ऑस्ट्रेलिया में हुए आम चुनाव के नतीजे आ गए हैं। चुनाव में लेबर पार्टी ने जीत दर्ज की है। यानी एंथनी अल्बनीज अब दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री बनेंगे। उनका कार्यकाल 3 साल का होगा। एंथनी अल्बनीज पिछले 21 सालों में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले ऑस्ट्रेलिया के पहले नेता हैं।ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव में एंथनी अल्बनीज और विपक्षी नेता पीटर डटन के बीच टक्कर थी।
हालांकि नतीजों के बाद पीटर ने हार स्वीकार कर ली और अल्बनीज को फोन पर बधाई दी। चुनाव जीतने के बाद एंथनी अल्बनीज ने सिडनी में कहा कि ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने उन्हें राष्ट्र की सेवा जारी रखने का मौका दिया है और उसके लिए वह उनका धन्यवाद करते हैं। चुनाव के शुरुआती अनुमानों से संकेत मिल रहा है कि लेबर पार्टी चुनाव में बहुमत की ओर बढ़ रही है। वहीं विपक्षी नेता ने हार भी स्वीकार कर ली है। हालांकि अंतिम नतीजे आना अभी बाकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ही एंथनी अल्बनीज को शानदार जीत के लिए बधाई दे दी है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए वह अल्बनीज के साथ काम करने को उत्सुक हैं।
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ऑस्ट्रेलिया की संसद के निचले सदन में 150 सीट है। लेबर पार्टी के बहुमत या अल्पमत सरकार बनाने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के विश्लेषक एंटनी ग्रीन ने भविष्यवाणी की है कि लेबर पार्टी 76 सीटें जीतेगी, जबकि गठबंधन को 36 सीटें मिलेंगी और गैर-गठबंधन दलों को 13 सीटें मिलने की संभावना है।
ऑस्ट्रेलिया में प्रचार अभियान मुख्य रूप से ऊर्जा नीति और मुद्रास्फीति पर केन्द्रित था और दोनों दलों ने देश में चल रहे जीवन-यापन के संकट को स्वीकार किया। विपक्षी नेता पीटर डटन की लिबरल पार्टी ने बढ़ती महंगाई के लिए सरकारी खर्च को जिम्मेदार ठहराया और सार्वजनिक सेवाओं में भारी कटौती का प्रस्ताव रखा था। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की हर पांच में से एक नौकरी को समाप्त करना भी शामिल था। इस बीच अल्बानीज़ की लेबर पार्टी ने डटन के परमाणु ऊर्जा प्रस्तावों की आलोचना की थी और उनकी पार्टी पर विभाजनकारी अमेरिकी शैली की राजनीति अपनाने का आरोप लगाया था।
अल्बनीज़ सरकार ने चीन के साथ संबंधों में सुधार लाने में अपनी सफलता पर भी जोर दिया, जिसके कारण व्यापार बाधाएं दूर हुईं। इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को अरबों का नुकसान हो रहा था। कठिन आर्थिक स्थिति का सामना करने के बावजूद, अल्बनिज़ अपनी सरकार का ध्यान रिन्यूएबल एनर्जी और सार्वजनिक सेवाओं पर केंद्रित रखे हुए थे।