Patanjali Yogpeeth Nepal Land Controversy: पतंजलि योगपीठ-नेपाल से जुड़े जमीन की गड़बड़ी के मामले में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है। यह मामला नेपाल की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी The Commission of Inquiry into Abuse of Authority (CIAA) की ओर से दर्ज किया गया है। इसमें माधव कुमार नेपाल और 93 अन्य लोगों नाम हैं। माधव कुमार नेपाल सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष हैं।

इस मामले में कावेर जिले में योग सेंटर और हर्बल खेती के लिए खरीदी गई जमीन में पतंजलि योगपीठ के द्वारा मदद करने का आरोप है। CIAA ने विशेष अदालत में मुकदमा दर्ज किया है।

माधव नेपाल ने उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और वह कानूनी प्रक्रिया का सामना करने के लिए तैयार हैं। माधव नेपाल मई, 2009 से फरवरी 2011 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे थे। CIAA ने चार्जशीट भी दायर कर दी है। माधव नेपाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री केपी ओली ने उनके खिलाफ साजिश रची है और ओली उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहते हैं।

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चार्जशीट के मुताबिक, माधव नेपाल जब नेपाल के प्रधानमंत्री थे, उस दौरान उनकी अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी और इस बैठक में लैंड सीलिंग लॉ को हटा दिया गया था। इसके बाद पतंजलि को जमीन खरीदने की इजाजत दे दी गई थी। इसके अलावा दो महीने बाद एक और फैसला लिया गया था और इससे पतंजलि को जमीन की कॉमर्शियल बिक्री करने की इजाजत मिल गई थी।

CIAA का कहना है कि इस वजह से राज्य के सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ है। एजेंसी के मुताबिक, माधव नेपाल से कहा गया है कि वह इस नुकसान के लिए नेपाल के खाते में 186 मिलियन रुपए का भुगतान करें।

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एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में पतंजलि के प्रमुख बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का नाम नहीं लिया है। हालांकि इसमें पतंजलि-नेपाल के निदेशक सालिगराम सिंह का नाम है। आरोपपत्र में पूर्व कानून मंत्री प्रेम बहादुर सिंह, डंबर श्रेष्ठ और पूर्व मुख्य सचिव माधव प्रसाद घिमिरे का भी नाम शामिल है।

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