यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। यमन में सरकारी अधिकारियों और अब्दो तलाल के परिवार के साथ बातचीत में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बसकरन ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि सरकारी अभियोजक ने जेल अधिकारियों को अभियोजन पत्र जारी किया है। 16 जुलाई को फांसी तय है हालांकि विकल्प अभी भी खुले हैं। भारत सरकार प्रिया की जान बचाने के लिए मामले में हस्तक्षेप कर सकती है।

तलाल के परिवार की ओर से माफी के बारे में सैमुअल ने कहा, “हमने पिछली बैठक के दौरान परिवार को एक प्रस्ताव दिया था। अब तक, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है। मैं बातचीत फिर से शुरू करने के लिए आज यमन जा रहा हूं।” निमिशा की मां प्रेमा कुमारी कोच्चि में एक घरेलू कामगार हैं, जो पिछले एक साल से यमन में हैं। केरल की मूल निवासी निमिशा ने 2017 में हत्या के आरोप लगने तक कई वर्षों तक यमन में एक नर्स के रूप में काम किया था।

तलाल अब्दो के सहयोग से निमिशा यमन में एक क्लीनिक चलाती थी, लेकिन कथित तौर पर उसे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण का सामना करना पड़ा। यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने निमिशा को मौत की सज़ा सुनाई थी और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे बरकरार रखा था। पिछले साल यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने 38 वर्षीय निमिशा की मौत की सज़ा को मंज़ूरी दी थी। अब उसकी किस्मत तलाल के परिवार की माफ़ी पर निर्भर है। पिछले साल जब यमन के राष्ट्रपति ने मौत की सज़ा को मंज़ूरी दी थी, तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह उसे और उसके परिवार को हर संभव मदद देगा।

इस्लामिक लॉ में ‘ब्लड मनी’ किसे कहते हैं? जानें निमिशा प्रिया मामले में क्यों आया इसका जिक्र

प्रिया को 2017 में एक यमन नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया था। उसे देश से भागने की कोशिश करते समय पकड़ा गया और 2018 में उसे मौत की सजा सुनाई गई। वर्तमान में प्रिया की मां यमन में है, जहां वह मारे गए व्यक्ति के परिवार को ‘ब्लड मनी’ देकर अपनी मृत्युदंड को माफ करने की कोशिश कर रही थीं।

इस्लामिक कानून के अनुसार, अपराध के पीड़ितों को यह कहने का अधिकार है कि अपराधियों को कैसे दंडित किया जाए। हत्या के मामले में यह सिद्धांत पीड़ितों के परिवारों पर लागू होता है। हालांकि हत्या की सजा मृत्युदंड के माध्यम से दी जाती है, लेकिन पीड़ित का परिवार (विशेष रूप से, वारिस) मॉनेटरी मुआवजे के बदले में हत्यारे को माफ़ करने का विकल्प चुन सकता है। यह दीया का सिद्धांत है। इसका आम तौर पर ब्लड मनी के रूप में जिक्र किया जाता है। इसका पता पवित्र कुरान से लगाया जा सकता है।

स्कॉलर्स का मानना है कि इसके पीछे का विचार क्षमा के गुण को प्रोत्साहित करना है। साथ ही पीड़ित के परिवार को क्षतिपूर्ति न्याय प्रदान करना है। धर्मग्रंथों ने मुआवजे के रूप में कोई विशिष्ट राशि निर्धारित नहीं की है, यह राशि आम तौर पर हत्यारे के परिवार/प्रतिनिधियों और पीड़ित के परिवार के बीच बातचीत के माध्यम से तय की जाती है। हालांकि कुछ इस्लामी देशों ने न्यूनतम मुआवजे की राशि निर्धारित की है।