राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से दूसरी बार सत्ता में आए हैं, उनकी मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। कई मोर्चों पर उन्हें झटके मिले हैं, कई मोर्चों पर उन्हें अपने फैसले वापस लेने पड़े हैं और कई मोर्चों पर तो उनकी किरकिरी भी हुई है। सपने उन्होंने दुनिया के सबसे ताकतवर नेता बनने के देखे हैं, इच्छा तो कई सालों से उनके मन में नोबल पीस प्राइज जीतने की है, हकीकत इससे काफी जुदा है और चुनौतियां तो ट्रंप के सामने लगातार सामने आ रही हैं।
उद्योगपति और टेस्ला के मालिक एलन मस्क राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक करीबी दोस्त माने जाते थे। इस बार जो अमेरिकी चुनाव हुआ था, उसमें खुलकर ना सिर्फ मस्क की तरफ से ट्रंप के लिए प्रचार किया गया बल्कि कहना चाहिए उन्होंने पानी की तरह पैसा भी बहाया। उन्होंने उस चुनाव में हर कीमत पर ट्रंप को जिताने का मन बना लिया था। अब ऐसा हुआ भी और इसी वजह से अपनी विक्ट्री स्पीच में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था आज हमारे बीच एक नया स्टार आ चुका है, एक नए सितारे का जन्म हुआ है। मैं सच बता रहा हूं कि एलन एक बहुत ही अद्भुत इंसान हैं, आज रात हम साथ बैठने वाले हैं, क्या आप जानते हैं उन्होंने फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनिया के कई हिस्सों में दो हफ्ते तक प्रचार किया।
एलन मास्क उनकी मेहनत का सही फल भी मिला और राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें मिनिस्ट्री आफ एफिशिएंसी का प्रमुख बना दिया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई कंपनियों में छटनी की, ट्रंप के हर वादे को पूरा करने की कोशिश भी दिखी।
अब सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन उसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप लेकर आए ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’, इस टैक्स और खर्च बिल भी कहा जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप के इसी बिल को लेकर एलन मस्क ने एक तल्ख टिप्पणी कर दी थी। उन्होंने जोर देकर कहा था कि यह जनता के पैसों की सरासर बर्बादी है, यह शर्मनाक बिल है। मास्क ने यह भी आरोप लगाया कि देर रात इस बिल को बिना चर्चा के ही पास करवाया गया और उनसे राय तक नहीं ली गई।
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अब अगर मस्क ने इतना गंभीर आरोप लगाया तो राष्ट्रपति ट्रंप ने भी ठीक ऐसी ही प्रतिक्रिया देते हुए कह डाला कि वे उनके इस कमेंट से काफी निराशा हैं। ट्रंप यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने दावा कर दिया कि एलन मस्क ने पहले इस बिल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि इस बिल की वजह से इलेक्ट्रिक व्हीकल सब्सिडी में कटौती हो सकती है, उस वजह से उन्हें डर लगा कि उनकी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
अब राष्ट्रपति ट्रंप ने क्योंकि मस्क को ही निशाने पर ले लिया, ऐसे में उद्योगपति ने भी एक और बड़ा वार किया। उन्होंने ट्रंप को झूठा बताते हुए कहा कि यह बिल मुझे एक बार भी नहीं दिखाया गया। इसके बाद उन्होंने आगे का दिया कि अगर वे ट्रंप के साथ नहीं होते तो उनके लिए चुनाव जीत पाना नामुमकिन था।
इस समय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बड़बोले बयानों की वजह से भी कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनावी प्रचार के दौरान वादा किया था कि वे हर कीमत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवा देंगे, लेकिन जानकार मानते हैं कि ट्रंप की नीति पूरी तरह फेल रही है क्योंकि उन्होंने अमेरिका के सिद्धांतों का पालन नहीं किया। उन्होंने खुलकर रूस का समर्थन किया और यूक्रेन को ही इस युद्ध के लिए जिम्मेदार बता दिया। राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ भी ट्रंप का व्यवहार आलोचना का पात्र रहा।
इसी तरह पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के समय इजरायल और हमास के बीच में पहले स्तर का सीजफायर हो गया था, दूसरे स्तर की भी बातचीत होनी थी। लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही वो प्रक्रिया कहीं फंस सी गई। ना हमास ने बंधियों को छोड़ा और ना ही इजरायल ने अपने हमले रोके। इसके ऊपर गाजा में मानवता पर संकट बढ़ता गया।
राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनके कई ऐसे बयान भी सामने आए हैं जो सिर्फ उनके निजी स्वार्थ को ठंडक देते हैं और अमेरिका के लिए उनमें कुछ नहीं होता। उदाहरण के लिए ट्रंप लगातार कह रहे हैं कि वे ग्रीनलैंड को अधिग्रहित करना चाहते हैं। डेनमार्क इसका विरोध कर रहा है, ग्रीनलैंड के लोग इसके लिए तैयार नहीं हैं। बात स्वतंत्रता की हो रही है, लेकिन ट्रंप अपने बयान पर अडिग हैं। वे हर कीमत पर ग्रीनलैंड का अधिग्रहण चाहते हैं। जानकार इसे अमेरिका से ज्यादा ट्रंप की महत्वकांक्षा मानते हैं।
इसी तरह राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने एक नई जिद पाली, उन्होंने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का सपना देखा। जो देश इतने सालों से स्वतंत्र चल रहा है, जिसके अमेरिका के साथ भी रिश्ते अच्छे रहे, जिसने हमेशा यूएस को अपना बिग ब्रदर माना, वहां ट्रंप की जिद ने बात बिगाड़ दी। कई सालों बाद अमेरिका और कनाडा के बीच में तख्ली देखने को मिली।
ट्रंप ने अपने बयानों की वजह से भारत के साथ भी रिश्ते खराब किए हैं। भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद उन्हें क्रेडिट लेने की होड़ ऐसी मची कि उन्होंने ऐसे-ऐसे दावे किए जिसका खंडन भारत के विदेश मंत्रालय को कई मौकों पर करना पड़ा। बड़ी बात यह रही कि वे खुद अपने किसी भी बयान पर ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए। कभी कहा कि सीजफायर करवाया, कभी कहां कि सिर्फ एक भूमिका निभाई, फिर अचानक से कहा कि ट्रेड के दम पर युद्ध रुकवा दिया। हैरानी की बात यह रही कि दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति को बार-बार मुंह की खानी पड़ी और भारत ने उनके किसी बयान का समर्थन नहीं किया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने जिस तरह से कोई दोस्तियों को तोड़ा है, इसी तरह उन्होंने अपने कुछ वादों को भी तोड़ा है। 100 ऑफिस में आए 100 से ज्यादा दिन हो चुके हैं, लेकिन टैक्स कट को लेकर अभी तक कोई बड़ा ऐलान नहीं हुआ है। इसी तरह रूस-यूक्रेन का युद्ध भी वे नहीं रुकवा पाए हैं, यानी कि दूसरा वादा भी उनका टूटा है। टैरिफ्स को लेकर भी ट्रंप को अमेरिकी अदालत से झटका लगा है। दो टूक कहा गया है कि इमरजेंसी के नाम पर वे किसी भी देश पर टैरिफ नहीं लगा सकते हैं। मामला अभी भी कोर्ट में हैं, ऐसे में यहां भी कोई स्पष्टता नहीं है।
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