भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ने लगी है कि भारत को डायबिटीज का हब कहा जाने लगा है। मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज के ब्लड में  ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। डायबिटीज दो तरह की होती है टाइप 1 डायबिटीज जिसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है और टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध होता है जिसका अर्थ है कि उनका शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है, लेकिन इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ होता है। अच्छी खबर यह है कि कुछ आहार और लाइफस्टाइल में बदलाव करके डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। हम आपको एक प्राकृतिक घरेलू उपचार के बारे में बताते हैं जो आपके शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में आपकी मदद करेगा।

आयुर्वेद में डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए करेला फुट थेरेपी का सहारा लिया जाता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट नित्यानंदम श्री ने बताया अगर आप डायबिटीज कंट्रोल करना चाहते हैं तो आप कड़वे करेला का सेवन नहीं करें बल्कि आप करेले से फुट थेरेपी करें। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि करेला की फुट थेरेपी क्या है और ये कैसे डायबिटीज कंट्रोल करती है।

एक्सपर्ट ने बताया डायबिटीज मरीज प्लास्टिक के जूते खरीद लें और उसमें दो से तीन करेलों के बीज निकाल लें और उन्हें कद्दू कस करके बारीक कर लें। इन बारीक करेले को दोनों जूतों में बिझा दीजिए और उन्हें पहन लीजिए। एक्सपर्ट ने बताया एक से डेढ़ घंटे तक आप इन जूतों को पहनकर सैर करें। जब एक से डेढ़ घंटे में आपका मुंह कड़वा हो जाए और मुंह से कड़वाहट आने लगे तो आप घर में वापस आ जाएं और पैरों को वॉश करके उन पर सरसों का तेल लगा लें।

करेला की इस थेरेपी का उपयोग आयुर्वेद में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह थेरेपी शरीर में मौजूद आंतरिक असंतुलनों को संतुलित करने पर काम करती है और शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली के साथ तालमेल बनाकर असर दिखाती है। इसे अपनाने से डायबिटीज कंट्रोल रहती है।

करेले में ऐसे कंपाउंड पाए जाते हैं जो हेल्दी मेटाबॉलिज्म को स्पोर्ट करते हैं। करेला की इस थेरेपी से शरीर की शुगर प्राकृतिक रूप से कंट्रोल होती है। ये थेरेपी डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के दैनिक जीवन, एनर्जी के स्तर में सुधार ला सकती हैं। यह थेरेपी शरीर के भीतर से असंतुलन को सुधारती है, जिससे डायबिटीज के लक्षणों में सुधार होता है।

करेले में Polypeptide-P नामक यौगिक पाया जाता है जिसे प्राकृतिक इंसुलिन भी कहा जाता है। यह शरीर में ब्लड शुगर लेवल को ठीक उसी तरह कम करता है जैसे इंसुलिन करता है। करेले में मौजूद Charantin एक शक्तिशाली यौगिक है जो शरीर में ग्लूकोज़ के अवशोषण और उपयोग को बेहतर बनाता है। करेला शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोज़ को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है। इससे शरीर में शुगर जमा नहीं होती। नियमित सेवन से शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी यानी इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया बढ़ती है। करेला लिवर को डिटॉक्स करता है और पैंक्रियाज को बेहतर ढंग से इंसुलिन स्राव करने में मदद करता है।

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