अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में फ्लाइट में प्लेन में सवार 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गयी थी। इन यात्रियों में सात पुर्तगाली नागरिक भी थे। जानकारी के मुताबिक, सभी सातों की जड़ें भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पूर्व पुर्तगाली उपनिवेश दीव द्वीप में थीं। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, दुर्घटना में मरने वाले कुल 14 यात्री दीव से जुड़े थे जिनमें से 9 बुचरवाड़ा ग्राम पंचायत के थे। एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति, विश्वाश कुमार रमेश, दीव में रहने वाले अन्य लोगों में से एक हैं जो ब्रिटिश नागरिक हैं।

बुखारवाड़ा के पंचायत सदस्य दिनेश भानुभाई ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “दीव के कई गांवों के लोगों ने पुर्तगाल और ब्रिटेन की नागरिकता ले ली है लेकिन वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और अपने घर के बुजुर्गों से मिलने या शादियों और प्रमुख त्योहारों में शामिल होने के लिए साल में कम से कम एक बार आते हैं।

दुर्घटना के बाद से दीव के कई गांवों से लोग अपने प्रियजनों की पहचान में मदद के लिए अहमदाबाद पहुंचे हैं। सोमवार को अधिकारियों ने बताया कि पहचान के बाद दो शवों को दीव भेजा गया है। दीव से संबंध रखने वाले जिन सात पुर्तगाली नागरिकों की जान गई, उनकी पहचान चंदू बगुआने, संतुभाई बीका, हेमैक्सी शांतिलाल, वनिता कान्हा, देवजी लछमाने, गिरीश लालजी और आर वासरामो प्रेमगी के रूप में की गई है। एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति विश्वाश और उनके भाई अजय भी अपने परिवार के स्थानीय मछली पकड़ने के व्यवसाय को संभालने के लिए दीव की यात्रा पर थे। अजय की दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

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अनुमान के मुताबिक, दीव की 50,000 से अधिक आबादी में, कम से कम आधे घरों में ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने पुर्तगाली नागरिकता ले ली है या ब्रिटिश नागरिक हैं। दुर्घटना के बाद से दीव के कई गांवों से लोग अपने प्रियजनों की पहचान में मदद के लिए अहमदाबाद पहुंचे हैं। सोमवार को अधिकारियों ने बताया कि पहचान के बाद दो शवों को दीव भेजा गया है।

भानुभाई ने कहा, “अधिकांश निवासी अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर हैं और अधिकांश परिवारों के सदस्यों ने पुर्तगाली नागरिकता ले ली है। विदेश में रहने वाले कुछ लोग स्थानीय व्यवसायों, जैसे मछली पकड़ने के प्रबंधन में मदद करते हैं, जिसे उनके परिवार घर पर संभालते हैं इसलिए वे अक्सर आते रहते हैं। नागरिकता के लिए पात्र युवा पुर्तगाल में बसने की इच्छा रखते हैं।”

दीव के इतिहास में यह अनोखी कड़ी 16वीं शताब्दी से जुड़ी है, जब यह पुर्तगाल का उपनिवेश था लेकिन 1961 में यह द्वीप भारत में शामिल हो गया। इसके बाद पुर्तगाल ने अपने पूर्ववर्ती “एस्टाडो दा इंडिया” (भारत का राज्य) में जन्मे लोगों को पुर्तगाली राष्ट्रीयता बनाए रखने की अनुमति दे दी। यह एक ऐसा प्रस्ताव था, जिसमें उनके वंशजों की दो पीढ़ियां भी शामिल थीं।

अधिकारियों के अनुसार, दीव के गांवों के कई लोगों ने ब्रिटिश नागरिक बनने का विकल्प चुना। एक बार जब उन्होंने पुर्तगाली नागरिकता प्राप्त कर ली तो उन्हें ब्रिटेन में रहने और काम करने की अनुमति मिल गई, जब देश यूरोपीय संघ का हिस्सा था। एक बार जब वे ब्रिटेन में एक निश्चित अवधि के लिए रुक गए तो वे दोहरी नागरिकता प्राप्त करने के पात्र हो गए। पढ़ें-  चश्मदीद ने बताया हादसे वाली जगह से क्या-क्या मिला