सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ सऊदी अरब के रियाद पहुंचे AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक कार्यक्रम में पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने न सिर्फ 26/11 मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए, बल्कि उस समय की भारतीय न्याय प्रणाली की मजबूती की भी तारीफ की। ओवैसी ने यह भी कहा कि खुद उन्होंने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी, जब उन्होंने बिना निमंत्रण पाकिस्तान का दौरा किया था। ओवैसी का यह बयान भारत से बाहर, खासकर मुस्लिम देशों के बीच आया है, जो अपने आप में बेहद अहम माना जा रहा है।
रियाद में बोलते हुए ओवैसी ने कहा, “भारतीय न्याय प्रणाली ने 26/11 के दोषी अजमल कसाब को सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए मौत की सज़ा दी। हमारी एजेंसियां इतनी सक्षम थीं कि उन्होंने पाकिस्तान में बैठे आतंकियों और भारत में हमले कर रहे आतंकवादियों के बीच की बातचीत रिकॉर्ड की थी। इन रिकॉर्डिंग्स में साफ सुना गया कि पाकिस्तान से कहा जा रहा था- जितने भारतीयों को मार सकते हो मारो, जन्नत जाओगे।”
उन्होंने कहा कि भारत ने इस मामले में मजबूत सबूत पाकिस्तान को सौंपे, लेकिन वहां की सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ओवैसी ने कहा कि 26/11 हमलों के बाद भारतीय जांचकर्ता पाकिस्तान भी गए और सबूत दिए। मगर कोई प्रगति नहीं हुई। उन्होंने बताया, “भारत ने जर्मनी में हुई एक बैठक में मांग की कि साजिद मीर को दोषी ठहराया जाए। पाकिस्तान ने जवाब दिया कि वह मर चुका है। लेकिन एफएटीएफ की समिति ने जब दबाव बनाया, तब पाकिस्तान ने माना कि मीर जीवित है और फिर उसे मनी लॉन्ड्रिंग के केस में 5-10 साल की सज़ा दे दी गई। यह दिखाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के मामलों को गंभीरता से नहीं लेता।”
ओवैसी ने कहा कि जब पठानकोट हमला हुआ, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना निमंत्रण पाकिस्तान गए थे। “मैं वही व्यक्ति था, जिसने सबसे पहले इस पर सवाल उठाए थे। तब भी कहा था कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी को भारत बुलाना और उन्हें सबूत देना समझ से परे है। इसके बावजूद पाकिस्तान ने कोई सहयोग नहीं किया।”
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उन्होंने कहा, “अगर आज सवाल ये है कि भारत पाकिस्तान से बातचीत क्यों नहीं करता, तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान में बात करे किससे? वहां सरकार भी तय नहीं कर सकती कि कौन निर्णय लेगा।”
ओवैसी ने पाकिस्तान को दोबारा एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने की वकालत की। उन्होंने कहा, “इसी से हम आतंकवादियों के वित्त पोषण को रोक सकते हैं। पाकिस्तान में आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं। एक अमेरिकी नामित आतंकी पाकिस्तान के फील्ड मार्शल के साथ बैठा पाया गया। इससे ज्यादा सबूत और क्या चाहिए कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों में शामिल है?”
ओवैसी ने पाकिस्तान की उस बयानबाज़ी पर भी नाराजगी जताई, जिसमें वह खुद को मुस्लिम देशों का रक्षक बताता है और भारत के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा, “भारत में करीब 240 मिलियन मुसलमान रहते हैं, और वे गर्व से भारतीय हैं। पाकिस्तान ये झूठ फैला रहा है कि भारत मुसलमानों को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि वह एक मुस्लिम देश नहीं है। जबकि सच्चाई ये है कि पाकिस्तान तकफीरी आतंकी संगठनों को बढ़ावा देकर पूरे दक्षिण एशिया की शांति को खतरे में डाल रहा है।”
अपने भाषण के अंत में ओवैसी ने कहा, “अगर पाकिस्तान इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन देना बंद कर दे, तो दक्षिण एशिया में स्थिरता आ सकती है। इससे पूरे क्षेत्र में प्रगति और विकास को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन दुर्भाग्य से पाकिस्तान आज भी आतंक के रास्ते पर है और भारत को अस्थिर करने की साजिशों में जुटा हुआ है।” ओवैसी ने न सिर्फ पाकिस्तान को आईना दिखाया, बल्कि यह भी साबित किया कि आतंक के मुद्दे पर भारत की भूमिका और नीति कितनी स्पष्ट और मजबूत रही है। यह बात अलग है कि भारत की मौजूदा सरकार से उनके सियासी मतभेद हैं।
ओवैसी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान खुलेआम आतंकियों को समर्थन देता है। उन्होंने एक अमेरिकी नामित आतंकी की तस्वीर का जिक्र किया जिसमें वह पाकिस्तानी फील्ड मार्शल के साथ हाथ मिला रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश करते हैं।