Combat Aircraft Engine: भारतीय सेना के सामने एक बड़ी चुनौती है- पुराने होते विमान और समय रहते उनका अपग्रेड ना होना। भारतीय वायुसेना ने अपने कई विमान इस वजह से गंवाए हैं, कुछ दिन पहले राजस्थान में फिर एक जेट क्रैश भी हुआ। इस बीच बेहतर तकनीक वाले इंजन की जरूरत महसूस होने लगी है, ऐसे में सरकार भी अब बड़े कदम उठाने वाली है। इसी कड़ी में फैसला करना है कि भारत अपना खास इंजन ब्रिटेन की कंपनी Rolls-Royce के साथ मिलकर बनाएगा या फिर वो फ्रांस की Safran की मदद लेगा।

एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को इस बारे में बताते हुए कहा है कि इंजन्स को लेकर जरूर चुनौती है। एक रणनीतिक लिहाज से जरूरी फैसला लेना ही होगा। इस समय हमे जो फिफ्थ जनरेशन एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की जरूरत है, उसमें दोनों Rolls-Royce और Safran के साथ हाथ मिलाने पर विचार किया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि दोनों ही कंपनियों ने DRDO के साथ काम करने में दिलचस्पी दिखाई है, उनकी बेंगलुरु में जो Gas Turbine Research Establishment है, वहां पर प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है।

अब एक तरफ भारत फिफ्थ जनरेशन एयरक्राफ्ट चाहता है, उसे इंजन के मामले में आत्मनिर्भर भी बनना है, तकनीक अगर भारत में ही डेवलप हो जाए तो सप्लाई चेन की एक बड़ी चुनौती से पार पाया जा सकता है। असल में भारत को इस समय अपने तेजस एयरक्राफ्ट के लिए भी इंजन चाहिए, लेकिन अमेरिकी कंपनी GE की तरफ से लगातार देरी हो रही है, कोरोना के बाद से जो सप्लाई चेन टूटी है, उसे अभी तक फिर शुरू नहीं किया जा सका है। अब इस बीच भारत क्योंकि अपने ट्विन इंजन 5.5 जनरेशन स्टैल्थ फाइटर जेट AMCA को बनाने की तैयारी कर रहा है, उसमें दोनों यूके और फ्रांस से मदद मिल सकती है।

एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को और विस्तार से बताते हुए कहा है कि वर्तमान में काफी कम भारतीय कंपनियां अपनी खुद की इंजन टेक्नोलॉजी रखती हैं। इस समय भी एयरक्राफ्ट, शिप या फिर ऑटोमोबाइल के लिए हमारे पास खुद की इंजन टेक्नोलॉजी नहीं है। इंजन बाहर से बनकर आ रहे हैं। भारत का जो मरीन इंजन वाला Kirloskar प्रोजेक्ट है, वो जरूर एक शुरुआत है जिसके जरिए हम आत्मनिर्भर बनेंगे। अब एयरक्राफ्ट में भी ऐसा ही कुछ करने की जरूरत है।

वैसे जिस नए इंजन की बात हो रही है, वो 110-130 kN थ्रस्ट वाला है। अगर सभी चीजें समय अनुसार चलीं तो पहली फ्लाइट 2029-2030 चल सकती है, वहीं उसे 2035 तक शामिल किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि AMCA के लिए Mk2 वैरिएंट की जरूरत पड़ेगी, उसे भारत में ही बनाने की तैयारी है। अब इसी चीज के लिए यूके की कंपनी Rolls-Royce का भारत के लिए एक प्रस्ताव है।

उस प्रस्ताव के मुताबिक Rolls-Royce भारत के लिए हाई थ्रस्ट वाले turbofan इंजन तैयार करेगा, बाद में उसका इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट और सिविलियन एयरक्राफ्ट में किया जा सकता है। वहीं जो फ्रांस की Safran कंपनी है, उसका प्रस्ताव भी सामने आया है। उसका जो प्रोटोटाइप रहने वाला है, वो राफेल में इस्तेमाल हुए M88 इंजन से ही प्रभावित रहेगा। वैसे अब भारत जिस आत्मनिर्भर अभियान की ओर बढ़ चला है, उसका पूरी तरह सक्रिय होने में कुछ समय जाएगा, ऐसे में तब तक जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ और प्रस्तावों पर भी विचार किया जा रहा है।

खबर है कि भारत में रूस के Su-57 और अमेरिका के F-35 लेने पर भी विचार चल रहा है, ये दोनों ही फिफ्थ जनरेशन एयरक्राफ्ट हैं। इनकी जरूरत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पाकिस्तान भी चीन से फिफ्थ जनरेशन एयरक्राफ्ट लेने की तैयारी कर रहा है।

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Aanchal Magazine और Anil Sasi की रिपोर्ट