ा टॉस्क है। बच्चों को उनकी भाषा में उनके अंदाज में इस बीमारी को समझने और उसे कंट्रोल करने में नई बॉर्बी डॉल मदद करेगी। अब बच्चों की प्यारी बार्बी डॉल एक नए स्टाइल में नजर आई है। बॉर्बी डॉल के हाथों में ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग डिवाइज तो गले में इंसुलिन पंप है। नई बार्बी डॉल अब सिर्फ फैशन आइकन नहीं, बल्कि एक प्रेरणा-ृस्रोत भी है। यह डॉल नीले पोल्का डॉट क्रॉप टॉप, फ्रिल वाली मिनी स्कर्ट और हैवी हील्स में तो दिखती ही है, लेकिन खास बात यह है कि वह इंसुलिन पंप भी पहने हुए है। यह बार्बी ब्रांड की पहली डॉल है जो टाइप-1 डायबिटीज़ के साथ डिजाइन की गई है। बार्बी एक फ़ैशन आइकन से आगे बढ़कर, लाखों बच्चों के सशक्तिकरण और प्रतिनिधित्व का प्रतीक बन रही है।
डॉल बनाने वाली कंपनी मैटल (Mattel) का इस डॉल को बनाने का उद्देश्य अमेरिका में टाइप-1 डायबिटीज़ से जूझ रहे लगभग 3,04,000 बच्चों और किशोरों का प्रतिनिधित्व करना है। इस डॉल को मंगलवार को Breakthrough T1D Children’s Congress में लॉन्च किया गया, जो वाशिंगटन में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम है।
डायबिटीज दो तरह की होती है एक टाइप-1 डायबिटीज तो दूसरी टाइप-2 डायबिटीज होती है। दोनों तरह की डायबिटीज को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है। टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें शरीर की इम्यूनिटीज पैंक्रियाज़ की उन कोशिकाओं पर हमला कर देती है जो इंसुलिन बनाती हैं। बच्चों और किशोरों में होने वाली इस बीमारी का इलाज केवल इंसुलिन इंजेक्शन या इंसुलिन पंप के ज़रिए ही संभव है।
कम उम्र में इस डायबिटीज को कंट्रोल करना बच्चों के लिए आसान काम नहीं है। बॉर्बी बच्चों की प्रिय डॉल है जो डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए न सिर्फ बच्चों को प्रेरित करेगी बल्कि बच्चों को खेल-खेल में इस बीमारी को समझने की प्रेरणा भी देगी। इस डॉल की मदद से टाइप-1 डायबिटीज़ से जूझ रहे बच्चों को यह अहसास होगा कि वे अकेले नहीं हैं और वो भी समाज में अपनी एक खास जगह रखते हैं। इसके साथ ही, वे खुद को बार्बी जैसे रोल मॉडल में देख सकेंगे, जो उन्हें आत्मविश्वास और प्रेरणा देने का काम करेगी।
बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना, भूख ज्यादा लगना लेकिन वजन कम होना, थकावट और कमजोरी, आंखों से धुंधला दिखना, घाव का देर से भरना, छोटे बच्चों में बिस्तर गीला करने की आदत।
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