लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान 12 जून को अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। विमान के एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार 241 यात्रियों की मौत हो गई थी। विमान की कमान कैप्टन सभरवाल और उनके सहयोगी फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर संभाल रहे थे। विमान के पायलट कैप्टन सभरवाल ने उड़ान भरने के तुरंत बाद अहमदाबाद स्थित ATC को पूर्ण आपात स्थिति का संकेत देते हुए ‘मेडे कॉल’ किया था जिसके कुछ ही क्षण बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। ऐसा ही एक मामला कुछ सालों पहले अमेरिका में हुआ था जब जब दोनों इंजन फ़ेल होने के बाद पायलट ने नदी में विमान लैंड करवाया था।
घटना 15 जनवरी 2009 की है जब दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर यूएस एयरवेज 1549 (एयरबस A320) की फ्लाइट ने न्यूयॉर्क सिटी से नॉर्थ कैरोलिना के चार्लोट एंड सिएटल जाने के लिए उड़ान भरी थी। इस प्लेन में कुल 155 लोग सवार थे, 150 पैसेंजर्स और 5 क्रू मेंबर्स। इस प्लेन को पायलट Chesley Sullenberger उड़ा रहे थे जबकि उनका साथ दे रहे थे फर्स्ट ऑफिसर Jeffrey Skiles. दोनों ही काफी अनुभवी पायलट थे जिनके पास 15 हजार से ज्यादा घंटों का फ्लाइंग एक्सपीरिएंस था। चेस्ली पहले अमेरिकन एयरफोर्स में पायलट रह चुके थे।
उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद विमान से पक्षियों का एक झुंड टकरा गया था। इस टक्कर फौरन बाद ही पायलट को एहसास हो गया था कि अब उसके लिए एयरपोर्ट पर वापस लौटना संभव नहीं है इसलिए उसने विमान को नदी में उतार दिया था। इस घटना को ‘मिरेकल ऑन द हडसन’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि विमान न्यूयॉर्क में हडसन नदी में उतरा था।
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विमान के उड़ान भरने के दो मिनट बाद ही पक्षियों का झुंड इससे टकरा गया और विमान के दोनों इंजन फ़ेल हो गए और टर्बोफैन ने काम करना बंद कर दिया। उसके ठीक बाद विमान में एक धमाका हुआ। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि पूरा प्लेन हिल गया और विमान में बैठे यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। दोनों पायलट लगातार इंजन को रीस्टार्ट करने की कोशिश करने लगे लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद इंजन स्टार्ट नहीं हुआ।
इसके बाद प्लेन धीरे-धीरे नीचे गिरने लगा। पायलट चेस्ली ने तुरंत ATC को इसकी सूचना दी और कहा कि वे वापस लागोर्डिया एयरपोर्ट आना चाहते हैं। कंट्रोलर के पास जैसे ही यह मैसेज पहुंचा, उन्होंने तुरंत लैंडिंग की परमिशन दे दी लेकिन प्लेन जिस स्पीड से नीचे गिर रहा था, पायलट ने वहां जाने से इनकार कर दिया। पायलट चेस्ली ने कहा कि अगर हम वापस एयरपोर्ट आते हैं तो प्लेन उससे पहले ही न्यूयॉर्क सिटी के बीचों-बीच गिर सकता है।
पायलट ने कहा कि उन्हें न्यूजर्सी के किसी एयरपोर्ट पर लैंडिंग करवाने की परमिशन दी जाए। उनकी डिमांड मान ली गई और विमान को न्यूजर्सी के टेटरबोरो एयरपोर्ट पर लैंडिंग की परमिशन दे दी लेकिन प्लेन और भी ज्यादा नीचे आ चुका था। 3 बजकर 28 मिनट पर प्लेन जमीन से सिर्फ 1600 फीट की ऊंचाई पर था। इसके बाद विमान के अनुभवी पायलट सुलेनबर्गर ने लागार्डिया के एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल को बताया कि वह हडसन नदी में लैंड करने की कोशिश करेंगे।
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पायलट का अनुभव देखते हुए कंट्रोलर ने उन्हें नदी में लैंडिंग की परमिशन दे दी। इसके बाद यात्रियों को सूचना दी गई कि सभी अपनी-अपनी सीट बेल्ट और लाइफ जैकेट पहन लें। वहीं, रेस्क्यू के लिए समुद्री जहाज और कोस्ट गार्ड टीम को वहां भेज दिया गया। पायलट ने 3 बजकर 31 मिनट पर हडसन नदी पर क्रैश लैंडिंग करवाई। उस वक्त प्लेन की स्पीट 230 किलोमीटर प्रति घंटा थी लेकिन पायलट ने इतने अच्छे से प्लेन की लैंडिंग करवाई कि विमान पानी में ऊपर ही रहा।
विमान के नदी में उतरने के कुछ ही मिनटों के भीतर पास की नौकाओं और अन्य जहाज़ों को नदी की ओर मोड़ दिया गया। कोस्ट गार्ड की रेस्क्यू टीम पहले से ही वहां मौजूद थी। इस हादसे में सिर्फ पांच लोगों को गंभीर चोटें आईं लेकिन सभी लोग इस हादसे में बच गए थे। लैंडिंग के बाद कुल 78 लोगों को मामूली चिकित्सा की ज़रूरत पड़ी थी।
NTSB टीम ने घटना की जांच में पाया कि पायलट चेस्ली अगर हडसन नदी में लैंडिंग करवाने का फैसला लेने में कुछ सेकंड भी लेट होते तो प्लेन हवा में ही क्रैश हो जाता। घटना में सभी लोग बच गए थे इसलिए इसे ‘मिरेकल ऑफ द हडसन’ नाम भी दिया गया। यही नहीं, दोनों पायलटों को अवार्ड देकर भी सम्मानित किया गया। कुछ ही दिनों के भीतर हादसे के शिकार विमान को नदी से निकाल लिया गया और अमेरिका के कैरोलिनास एविएशन म्यूजियम में रख दिया गया। पढ़ें- कोच्चि से दिल्ली जा रहे विमान में बम की धमकी; अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट कैंसिल