यूरिक एसिड का बढ़ना एक ऐसी परेशानी है जो कभी भी किसी को भी हो सकती है। यूरिक एसिड बॉडी में बनने वाले टॉक्सिन हैं जिसके लिए खराब डाइट,बिगड़ता लाइफस्टाइल जिम्मेदार है। यूरिक एसिड के लिए जेनेटिक कारण भी जिम्मेदार हैं।  यूरिक एसिड एक वेस्ट मटेरियल है जो तब बनता है जब शरीर प्यूरिन नामक पदार्थों को तोड़ता है। प्यूरिन कुछ खास प्रकार के खाद्य पदार्थों और पेय में पाए जाता हैं। खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाने पर यह कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम को जन्म दे सकता है। हाई यूरिक एसिड गठिया का रोग, किडनी स्टोन और दूसरी कई समस्याओं का कारण बन सकता है। यूरिक एसिड बढ़ने पर जोड़ों में दर्द बेहद परेशान करता है। ये दर्द पैर के अंगूठे से शुरू होता है और कमर, घुटनों में, हाथों की कलाइयों और कोहनियों में बेहद परेशान करता है।

गर्मी में यूरिक एसिड हाई होने के लिए सबसे अहम कारण डिहाइड्रेशन हैं। इस मौसम में पसीना ज्यादा आता है और बॉडी से पानी ज्यादा रिलीज होता है जिससे बॉडी में पानी की कमी होने लगती है। बॉडी में पानी की कमी होने पर किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती है और यूरिक एसिड के क्रिस्टल फिल्टर नहीं होते और वो ब्लड में जमा होने लगते हैं।

ब्लड में यूरिक एसिड हाई होने से ये जोड़ों में जमा होने लगता है और दर्द का कारण बनता है। गर्मी में अगर पर्याप्त पानी का सेवन नहीं किया जाए तो परेशानी बढ़ सकती है। गर्मियों में कुछ दवाएं जैसे डाईयुरेटिक्स जो पेशाब बढ़ाती हैं इसका सेवन करने से भी यूरिक एसिड बढ़ सकता हैं।

जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो पानी का सेवन ज्यादा करें और कुछ देसी नुस्खों को अपनाएं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट और योग गुरु बाबा रामदेव ने बताया कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का सेवन रोज कर लें तो आसानी से आप यूरिक एसिड को कंट्रोल कर सकते हैं, जोड़ों के दर्द को दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि यूरिक एसिड कंट्रोल करने के लिए कौन-कौन सी जड़ी बूटियां असरदार साबित होती हैं।

जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो रोजाना गोखरू के पानी का सेवन करें। आयुर्वेदिक मेडिसिन में गोखरू की गोली भी मिलती है जो यूरिक एसिड के स्तर को तेजी से कंट्रोल करती है। चरक संहिता और भावप्रकाश जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में गोखरू को मूत्रल, वातहर, और  शूलहर यानी दर्द को दूर करने वाला बताया गया है। पोखर में मूत्रल (diuretic) गुण होते हैं जो पेशाब की मात्रा बढ़ाकर बॉडी में जमा अतिरिक्त यूरिक एसिड को बाहर निकालते हैं। ये जड़ी बूटी किडनी की सफाई करती है और किडनी में जमा यूरिक एसिड के क्रिस्टल को बाहर निकालती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर गठिया के दर्द और सूजन का खतरा बढ़ने लगता है। एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर गोखरू सूजन और दर्द को दूर करने में बेहद असरदार साबित होता है। गोखरू का सेवन उसका काढ़ा बनाकर और उसकी गोली के रूप में कर सकते हैं।

जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो गिलोय का काढ़ा बनाकर उसका सेवन करें। गिलोय का सेवन करने से यूरिक एसिड कंट्रोल रहता है। आयुर्वेद के मुताबिक गिलोय वात और पित्त को बैलेंस करता है। इसका सेवन करने से जोड़ों का दर्द और सूजन कंट्रोल रहती है। इस जड़ी बूटी को खाने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और बॉडी हेल्दी रहती है। गिलोय में टॉक्सिन को बाहर निकालने वाले गुण भी मौजूद होते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर गिलोय सूजन और दर्द को कंट्रोल करता है।

त्रिफला तीन फलों जैसे हरड़, बहेड़ा और आंवला का मिश्रण है। ये जड़ी बूटी बॉडी को डिटॉक्स करने में असरदार साबित होती है। ये जड़ी बूटी बॉडी को डिटॉक्स करती है और दर्द को दूर करती है। त्रिफला बॉडी की अंदर से सफाई करता है। इसका सेवन करने से खून में मौजूद अशुद्धियां दूर होती है। ये किडनी से लेकर लिवर तक की हेल्थ में सुधार करता है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में त्रिफला को रसायन बताया गया है, यानी ऐसा योग जो शरीर की सफाई करता है और कायाकल्प करता है। ये किडनी और लिवर की हेल्थ को दुरुस्त करने का रामबाण इलाज है। 

दही के साथ इन 5 चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करें, आचार्य बालकृष्ण ने बताया इन फूड कॉम्बिनेशन से बनेगा ज़हर, ये है फूड लिस्ट। पूरी जानकारी हासिल करने के लिए लिंक पर क्लिक करें।