कब्ज बहुत खराब परेशानी है जो शारीरिक और मानसिक दोनों सेहत को प्रभावित करती है। पाचन से जुड़ी ये परेशानी कई तरह की समस्याएं पैदा करती है। कब्ज पेट में गैस और ब्लोटिंग को बढ़ाती है, एसिडिटी का कारण बनती है। कब्ज से मतलब है रोजाना मल त्याग नहीं होना, मल का कठोर और सूखा हुआ आना जिसे डिस्चार्ज करने में दिक्कत होती है। जब मल लंबे समय तक आंतों में जमा रहता है तो उसमें मौजूद बैक्टीरिया फर्मेंटेशन शुरू कर देते हैं जिससे पेट में गैस बनती है, यही गैस पेट में फंसकर ब्लोटिंग, दर्द और भारीपन का कारण बनती है। अगर आप भी पेट की गैस से परेशान हैं तो आप कुछ फलों को अपनी डेली डाइट का हिस्सा बना लें।
हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड से प्रशिक्षित कैलिफोर्निया स्थित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने पाचन से जुड़ी इस परेशानी का इलाज फलों से करने की सलाह दी है। एक्सपर्ट ने बताया जिन लोगों का बाउल मूवमेंट दुरुस्त नहीं रहता, आए दिन कब्ज से परेशान रहते हैं ऐसे लोग रोजाना तीन फलों का सेवन करें। ये फल इम्यूनिटी मजबूत करेंगे, बॉडी को हेल्दी रखेंगे और कब्ज का बिना दवा के ही इलाज करेंगे। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कौन-कौन से तीन फल ऐसे हैं जो कब्ज का इलाज करते हैं और बाउल मूवमेंट को दुरुस्त करते हैं।
कीवी एक ऐसा फल है जो विटामिन सी से भरपूर होता है। इस फल का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बॉडी को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते है। डॉ. सेठी ने बताया जो लोग कब्ज की बीमारी से परेशान हैं वो कीवी खाएं। यह छोटा सा फल पोषक तत्वों से भरपूर है।
फाइबर रिच इस फल में एक्टिनाइड नामक एंजाइम पाया जाता है, जो मल त्याग को नियमित करने में मदद करता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र सक्रिय रहता है। रोजाना एक या दो कीवी खाने से कब्ज में राहत मिल सकती है। इसे खाने से दिन में दो से तीन बार पेट खुलकर साफ होता है। ये फल बॉडी पर लैक्सेटिव (मल त्याग को तेज करने वाली दवा) का काम करता है जिससे कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
केला एक ऐसा फल है जो लगभग 12 महीने मिलता है और सस्ता भी होता है। रोजाना दो केले का सेवन आपकी गट हेल्थ को सुधार सकता है। केला न सिर्फ कब्ज का इलाज करता है बल्कि ये दस्त का भी इलाज करता है। डॉ. सेठी ने बताया केला दस्त को रोकने की दवा हैं। केले में पेक्टिन नामक घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो आंतों में मौजूद अतिरिक्त पानी को सोख लेता है और मल को ठोस बनाने में मदद करता है। केला एक ऐसा फल है जो हलका है और आसानी पच जाता है। ये पाचन को दुरुस्त करता है। केले का सेवन करने से ब्लोटिंग कंट्रोल रहती है। ये एसिडिटी को भी कंट्रोल करता है। ये नेचुरल एंटासिड की तरह काम करता है जो पेट की लेयर को ठंडा रखता है। ये अतिरिक्त एसिड को कंट्रोल करता है और पाचन में सुधार करता है। केले का सेवन करने से आंत की सेहत दुरुस्त रहती है।
पपीता का सेवन सदियों से पाचन से जुड़ी दिक्कतों जैसे कब्ज, गैस और ब्लोटिंग को कंट्रोल करने के लिए किया जाता रहा है। पपीता पाचन एंजाइम को बढ़ाता है और पाचन को दुरुस्त करता है। डॉ. सेठी ने बताया जिन लोगों को पाचन एंजाइम की जरूरत होती है उनके लिए ये फल सबसे अच्छा विकल्प हैं। पपीते में पपेन नामक एंजाइम भरपूर मात्रा में होता है, जो प्रोटीन को पचाने में मदद करता है। यह भोजन को तोड़ने और पाचन पर पड़ने वाले दबाव को कंट्रोल करता है। रोजाना एक बाउल पपीता का सेवन करने से अपच का उपचार किया जा सकता है। पपीता आंतों में मल को सड़ने नहीं देता बल्कि आंतों से मल को बाहर निकालता है। ये फल पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार भी करता है।
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