इजरायल ने शुक्रवार (13 जून) सुबह ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इसमें ईरान का का Natanz Nuclear Enrichment Complex भी शामिल है। इजरायल ने कार्रवाई को ईरान के परमाणु हथियार बनाने के प्रयासों को विफल करने के उद्देश्य से बताया। ये हमले ईरान की परमाणु क्षमताओं के लिए एक बड़ा झटका हो सकते हैं और मध्य पूर्व में युद्ध को भड़काने की क्षमता रखते हैं। लेकिन अभी तक विस्फोट या बड़े रेडियोएक्टिव लीक से जुड़ी परमाणु आपदा के जोखिम बहुत कम हैं।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए इजरायल का विरोध नया नहीं है। न ही ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के उसके प्रयास नए हैं। हालांकि, हमले के लिए तत्काल ट्रिगर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा एक प्रतिकूल प्रस्ताव था, जिसने घोषणा की कि ईरान अपने दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है। दो दशकों में ऐसा पहला प्रस्ताव है। बुधवार को पेश किया गया यह प्रस्ताव IAEA की एक जांच के बाद आया है जिसमें पाया गया कि ईरान तीन स्थानों पर गुप्त परमाणु गतिविधियां कर रहा था।

इजरायल की यह कार्रवाई ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता के छठे दौर से पहले हुई है, जो इस रविवार को मस्कट में होने वाली थी। इस कार्रवाई से दोनों देशों के बीच चल रही परमाणु वार्ता में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है, जो एक ऐसा समझौता चाहते हैं जो प्रतिबंधों में राहत के बदले ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकेगा।

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इजरायल का प्राथमिक लक्ष्य सेंट्रल ईरान के इस्फ़हान प्रांत में स्थित नतांज़ परमाणु फैसिलिटी थी। नतांज़ देश की मुख्य यूरेनियम संवर्धन सुविधा है, जहां ईरान ने अपने परमाणु ईंधन का अधिकांश हिस्सा प्रोड्यूस किया है। Enrichment वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यूरेनियम-235 (जिसका उपयोग परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जाता है) प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यूरेनियम से निकाला जाता है जो मुख्य रूप से यूरेनियम-238 किस्म का होता है। नतांज़ में विभिन्न प्रकार की परमाणु सामग्री इकट्ठा की जाती है, जिसमें समृद्ध और गैर-समृद्ध यूरेनियम दोनों शामिल हैं।

यह जानना अभी भी जल्दबाजी होगी कि इजरायल ने कितना नुकसान किया। उत्तरी प्रांत क़ोम के फ़ोर्डो में ईरान की अन्य प्रमुख Enrichment Facility के विपरीत नतांज़ Facility बहुत गहराई में नहीं दबी हुई है। लेकिन जिन हॉल में सेंट्रीफ्यूज रखे जाते हैं, जहां यूरेनियम को Enrich किया जाता है, वे फ़ारसी रेगिस्तान में बहुत गहरे भूमिगत हैं और अत्यधिक कंक्रीट से सुरक्षित किए गए हैं।

लेकिन अगर इज़राइल ने फैसिलिटी पर हमला किया भी, तो भी कोई बड़ी परमाणु आपदा की संभावना नहीं है। पारंपरिक हथियारों से परमाणु सामग्री या उपकरणों पर हमला करने से परमाणु विस्फोट या लीक नहीं होता है। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि फैसिलिटी के अंदर रेडियोएक्टिव सब्सटेंस के स्थानीय फैलाव की संभावना है।

भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रमुख अनिल काकोडकर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह सब सुविधा में संग्रहीत परमाणु सामग्री के कंफीग्रेशन पर निर्भर करता है। अगर परमाणु सामग्री और विस्फोटकों को अलग-अलग रखा जाता है, तो विस्फोट या लीक का बहुत ज़्यादा ख़तरा नहीं होता है, भले ही परमाणु सामग्री पर सीधा हमला हो। हमलों के कारण पर्यावरण में परमाणु सामग्री का फैलाव या प्रसार होने की संभावना है। लेकिन यह फैसिलिटी या हमले की जगह तक ही सीमित रहने की संभावना है।” काकोडकर के अनुसार भले ही इजरायल ने इकट्ठे परमाणु हथियारों पर हमला किया हो, लेकिन इसका परिणाम संगठित विस्फोट की तुलना में ऑर्गेनाइज्ड एक्सप्लोशन होने की अधिक संभावना है।

परमाणु विस्फोट को ट्रिगर करने के लिए जिस तरह के परमाणु हथियार लाने के लिए बनाए जाते हैं, प्रक्रियाओं के एक बहुत ही सटीक सेट का पालन करने और एक बहुत ही विशिष्ट शुरुआत की आवश्यकता होती है। सभी परमाणु हथियारों में आकस्मिक विस्फोट को रोकने के लिए इनबिल्ट सुरक्षा तंत्र भी होते हैं। इसलिए ईरान की परमाणु सुविधाओं पर इज़रायली हमले के कारण परमाणु विस्फोट या एक बड़ा विकिरण रिसाव होने की संभावना नहीं है। लेकिन निश्चित रूप से फैसिलिटी के भीतर और बाहर के इलाकों में काम करने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में भी परमाणु दुर्घटना की इसी तरह की आशंकाए रही हैं, खासकर जब यूक्रेन का ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा प्लांट लड़ाई में फंस गया था। प्लांट को कुछ क्षति तो हुई, लेकिन उस स्थिति में भी, किसी बड़ी परमाणु दुर्घटना की संभावना नहीं थी।