बच्चों के लिए फोलेट (विटामिन बी9) एक बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो उनके विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, डीएनए संश्लेषण और मरम्मत और मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक स्टडी की जिसमें उत्तर भारत के 3,129 स्कूल जाने वाले बच्चों को शामिल किया गया। स्टडी के अनुसार, उत्तर भारत के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले शहरी बच्चों में से लगभग 41 प्रतिशत फोलेट या विटामिन बी9 की कमी से पीड़ित हैं, जो उनके विकास और वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। लड़कियों में लड़कों की तुलना में इसकी कमी अधिक है।
क्या है फोलेट विटामिन बी-9
फोलेट विटामिन बी9 लाल रक्त कोशिका निर्माण और स्वस्थ कोशिका वृद्धि और कार्य के लिए आवश्यक है, जो बच्चों के विकास के वर्षों में उनके लिए महत्वपूर्ण है। पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए कोशिकाओं को इसकी आवश्यकता होती है। अगर, शरीर में पर्याप्त फोलेट नहीं है, तो यह एनीमिया का कारण बन सकता है। जब शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है। फोलेट डीएनए और आरएनए के संश्लेषण और मरम्मत में शामिल है।
पारस हेल्थ, गुरुग्राम के वरिष्ठ सलाहकार, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश तिवारी के अनुसार, बीते कुछ सालों में फोलेट की कमी के चलते बच्चों के विकास में कमी, व्यवहार संबंधी समस्याएं, थकान और शैक्षणिक प्रदर्शन में कमी हो सकती है। इसके साथ ही बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कम हो सकती है, जिससे बच्चे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं और बार-बार बीमार हो सकते हैं।
माता-पिता अपने बच्चों के डेली आहार में फोलेट युक्त फूड्स को शामिल कर सकते हैं। इनमें हरी पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक और मेथी), फलियां (दाल, छोले), खट्टे फल, मेवे, साबुत अनाज और फोर्टिफाइड अनाज शामिल हैं।
विटामिन बी9 बच्चों में तेजी से विकास के लिए आवश्यक है। यह बचपन के दौरान लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकास में सहायता करता है। बढ़ते बच्चों में फोलेट उचित मस्तिष्क कार्य और भावनात्मक स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है। यह ऊतक विकास और सेलुलर मरम्मत के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो प्रक्रियाएं बचपन के दौरान निरंतर होती हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि किशोर लड़कियों में लड़कों की तुलना में फोलेट की कमी का प्रचलन अधिक होता है। यह आंशिक रूप से मासिक धर्म और यौवन के दौरान बढ़ी हुई शारीरिक मांगों के साथ-साथ आहार सेवन पैटर्न में अंतर के कारण होता है।
वहीं, जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर्स में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, खराब लाइफस्टाइल के कारण तनाव होता है और इससे मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।