महिलाओं में पीरियड्स बंद होने की स्थिति को मेनोपॉज कहा जाता है। आमतौर पर महिलाएं 45 साल से लेकर 55 साल की उम्र में मेनोपॉज की स्थिति तक पहुंचती हैं। यह समय महिलाओं के जीवन में एक बड़ा शारीरिक और मानसिक बदलाव लेकर आता है, लेकिन आजकल के समय में अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के चलते तनाव और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती है। इससे महिलाओं में पीरियड्स कम उम्र में ही आना बंद हो जाते हैं। हालांकि, मेनोपॉज के लक्षण और प्रभाव कई साल पहले ही शुरू हो सकते हैं, जिसे पेरिमेनोपॉज कहा जाता है। ऐसे में इन लक्षणों की समय रहते पहचान और ध्यान नहीं दिया तो महिलाओं को मूत्र मार्ग में संक्रमण (UTI), वेजाइनल ड्राइनेस और हड्डियों की कमजोरी जैसी दिक्कतों का खतरा इस उम्र में ज्यादा होता है। पुणे स्थित मदरहुड हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ व सलाहकार डॉ. स्वाति गायकवाड़ ने बताया कि मेनोपॉज के समय महिलाओं में यूटीआई के अलावा किन समस्याओं का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

डॉ. स्वाति गायकवाड़ के मुताबिक, जब कोई महिला मेनोपॉज के करीब है या उससे गुजर रहे है तो उस स्थिति में योनि ड्राई और डिहाइड्रेटेड हो सकती है। ऐसे में लाभदायक बैक्टीरिया का संतुलन भी बिगड़ सकता है। जिसके चलते यीस्ट संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है। चलिए आपको बताते हैं मेनोपॉज के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और उन समस्याओं के कैसे बचाव किया जा सकता है।

मेनोपॉज महिलाओं में यूटीआई बढ़ने का मुख्य कारण एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट है। मूत्र पथ के ऊतकों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में एस्ट्रोजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एस्ट्रोजन के कम होने पर मूत्रमार्ग की परत यानी वह नली जिसके माध्यम से मूत्र शरीर से बाहर निकलता है। वह पतली और अधिक नाजुक हो जाती है। इसके अलावा मूत्र पथ में संक्रमण से लड़ने वाली रक्त कोशिकाएं कम होती हैं और म्यूकोसल प्रतिरक्षा मूत्र पथ की परत वाली म्यूकोसल सतहों पर मौजूद विशेष प्रतिरक्षा सुरक्षा जिसमें भौतिक और रासायनिक अवरोध, सेलुलर रिसेप्टर्स और एंटीबॉडी शामिल हैं कम हो जाती है।

दरअसल, मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन हार्मोन की कमी से यूरीनरी ट्रैक्ट की लाइनिंग पतली हो जाती है और अच्छे बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। बार-बार पेशाब आना, जलन और बदबू जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।

मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में बार-बार होने वाले यूटीआई को रोकने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक योनि एस्ट्रोजन थेरेपी है, जो क्रीम, टैबलेट या रिंग के माध्यम से सीधे योनि के ऊतकों में एस्ट्रोजन की छोटी खुराक पहुंचाती है। अध्ययनों से पता चला है कि योनि एस्ट्रोजन मूत्र पथ के प्राकृतिक सुरक्षात्मक अवरोध को बहाल कर सकता है, जिससे यूटीआई का जोखिम काफी कम हो जाता है।

मेथेनामाइन हिप्पुरेट बैक्टीरिया के विकास को रोकने वाला वातावरण बनाकर यूटीआई को कम करने में प्रभावी है। कनाडा में महिलाओं को यह दवा किसी कंपाउंडिंग फार्मेसी से लेनी होती है।

डॉक्टर कई महीनों तक कम खुराक वाली एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं। अगर यौन क्रियाकलाप यूटीआई के लिए ट्रिगर है, तो सेक्स के बाद कभी-कभी एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, एंटीबायोटिक्स साइड-इफेक्ट्स पैदा कर सकते हैं और एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया पैदा कर सकते हैं।

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