Russia-Ukriane War Trump News: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर कीमत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि मौतों का सिलसिला अब थम जाना चाहिए। लेकिन सवाल तो वही है- आखिर किस प्लान पर आगे बढ़कर डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध को रोकना चाहते हैं? आखिर राष्ट्रपति ट्रंप इस समय कौन से रोडमैप पर आगे बढ़ रहे हैं। अभी तक तो डोनाल्ड ट्रंप की नीति देख साफ समझ आ रहा है कि वे जल्द से जल्द इस जंग को रुकवाना चाहते हैं।
इसी वजह से उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से 90 मिनट की बातचीत की है। बड़ी बात यह है कि दोनों ही नेता शायद साऊदी अरब में मुलाकात भी कर सकते हैं। अब माना यह जा रहा है कि जंग तुरंत नहीं रुकेगी, लेकिन अगर बातचीत की टेबल पर आया गया, उस स्थिति में युद्ध रोकने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। खुद ट्रंप ने दावा किया है कि पुतिन को उनका सुझाव पसंद आया है और वे भी युद्ध रोकने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
वैसे अगर पुतिन राष्ट्रपति ट्रंप के ऑफर में थोड़ी भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, इसके दो बड़े कारण सामने आ रहे हैं। पहला कारण तो यह कि ट्रंप खुद ऐसा मान रहे हैं कि अब यूक्रेन को अपनी खोई हुई सारी जमीन नहीं मिल सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2014 से पहले वाली स्थिति में वापस आ जाना अब मुश्किल है। अब क्योंकि ट्रंप भी ऐसे विचार रख रहे हैं, ऐसे में पुतिन को भी लग रहा है कि डील उनके पक्ष में ज्यादा रह सकती है। समझने वाली बात यह भी है कि ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को नेटो का सदस्य बनता हुआ नहीं देख रहा है, यह एक ऐसी मांग है जो जेलेंस्की लगातार कर रहे हैं और पुतिन इसका विरोध।
ऐसे में ट्रंप का झुकाव क्योंकि रूस की तरफ ज्यादा दिख रहा है, पुतिन भी युद्ध रोकने में दिचस्पी दिखा रहे हैं। अब यहां पर जेलेंस्की की आपत्ति समझना जरूरी हो जाता है। असल में यूक्रेनी राष्ट्रपति इस बात के सख्त खिलाफ है कि किसी भी ऐसी बातचीत में अगर यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया। वे चाहते हैं कि जब भी युद्ध रोकने की बात हो या फिर किसी डील पर मंथन हो, तब पूरी पारदर्शिता रखी जाए, तब यूक्रेन को भी उसका हिस्सा बनाया जाए। इसके ऊपर अब क्योंकि जेलेंस्की का यूक्रेन को नेटो का हिस्सा बनाने का सपना भी टूट सकता है, ऐसे में उनकी तरफ से एक और मांग की जा रही है।
वे चाहते हैं कि उस स्थिति में अमेरिका उन्हें हथियार सप्लाई करता रहे, उन्हें उतना सहयोग जरूर मिले जिससे वो रूस के बराबर आ सके। वैसे यहां पर जानना जरूरी हो जाता है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जेलेंस्की से भी फोन पर बात की है। पुतिन से 90 मिनट की बातचीत के बाद ही उनकी तरफ से जेलेंस्की को भी फोन लगाया। ना सिर्फ पुतिन संग हुई बातचीत का ब्योरा दिया गया बल्कि युद्ध रोकने का एक रोडमैप भी सामने रखा गया। लेकिन जेलेंस्की को फिर भी अब ज्यादा समझौता करना पड़ रहा है।
जब बाइडेन प्रशासन था, साफ कहा गया था कि यूक्रेन को खुली मदद दी जाएगी, जितनी मिलिट्री सहायता चाहिए, अमेरिका वो देता रहेगा। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की ऐसी कोई मंशा नहीं है, इसी वजह से माना जा रहा है कि वे ज्यादा सख्त रहने वाले हैं। उनका यही रुख जेलेंस्की को भी समझौता करने पर मजबूर कर सकता है। वैसे अब एक और बड़ा इवेंट होने जा रहा है- Munich Security Conference। उस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की और दूसरे यूक्रेनी अधिकारी अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वैंस से मिलने वाले हैं। वहां भी इस युद्ध को रोकने को लेकर मंथन होना है।
ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप का सत्ता में आना रूस-यूक्रेन युद्ध को एक नए मोड़ पर ले जा सकता है। उनका युद्ध रोकने का कमिटमेंट जरूर है, लेकिन जेलेंस्की को उसमें साथ रखना एक बड़ी चुनौती भी। वैसे कुछ शर्तें तो जेलेंस्की ने भी नेटो के सामने रखी हैं, अगर उन्हें मान लिया जाए उस स्थिति में भी युद्ध रुक सकता है, इस बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक करें