डायबिटीज को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जो एक बार किसी को अपना शिकार बना ले तो इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। शुगर एक बार बढ़ जाए तो फिर जिंदगी भर साथ नहीं छोड़ती। हाई ब्लड शुगर से आहार और लाइफस्टाइल बहुत प्रभावित होता है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान जैसे जंक फूड आदि का सेवन ब्लड शुगर को हाई कर सकता है। शरीर में शुगर लेवल हाई होने पर कई पुरानी और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शुगर की बीमारी होने पर पैंक्रियाज में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाते, जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल हाई होने लगता है। ऐसे में शुगर को कंट्रोल करना बहुत आवश्यक है। हालांकि, शुगर में बहुत से फलों का सेवन फायदेमंद होता है और बहुत से फलों का सेवन हानिकारक हो सकता है। जिसकी हर किसी को सही पहचान करना जरूरी है। इसी तरह शुगर को कंट्रोल करने के लिए फल खाने चाहिए या फिर फलों का जूस ज्यादा असरदार होता है।
डायटिशियन और डायबिटीज शिक्षक डॉ. अर्चना बत्रा के मुताबिक, ब्लड शुगर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव कई समस्याओं का कारण बनता है, जैसे थकान, चिड़चिड़ापन और लालसा, कभी-कभी वे इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 2 डायबिटीज और हार्ट रोगों के जोखिमों को बढ़ा सकते हैं। डॉ. अर्चना बत्रा ने कहा कि फल और फलों का जूस प्राकृतिक शुगर का शुद्ध स्रोत है, जो सीधे ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावित करता है, लेकिन वे शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं, यह रूप फाइबर और प्रसंस्करण के आधार पर काफी भिन्न हो सकता है।
आहार विशेषज्ञ के मुताबिक, सेब, जामुन, संतरे और नाशपाती सहित पूरे फलों में विभिन्न पोषण संबंधी लाभ होते हैं, जैसे कि फाइबर, विटामिन, खनिज और ऑक्सीडेंट आदि। फलों में मौजूद फाइबर ब्लड फ्लो में शुगर के अवशोषण को धीमा करने में मदद करता है, जो ग्लूकोज के लेवल में तेज उछाल को रोकता है।
डॉ. अर्चना बत्रा ने फलों के सेवन के लाभों को लेकर बताया कि यह ग्लूकोज अवशोषण के लेवल को धीमा करता है, आंत के स्वास्थ्य का समर्थन करता है और अधिक पोषक तत्व युक्त होते हैं। शोध के अनुसार, जो लोग आमतौर पर जामुन और सेब जैसे साबुत फल खाते हैं, खासकर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले, उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा कम होता है।
डॉ. अर्चना बत्रा के मुताबिक, भले ही फलों का रस 100% प्राकृतिक हो, लेकिन इसमें वह फाइबर नहीं होता जो पूरे फलों में पाया जाता है। उस फाइबर बफर के बिना जूस में मौजूद प्राकृतिक शुगर जल्दी अवशोषित हो जाती है और इससे ब्लड शुगर का लेवल तेजी से बढ़ता है। ठीक वैसे ही जैसे मीठा सोडा पीने से होता है। फलों के जूस में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है, कैलोरी ज्यादा होती है, चीनी जल्दी अवशोषित होती है और इंसुलिन बढ़ने की संभावना होती है। इसके अलावा फलों के जूस में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं होते हैं।
आहार विशेषज्ञ के मुताबिक, फलों के जूस की जगह साबुत फल चुनने चाहिए। जो लोग ब्लड शुगर को कंट्रोल रखना चाहते हैं और एनर्जी को बनाए रखना चाहते हैं, उनके लिए साबुत फल सबसे अच्छा विकल्प है। जूस का सेवन कभी-कभार किया जा सकता है, खासतौर पर कम मात्रा में या प्रोटीन या वसा के साथ, लेकिन इसे डेली आहार के रूप में साबुत फलों की जगह नहीं लेना चाहिए।
इसके अलावा हड्डियों की मजबूती के लिए खीरे के बीज का सेवन भी किया जा सकता है। खीरे के बीज ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।