दांतों का पीला होना एक ऐसी परेशानी है जिसके लिए कई कारण जिम्मेदार होते हैं। खराब ओरल हाइजीन, खाने के बाद कुल्ला नहीं करना, स्मोकिंग करना, रंगीन चीजों का ज्यादा सेवन करना और अनुवांशिक कारण के कारण दांतों का रंग पीला पड़ने लगता है। दांतों का पीलापन देखने में खराब लगता है। अक्सर लोग पीले दांतों को सफेद करने के लिए कई तरह के केमिकल ट्रीटमेंट कराते हैं जिससे दांतों पर कई बार साइड इफेक्ट भी देखने को मिलता है।
केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट के साइड इफेक्ट को देखते हुए लोग अब नेचुरल प्रोडक्ट की तरफ रुख कर रहे हैं। हालांकि नेचुरल प्रोडक्ट का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है जिसकी तरफ अब लोग फिर से मुड़ने लगे हैं।
लोग दांतों की सेहत को दुरुस्त करने के लिए और दांतों का पीलापन दूर करने के लिए देसी नुस्खों पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। कुछ नेचुरल हर्ब्स का इस्तेमाल दांतों की हेल्थ में सुधार करने के लिए, दांतों का पीलापन दूर करने के लिया किया जाता रहा है। अगर आप अपने पीले दांतों को नेचुरल तरीके से सफेद करना चाहते हैं तो हम आपको 4 आयुर्वेदिक हर्ब के बारे में बताते हैं जिसका इस्तेमाल करके आप अपने दांतों को सफेद, हेल्दी और सांसों की बदबू को दूर कर सकते हैं।
नीम जिसे “टूथब्रश ट्री” (toothbrush tree) भी कहा जाता है। नीम का इस्तेमाल सदियों से दांतों को साफ करने के लिए, मसूड़ों को हेल्दी रखने के लिए किया जाता रहा है। सदियों से नीम की टहनियों का इस्तेमाल नेचुरल टूथब्रश के रूप में किया जाता रहा है। नीम में शक्तिशाली एंटीबैक्टीरियल , एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो मसूड़ों की बीमारियों और प्लाक बनने को रोकते हैं। नियमित रूप से नीम का इस्तेमाल करने से दांतों की सतह पर होने वाले दाग-धब्बों से बचाव होता है, जिससे दांत साफ़ और सफेद दिखते हैं,आपकी मुस्कुराहट भी अच्छी लगती है।
दांतों की देखभाल करने में बबूल का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। इस नेचुरल हर्ब का इस्तेमाल करने से मसूड़े मजबूत होते है और मसूड़ों से खून आना बंद होता है। इसका कसैला स्वाद होता है लेकिन ये दांतों की समस्याओं का इलाज करने में जादुई असर करता है। बबूल की छाल का इस्तेमाल करने से दांत मजबूत होते हैं और जल्दी हिलते नहीं है। ये छाल दांतों पर टार्टर और प्लाक को बनने से रोकती है, जो दांतों के पीलेपन और बेजान दिखने का मुख्य कारण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से दांत सफेद हो जाते हैं और मसूड़े मजबूत होते हैं।
लौंग का सेवन भी प्राचीन समय से दांतों को हेल्दी,मजबूत औ सफेद रखने के लिए किया जाता रहा है। ये एक ऐसा अमूल्य मसाला है जो जिससे दांतों के दर्द का इलाज किया जा सकता है। इसके एंटीसेप्टिक गुण दांतों को कीटाणुओं से बचाते हैं और दांतों को हेल्दी बनाते हैं। लौंग में यूजेनॉल (Eugenol) पाया जाता है जो दर्दनाशक और जीवाणुरोधी तत्व है। लौंग का इस्तेमाल करने से दांत का दर्द कंट्रोल रहता है। लौंग बैक्टीरिया को रोकती है, दांतों पर दाग-धब्बे और दुर्गंध से बचाव करती है। यह दांतों को नेचुरल तरीके से सफेद करती है।
दांतों को मजबूत और सफेद बनाने में वज्रदंती बेहद असरदार साबित होता है। वज्रदंती का उपयोग दांतों और मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। यह दांतों को मजबूत करती है, दांतों में सड़न को रोकती है, मसूड़ों को कसती है और दांतों पर जमने वाला मेल बनने से बचाव करती है। नियमित रूप से वज्रदंती का उपयोग करने से दांतों की नेचुरल चमक बनी रहती है दांत सुंदर और चमकदार दिखाई देते हैं।
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