इटली की संसद में सुरक्षा को लेकर एक विधेयक पेश किया गया। जो अब कानून बन गया है। इस कानून को लेकर विरोध शुरू हो गया है। इस कानून के लागू होने के बाद पुलिस और प्रशासन को और भी ज्यादा ताकत मिलने वाली है। दरअसल इस कानून के तहत प्रदर्शन करने वालों के लिए भी सख्त सजा की बात कही गई है। इस नए कानून के आदेश ने इटली को दक्षिणपंथ और वामपंथ में विभाजित कर दिया है। दरअसल दक्षिणपंथी गठबंधन की सरकार का नेतृत्व कर रहीं जॉर्जिया मेलोनी अभी इटली की प्रधानमंत्री हैं। बीते दिनों पहले सीनेट में इस कानून के पक्ष में 109 मत जबकि 69 वोट विपक्ष में पड़े।

सीनेट में वोटिंग के दौरान मेलोनी ने सीनेट में कहा था कि  सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस कानून को सीनेट से मंजूरी मिलना एक निर्णायक कदम है। सरकार ने देश के नागरिकों, कमजोर समूहों और महिला एवं पुरुष वर्दीधारियों की सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेगा। दरअसल इस कानून की मुख्य बातों को ध्यान में रखें तो सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तोड़-फोड़ करके प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है।

इस कानून में खुफिया एजेंटों को राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए अपराध करने की भी अनुमति देता है। साथ ही ड्यूटी के दौरान किसी सुरक्षा कर्मी को घायल करने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है। जबकि नौकरी के दौरान आचरण के आधार पर जांच किए जाने वाले अधिकारियों के लिए कानूनी फीस के तौर पर 10 हजार यूरो तक की धनराशि तय की गई है। इस कानून को लेकर सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि ये कानून सुरक्षा की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।

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इस कानून के आलोचक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ये कानून खाली पड़ी इमारतों में रहने वालों लोगों को बेदखल कर देगा। इटली की मध्य वामदलों के नेतृत्व में समूचा विपक्ष इस कानून का विरोध कर रहा है। विपक्षी सांसद सीनेट में चैंबर के फर्श पर विरोध में बैठ गए और “शर्म करो, शर्म करो” के नारे भी लगाए। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता सीनेटर फ्रांसेस्को बोकिया ने युवा सक्रियता और श्रमिक विरोधो के अपराधीकरण की निंदा की। उन्होंने कहा कि ये सरकार हड़ताल और विरोध करने वाले बच्चों, छात्रों और कारखाने के मजदूरों को कैद करना चाहती है।