महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ ही कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर बीमारियों का खतरा और अधिक तब बढ़ जाता है जब महिलाओं के पीरियड्स आना बंद हो जाते है यानी मेनोपॉज के बाद। दरअसल, मेनोपॉज महिलाओं में होने वाली एक नेचुरल प्रक्रिया है। आमतौर पर महिलाएं 45 साल से लेकर 55 साल की उम्र में मेनोपॉज की स्थिति तक पहुंचती हैं। जब महिलाओं के पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं तो यही मेनोपॉज है। यह समय महिलाओं के जीवन में एक बड़ा शारीरिक और मानसिक बदलाव लेकर आता है, लेकिन आजकल के समय में अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के चलते तनाव और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने का खतरा अधिक बढ़ गया है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मेनोपॉज के बाद ही अधिकतर महिलाओं में हार्ट अटैक से लेकर कार्डियक अरेस्ट तक आते हैं। मेडिकल जर्नल द लैंसेट की रिसर्च भी बताती है कि 45 साल की उम्र के बाद महिलाओं में दिल की बीमारियों का रिस्क अधिक होता है और इसका संबंध मेनोपॉज से है।

गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में सीटीवीएस और हार्ट ट्रांसप्लांट के वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख डॉ. उद्गीथ धीर के मुताबिक, एस्ट्रोजन स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने, रक्त वाहिकाओं में लचीलापन बढ़ाने और सूजन को कम करने में मदद करके हृदय स्वास्थ्य में सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है। इस हार्मोन के कम होने से महिलाएं धमनियों में प्लाक के निर्माण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस के रूप में जाना जाता है।

मेनोपॉज के दौरान शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इस स्थिति में मुख्य रूप से एस्ट्रोजन के लेवल में गिरावट होने लगती है। एस्ट्रोजन महिलाओं में स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बनाए रखने, रक्त वाहिकाओं के कार्य को कंट्रोल करने और हार्ट की हेल्थ के लिए जरूरी है। एस्ट्रोजन में गिरावट के साथ, महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और एथेरोस्क्लेरोसिस यानी धमनियों का सख्त होना जैसी स्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

मेनोपॉज की स्थिति में महिलाओं के शरीर का टोटल कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, जिसमें सबसे ज्यादा बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इस हानिकारक वृद्धि के कारण धमनियों में प्लाक बिल्डअप होता है, जो एथेरोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकता है। इससे हार्ट की धमनियां संकीर्ण हो जाती है, जिससे दिल के दौरे का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। इस दौरान गुड कोलेस्ट्रॉल का निर्माण भी शरीर नहीं कर पाता है, जो हानिकारक हो सकता है।

दरअसल, जैसे-जैसे एस्ट्रोजन का लेवल गिरता है, महिलाओं के ब्लड प्रेशर में बढ़ने लगता है। ब्लड प्रेशर हार्ट रोग का एक मुख्य कारक है, जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दिल के दौरे की संभावना भी बढ़ जाती है।

कई महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान वजन बढ़ने या फैट जमा होने का अनुभव होता है, खासकर पेट के आसपास। इससे इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जिससे शुगर विकसित होने का जोखिम भी बढ़ जाता है, जो हार्ट रोग के लिए एक और महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।

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