प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन में गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। मुलाकात के बाद दोनों देशों के नेताओं की ओर से बयान भी जारी किया गया। इसमें आतंकवाद का मुद्दा भी शामिल था। ज्वाइंट स्टेटमेंट में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही गई थी। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफाकत अली खान ने दोनों देशों के बयान को एकतरफा बताया। उन्होंने कहा कि यह बयान भ्रामक और राजनयिक मानदंडों के खिलाफ भी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हैरान है कि हमारे बलिदानों को नजरअंदाज किया गया। शफ़ाकत अली खान ने कहा कि इस तरह की बातों से भारत के आतंकवाद के प्रति समर्थन को छुपाया नहीं जा सकता।

भारत और अमेरिका ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान को 26/11 और पठानकोट हमले के गुनहगारों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए। साथ ही दोनों देशों ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश में होने वाली आतंकी गतिविधियों के लिए ना हो।

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भारत और अमेरिका ने जोर दिया कि आतंकवाद से लड़ा जाना चाहिए और दुनिया के हर कोने से आतंकवादियों के छुपने के अड्डों को खत्म किया जाना चाहिए। दोनों देशों ने अलकायदा, आईएसआईएस, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा समेत आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने की मजबूत प्रतिबद्धता जताई।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका ने अरबों डॉलर की सैन्य खरीद बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत विश्व के लिए खतरा बना रहे हैं कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का सामना करने के लिए पहले की तरह ही मिलकर काम करते रहेंगे।

पत्रकारों ने डोनाल्ड ट्रंप से चीन को लेकर भी सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि कोरोना के आने से पहले तक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अच्छी दोस्ती थी। हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शांत करने में चीन काफी मददगार साबित हो सकता है।