पिछले महीने, भारतीय सेना मुख्यालय में लद्दाख के पैंगोंग त्सो की पृष्ठभूमि में 1971 के पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तस्वीर को हटाए जाने से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। इस तस्वीर के स्थान पर कृष्ण और अर्जुन के चित्र लगाए गए। इस विवाद पर बात करते हुए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को कहा कि भारतीय सेना मुख्यालय में लद्दाख के पैंगोंग त्सो की पृष्ठभूमि में 1971 के पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तस्वीर के स्थान पर कृष्ण और अर्जुन के चित्र लगाना, सेना के समक्ष मौजूद चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
इस तस्वीर को बाद में मानेकशॉ सेंटर में भारतीय सेना प्रमुख के लाउंज में लगाया गया था। वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया और सरकार से सेना मुख्यालय में इसे फिर से लगाने को कहा। गांधी ने तर्क दिया कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में हार के बाद पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तस्वीर सेना के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती है।
इस पेंटिंग को ‘कर्म क्षेत्र’ नामक एक अन्य पेंटिंग से बदल दिया गया था। नए चित्र में भारत-चीन सीमा पर पैंगोंग झील को दिखाया गया है और इसमें नावों, सभी इलाकों में चलने वाले वाहनों, टैंकों और अपाचे हेलीकॉप्टरों जैसी आधुनिक सैन्य संपत्तियाँ भी दिखाई गई हैं। कलाकृति में महाभारत में अर्जुन के रथ का मार्गदर्शन करते भगवान कृष्ण और चाणक्य जैसे पौराणिक चरित्र भी दिखाए गए हैं।
सेना के वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल द्विवेदी ने इस आलोचना को खारिज कर दिया कि सेना की महिमा पर पौराणिक कथाओं को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा, “यह भी कहा जाता है कि ये पौराणिक हैं। अगर आप मूल संविधान के अध्याय IV को खोलेंगे तो उसमें कृष्ण और अर्जुन की एक ही रथ पर बैठी पेंटिंग है। तो क्या संविधान भी पौराणिक है? आधुनिक तकनीक वहाँ (नई पेंटिंग में) दिखाई देती है। इसलिए, अगर मुझे अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ना है तो यह उसका प्रतीक है।”
जुकरबर्ग के बयान पर भारत सख्त, META को संसदीय समिति भेजेगी समन
1971 की तस्वीर हटाने के फ़ैसले के बारे में बताते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा, “दो चीफ़ लाउंज हैं। एक चीफ़ लाउंज यहां (मानेकशॉ सेंटर) है और एक चीफ़ लाउंज साउथ ब्लॉक में है। अगर, थल सेना भवन समय पर बन जाता है तो साल के अंत तक हमें साउथ ब्लॉक खाली कर देना चाहिए। 16 दिसंबर को उस सरेंडर पेंटिंग को मानेकशॉ सेंटर में रखने की तारीख़ इसलिए चुनी गई क्योंकि वह एक शुभ दिन है। जहां तक दूसरे चीफ़ लाउंज की बात है वह एक भित्तिचित्र है, उसे वहां से हटाया नहीं जा सकता इसलिए मुझे यह फ़ैसला लेना था कि इसे कहां से हटाया जाए।”
जनरल द्विवेदी ने कहा कि नई पेंटिंग की परिकल्पना मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब ने की थी और इसे उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए बनाया है। जनरल द्विवेदी ने कहा, “अगर आप भारत के स्वर्णिम इतिहास को देखें तो इसमें तीन अध्याय हैं। इसमें ब्रिटिश युग, मुगल युग और उससे पहले का युग है। इसलिए, अगर आप इसे और मेरे द्वारा दिए गए दृष्टिकोण को जोड़ते हैं, तो प्रतीकवाद महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर मैं 1.5 के पुनर्संतुलन की बात कर रहा हूं, तो कृपया समझें कि यह किस संभावित विरोधी के खिलाफ है।”
यहां पुनर्संतुलन 1.5 का तात्पर्य पूर्वी लद्दाख में 2020 के गलवान संघर्ष और उत्तरी सीमा पर चीनी सेना से मिल रही चुनौती के मद्देनजर सेना के पुनर्गठन और पुनर्निर्देशन से है। इसलिए, यहां मानेकशॉ सेंटर के मुख्य लाउंज में एक आत्मसमर्पण करने वाला चित्र है और वहां एक नया चित्र भी है।” देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग