अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को लेकर अमेरिकी एयरफोर्स का मिलिट्री विमान आज भारत पहुंचने वाला है। यह विशेष विमान अमेरिका के सैन्यअड्डे से मंगलवार को रवाना हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी सवार बताए जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक सटीक संख्या को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार इस फ्लाइट में 205 भारतीय नागरिक मौजूद हैं, जिनमें से करीब 140 पंजाब से ताल्लुक रखते हैं।
अमेरिका की मौजूदा सरकार अवैध अप्रवासियों के खिलाफ सख्त नीति अपना रही है। अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने इस विषय पर अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि अमेरिका अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि देश के इमिग्रेशन कानूनों को सख्त किया जा रहा है, और अवैध अप्रवासियों को निकालने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
डिपोर्टेशन के तहत, अमेरिकी प्रशासन उन सभी अप्रवासियों को उनके मूल देश भेजने की प्रक्रिया में जुटा है, जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। इस कार्रवाई के तहत पहले भी ग्वाटेमाला, पेरू और होंडूरास जैसे देशों के नागरिकों को वापस भेजा गया था, और अब भारतीय अप्रवासियों पर भी यह नीति लागू हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक, यह विमान बुधवार सुबह श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर या उसके आसपास के किसी सैन्यअड्डे पर लैंड कर सकता है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। भारत सरकार भी इस मसले को गंभीरता से ले रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत सरकार अवैध रूप से विदेशों में रह रहे नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए हमेशा तैयार रही है। पिछले महीने सरकार ने यह भी कहा था कि अमेरिका में रह रहे अवैध भारतीयों की सही संख्या का पता लगाया जा रहा है ताकि उनकी वापसी को सुचारू रूप से प्रबंधित किया जा सके।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में अब तक का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन अभियान चलाया गया है। इस अभियान के तहत अमेरिका ने अवैध अप्रवासियों की पहचान कर उन्हें उनके मूल देशों में भेजने की कार्रवाई तेज कर दी है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और अमेरिका ने मिलकर लगभग 18,000 ऐसे भारतीय नागरिकों की पहचान की है, जो बिना वैध दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं। ट्रंप प्रशासन के दबाव में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने टेक्सास और कैलिफोर्निया में हिरासत में रखे गए 5,000 से अधिक प्रवासियों को भी डिपोर्ट करना शुरू कर दिया है।
हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की थी। दोनों देशों के बीच इस विषय पर लगातार बातचीत जारी है ताकि अवैध अप्रवासियों के मुद्दे को हल किया जा सके।
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच 27 जनवरी को फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें ट्रंप ने यह आशा जताई थी कि भारत अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अवैध अप्रवासी भारतीयों को वापस बुलाने के लिए उचित कदम उठाएगा।
प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में करीब 7.25 लाख अवैध भारतीय अप्रवासी रहते हैं। यह संख्या दुनिया में अवैध अप्रवासियों की तीसरी सबसे बड़ी श्रेणी में आती है, जिसमें पहले स्थान पर मेक्सिको और दूसरे स्थान पर अल सल्वाडोर है। अमेरिका में रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में हर साल हजारों भारतीय अवैध रूप से प्रवेश करते हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन की सख्ती के बाद अब ऐसे अप्रवासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
भारत सरकार इस मसले को लेकर अमेरिकी अधिकारियों से लगातार बातचीत कर रही है ताकि डिपोर्ट किए गए भारतीयों की वतन वापसी को व्यवस्थित ढंग से अंजाम दिया जा सके। भारत सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि इन नागरिकों को उचित सहायता मिले और वे अपने देश में फिर से बस सकें।
अमेरिका से भारत लौट रहे इन अप्रवासियों के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी, लेकिन सरकार उनकी मदद के लिए आवश्यक कदम उठाने को तैयार है। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच आगे क्या सहमति बनती है और कितने और भारतीयों को अमेरिका से वापस लाया जाता है।